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    तलाक पीड़िता निदा खान का हुक्का-पानी बंद, दफनाने पर भी लगाई पाबंदी

    By Dharmendra PandeyEdited By:
    Updated: Tue, 17 Jul 2018 01:19 PM (IST)

    शहर काजी असजद रजा कादरी ने निदा खान को इस्लाम से खारिज करने का फतवा जारी किया है। निदा खान से मिलना जुलना उनके साथ खाना बैठना यहां तक की जनाजे तक में शामिल होना हराम करार दिया है।

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    तलाक पीड़िता निदा खान का हुक्का-पानी बंद, दफनाने पर भी लगाई पाबंदी

    बरेली (जेएनएन)। तत्काल तीन तलाक और हलाला के खिलाफ आवाज बुलंद करने वालीं निदा खान के खिलाफ दरगाह आला हजरत से फतवा जारी हुआ है। उन्हें इस्लाम से खारिज कर दिया गया है।

    काफिर (ऐसा शख्स जो इस्लाम का अनुयायी न हो) भी करार दिया है। शहर काजी मौलाना असजद रजा खां कादरी ने एलानिया तौबा मांगने के लिए कहा है। ऐसा न करने पर मुसलमानों का आह्वïान किया है कि वे निदा से तमाम तरह के ताल्लुकात खत्म कर लें। यहां तक कि मरने के बाद जनाजे में नहीं जाएं। कब्रिस्तान में दफनाने भी नहीं दिया जाए। वहीं, जवाब में निदा खान ने भी शहर काजी पर करारा हमला बोला है। तौबा से इन्कार करते हुए कहा है कि फतवा देने वालों को पहले तौबा मांगनी चाहिए। 

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    शहर काजी ने सोमवार को यह फतवा शहर इमाम मुफ्ती खुर्शीद आलम के सवाल का जवाब देते हुए जारी किया है। फतवे में कहा है कि हलाला का जिक्र कुरान में है। हदीस से भी यह साबित है। इसके बावजूद अगर कोई यह कहे कि हलाला महिलाओं पर जुल्म है और इसमें बदलाव की मांग करे तो उसके ये शब्द कुफ्र हैैं। यानि उसने अल्लाह और उसके रसूल के फरमान को झुठलाने की कोशिश की है। ऐसे शख्स पर फिर से कलमा पढऩे का हुक्म लागू होगा। उसे इस्लाम में बने रहने के लिए एलानिया (घोषित तौर पर) तौबा करना होगी। अगर निदा ऐसा नहीं करती हैैं तो मुसलमान उनका सामाजिक बायकॉट कर दें। न मिलें और न उसके साथ खाएं-पिएं। बीमारी की हालत में देखने भी नहीं जाएं।

    मेरी हत्या की साजिश : जवाब में निदा खान ने फतवे को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन बताया। फतवे की आड़ में भीड़ को भड़काने और हत्या की साजिश रचने का इल्जाम लगाया है।

    कौन हैं निदा
    निदा खान दरगाह आला हजरत प्रमुख मौलाना सुब्हान रजा खां सुब्हानी मियां के छोटे भाई अंजुम मियां के बेटे शीरान रजा खां की पूर्व पत्नी हैैं। उनके शौहर ने तलाक दे दिया है। यह प्रकरण कोर्ट में चल रहा है। इसके बाद निदा ने आला हजरत हेल्पिंग सोसायटी बनाई है, जिसके बैनर तले वे तलाक पीडि़ताओं के हक की आवाज बुलंद कर रही हैैं।

    ताजा विवाद हलाला का
    पिछले सप्ताह निदा खान ने शबाना नाम की एक महिला के साथ हलाला की आड़ में हुई ज्यादती के खिलाफ आवाज उठाई थी। शबाना ने आरोप लगाया था कि तलाक के बाद पहले ससुर से हलाला कराया गया। दोबारा निकाह के बाद शौहर ने एक बार फिर तलाक दे दिया और इस बार देवर से हलाला का दबाव बनाया जा रहा है। प्रेस कांफ्रेंस में निदा खान ने हलाला, फतवा और बहु-विवाह पर रोक लगाने की मांग उठाई थी। इसके बाद से ही यह मामला चर्चा में बना है। चौदह जुलाई को बानखाना में उनपर हमला भी हुआ था। उन्हें भीड़ ने घेर लिया था। बाल-बाल बची थीं।

    बरेली में दो मुस्लिम महिलाएं इन दिनों धर्म के ठेकेदारों के निशाने पर हैं। आला हजरत खानदान की बहू निदा खान के साथ ही केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की बहन फरहत नकवी को इस्लाम से खारिज करने का निर्णय लिया गया, लेकिन निदा खान को आज इस्लाम से खारिज करने का फरमान जारी कर दिया गया।

    इस फतवा के बाद निदा खान ने कहा इस्लाम पर किसी का कॉपीराइट नहीं है। इस्लाम किसी का ट्रेडमार्क नहीं, किसी का कॉपीराइट नही है। संविधान ने हमें अपना अधिकार दिया है। उन्होंने कहा कि जिस आला हजरत खानदान में उनकी शादी हुई उसी खानदान में 14 तलाक, तीन तलाक के हैं। उन्होंने कहा ऐसे जाहिलों से वो डरने वाली नहीं हैं।

    बरेली की दो मुस्लिम महिलाएं इन दिनों धर्म के ठेकेदारों के निशाने पर हैं। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की बहन फरहत नकवी और आला हजरत खानदान की बहू निदा खान लंबे समय से तीन तलाक पीडि़त महिलाओं के हक के साथ उनके पुनर्वास की लड़ाई लड़ रही हैं।