Hindi Diwas : बरेली के डाक्टर का गजब काम, बीमारी समझाने के लिए हिंदी में लिख दिए 102 आर्टिकल
Hindi Diwas 2022 मरीजों को बीमारियों को समझाने के लिए बरेली के फिजीशियन ने गजब काम कर दिया।उन्होंने सामान्य बीमारियों के करीब 102 आर्टिकिल हिंदी में लिख दिए।इसके बाद उन्हें अपनी वेबसाइड पर अपलोड कर दिया।जिससे लोग बीमारियों को समझ सकें।

बरेली, अंकित शुक्ला। Hindi Diwas 2022 : गूंजी हिन्दी विश्व में स्वप्न हुआ साकार, राष्ट्र संघ के मंच से हिन्दी का जयकार.... भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Bajpai) द्वारा लिखी गई उक्त पंक्ति को दिल में बसाए जनकपुरी निवासी डा. शरद अग्रवाल (Dr. Sharad Agarwal) पेशे से फिजीशियन (काय चिकित्सक) है।
एमबीबीएस व एमडी उन्होंने गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कालेज कानपुर (GVSM Kanpur) से किया। पूरी पढ़ाई तो अंग्रेजी में की। लेकिन आने वाले अधिकांश मरीज उसे समझ ही नहीं पाते। ऐसे में उन्होंने मरीजों को सामान्य बीमारियों की जानकारी सरलता से हो।
इसके लिए हिंदी में ही बीमारियों के बारे में पहले खुद लिखा। इसके बाद इसे अपनी वेबसाइट पर अपलोड करा दिया। दरअसल इंटरनेट मीडिया (Internet Media) पर मौजूद अधिकांश वेबसाइट पर बीमारियों की जानकारी अंग्रेजी में दी गई है। जबकि लोगों को अंग्रेजी से ज्यादा हिंदी समझ में आती है।
बचपन से ही हिंदी साहित्य से प्रेम रखने वाले चिकित्सक डा. शरद अग्रवाल ने हिंदी में 102 सामान्य बीमारियों को लिखकर अपनी वेबसाइट www.healthhindi.in पर डाल रखा है। वेबसाइट में मौजूद सभी लेख हिंदी में स्वयं उन्होंने ही लिखे हैं।
इसके साथ ही कुछ वीडियो भी जो कि हिंदी में हैं उन्हें भी डाला हैं। डाले गए वीडियो के माध्यम से लोगों को सही व्यायाम करने समेत अन्य जानकारियां हिंदी में मुहैया कराई गई है।
पिछले वर्ष हिंदी कहावतों पर लिखी कहावत
पिछले वर्ष 14 सितंबर हिंदी दिवस पर उन्होंने अपनी पुस्तक हिंदी कहावत कोश प्रकाशित की थी, जिसका विमोचन राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने राजभवन लखनऊ में किया था। उन्होंने हिंदी साहित्य की विलुप्त होती इस धरोहर को सहेजने के लिए यह सार्थक प्रयास किया था।
इस अमूल्य निधि को सब के लिए सुलभ बनाने के उद्देश्य से उन्होंने एक वेबसाइट बनाई है। इसमें लगभग आठ हजार हिंदी कहावतों के अतिरिक्त बच्चों की कहावतें, ट्रकों की कहावतें, संस्कृत कहावतें, देसी भाषा के शब्दों का संग्रह एवं तत्सम तद्भव, का भी एक विशाल संग्रह है। अभी तक इस वेबसाइट को चार लाख से अधिक बार देखा गया है।
अब लोकगीतों, पहेलियों का तैयार कर रहे संग्रह
वर्तमान में वह दादी, नानी की पहेलियों एवं विलुप्त होते हुए लोकगीतों जैसी हिंदी लोक साहित्य की विलुप्त होती विधाओं को जोड़ कर अपनी वेबसाइट को नए कलेवर में प्रस्तुत करने जा रहे हैं। अब लोकगीतों को संरक्षित करने की उनकी आगे की योजना है। इस पर उन्होंने कार्य भी शुरू कर दिया है।
इसमें कजरौटा, रुद्राक्ष, मसक आदि के बारे में लोग जान सके इसके लिए उसके चित्र व जानकारी भी दी जाएगी। अत्यधिक व्यस्त चिकित्सक होते हुए भी वह हिंदी लोक साहित्य के संरक्षण में प्रशंसनीय योगदान देने का काम कर रहे हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।