Ramlalla Jewellery: बरेली के हर सहायमल ज्वैलर्स ने बनाए रामलला के आभूषण, 3.5 किलो से ज्यादा सोने का किया इस्तेमाल
रामलला ने 16 आभूषण धारण किए हैं जिसे बरेली के हर सहायमल श्यामलाल ज्वैलर्स ने तैयार किए हैं। बता दें कि अयोध्या के भव्य मंदिर में विराजे रामलला के स्वर्ण मुकुट पर सूर्य चिह्न है और उसके ऊपर बड़े आकार का पन्ना उनके वैभव को प्रदर्शित कर रहा है। प्रभु के बाल स्वरूप को निखारने के लिए मुकुट के दोनों ओर पंख बनाए गए हैं।

जागरण संवाददाता, बरेली। अयोध्या के भव्य मंदिर में विराजे रामलला के स्वर्ण मुकुट पर सूर्य चिह्न है। उसके ऊपर बड़े आकार का पन्ना उनके वैभव को प्रदर्शित कर रहा है। प्रभु के बाल स्वरूप को निखारने के लिए मुकुट के दोनों ओर पंख बनाए गए हैं।
इनपर उत्तर प्रदेश का प्रतीक चिह्न मछली और राष्ट्रीय पक्षी मोर बनाया गया है। रामलला ने 16 आभूषण धारण किए हैं, जिसे बरेली के हर सहायमल श्यामलाल ज्वैलर्स ने तैयार किए हैं।
शोरूम के डायरेक्टर ने ये कहा
शोरूम के डायरेक्टर मोहित आनंद ने बताया कि दो जनवरी को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने फोन किया था। उनके कहने पर अयोध्या पहुंचे तो पता चला कि रामलला के आभूषण बनाने हैं। हमारा परिवार 130 वर्षों से आभूषण बनाने के कार्य में लगा है।
प्रभु के आभूषण बनाने का ऑर्डर मिलना हमारे लिए चमत्कार से कम नहीं था। हमें प्रसन्नता है कि रामलला ने हमें इस कार्य के लिए चुना। अगले ही दिन लखनऊ ब्रांच के डायरेक्टर अंकुर आनंद को अयोध्या भेजा। ट्रस्ट ने हमसे कहा था कि आभूषण बनाते समय ध्यान रहे कि प्रभु बाल स्वरूप में हैं।
आभूषण बनाने वाली टीम ने की काफी रिसर्च
राजघराने के बालक के आभूषण बनाने के लिए टीम ने काफी रिसर्च की। 70 सदस्यीय टीम ने लगातार काम कर 16 जनवरी को रामलला के सभी 16 आभूषण तैयार कर दिए। इनमें मुकुट, छोटा हार, विजय माला, अंगूठी, बाजू-बंध, कड़े, पायल, तिलक, धनुष, तीर आदि शामिल है।
विजय माला में दो किलो और मुकुट में 1.700 किलो सोना लगाया गया। अन्य आभूषण इससे कम वजन के हैं। उसी शाम को स्वजन के साथ अयोध्या पहुंचकर सभी आभूषण सौंप दिए। यह दिन हम सभी के लिए हमेशा याद रहेगा। आभूषणों के लिए सोना ट्रस्ट की ओर से उपलब्ध कराया गया था। अब चांदी का छत्र बना रहे हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।