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    Guru Purnima 2025: गुरु पूर्णिमा की पूजन विधि और महत्व, बरेली के ज्योतिषाचार्य बोले- बन रहे कई सुयोग

    Updated: Wed, 09 Jul 2025 12:56 PM (IST)

    गुरु पूर्णिमा पर गुरु माता-पिता और धर्म ग्रंथों की पूजा का विशेष महत्व है। इस साल गुरु पूर्णिमा पर ऐन्द्र योग बन रहा है जो शुभ फलदायी है। जिनके गुरु नहीं हैं वे अपने इष्टदेव की पूजा करें। छात्रों को गीता का पाठ करना चाहिए और कुंडली में गुरु दोष से मुक्ति पाने के लिए मंत्र जाप करना चाहिए। सौभाग्य के लिए तुलसी के पास दीपक जलाएं।

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    प्रस्तुतीकरण के लिए सांकेतिक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।

    जागरण संवाददाता, बरेली। माता-पिता और गुरु समर्पित गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व गुरुवार को मनाया जाएगा। मान्यताओं के अनुसार इस पावन दिन पर गुरु, माता-पिता और धर्म ग्रंथों की पूजा से व्यक्ति सुख और शांति की प्राप्ति होती है। साथ ही कभी न समाप्त होने वाला ज्ञान भी प्राप्त होता है। वहीं, इस दिन दान पुण्य और गंगा स्नान करना भी बहुत शुभ माना जाता है।

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    आचार्य मुकेश मिश्रा के अनुसार इस साल गुरु पूर्णिमा के दिन ऐन्द्र योग बन रहा है। ऐन्द्र योग एक शुभ योग है जो व्यक्ति को कई लाभ प्रदान करता है। यह योग भाग्यशाली हैं और जीवन में सफलता प्राप्त करने की प्रबलता का कारक माना गया है।

    इस शुभ योग्य मे अगर गुरु का आशीर्वाद लिया जाए तो गुरु महाराज का आशीर्वाद अनेक फल देता है। धर्म ग्रंथ अनुसार इस दिन महाभारत रचयिता महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। इसलिए इस पर्व को व्यास पूर्णिमा और आषाढी़ भी कहते हैं।

    कोई गुरु न हो तो यह करें

    जिन लोगों के गुरु नहीं हैं। उन्हें अपने इष्टदेव का पूजन करना चाहिए। आप चाहें तो शिव जी, विष्णु जी, गणेश जी, सूर्य देव, देवी दुर्गा, हनुमान जी, श्रीकृष्ण को गुरु मानकर इनकी पूजा कर सकते हैं। इनके अलावा अपने माता-पिता, घर के अन्य बड़े लोगों को गुरु मानकर उनकी पूजा की सकती है। जिन लोगों ने किसी को गुरु नहीं माना है तो वे लोग गुरु पूर्णिमा पर किसी योग्य व्यक्ति को अपना गुरु मान सकते हैं और उनसे गुरु दीक्षा ले सकते हैं।

    वेद की करें पूजा, होगा मंगल

    ज्योतिषाचार्य डॉक्टर विपिन शर्मा के अनुसार वेदों में मौजूद ज्ञान अत्यंत रहस्यमयी और कठिन था। इसलिए वेद व्यास जी ने पांचवें वेद के रूप में पुराणों की रचना की, जिनमें वेदों के ज्ञान को रोचक कहानियों के रूप में समझाया गया है। उन्होंने पुराणों का ज्ञान अपने शिष्य रोमहर्षण को दिया। इसके बाद वेदव्यास जी के शिष्यों ने अपनी बुद्धि के बल पर वेदों को अनेक शाखाओं और उप-शाखाओं में विभाजित किया।

    गुरु पूजन संग महर्षि वेदव्यास की भी पूजन कर प्राप्त करें फल

    वेदव्यास हमारे आदि-गुरु भी माने जाते हैं, इसलिए गुरु पूर्णिमा के दिन हमें अपने गुरुओं को वेदव्यास जी का अंश मानकर उनकी पूजा करनी चाहिए। जिन छात्रों की पढ़ाई में बाधाएं आ रही हैं या मन भ्रमित हो रहा है, उन्हें गुरु पूर्णिमा के दिन गीता पढ़नी चाहिए। यदि गीता पाठ करना संभव न हो तो गाय की सेवा करनी चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से पढ़ाई में आ रही समस्याएं दूर होती हैं।

    सौभाग्य की प्राप्ति के लिए गुरु पूर्णिमा की शाम को तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाएं। कुंडली में गुरु दोष से मुक्ति पाने के लिए गुरु पूर्णिमा के दिन “ओम बृं बृहस्पतये नमः - मंत्र का जाप अपनी इच्छा और श्रद्धानुसार 11, 21, 51 या 108 बार करें।