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    पीलीभीत में बोले राकेश टिकैत, क‍िसानों को पता है क‍ि कहां वोट देना

    By Ravi MishraEdited By:
    Updated: Sun, 23 Jan 2022 02:30 PM (IST)

    किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि चुनावी माहौल में हिंदू-मुस्लिम और जिन्ना का भूत दस मार्च तक पैरोल पर है। इसके बाद इस तरह की चर्चाएं खत्म हो जाएंगी। किसान इस सब बातों पर ध्यान न दें बल्कि अपनी फसल की देखभाल रहे।

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    पीलीभीत के पूरनपुर पहुंचे राकेश टिकैत के साथ किसान नेता। जागरण

    जेएनएन, पीलीभीत : भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि चुनावी माहौल में हिंदू-मुस्लिम और जिन्ना का भूत दस मार्च तक पैरोल पर है। इसके बाद इस तरह की चर्चाएं खत्म हो जाएंगी। किसान इस सब बातों पर ध्यान न दें बल्कि अपनी गन्ना और गेहूं की फसल की देखभाल रहे। किसानों को पता है कि चुनाव में वोट किसे देना है।

    रविवार को दोपहर लखीमपुर खीरी से लौटते समय किसान नेता टिकैत कुछ देर के लिए पूरनपुर में रुके। उनके इधर से होकर गुजरने की जानकारी यूनियन के कार्यकर्ताओं को पहले से ही रही। लिहाजा टिकैत के पहुंचने से पहले ही दर्जनों कार्यकर्ता हाईवे के चौराहा पर एकत्र हो गए। इसी दौरान टिकैत आ गए। कार्यकर्ताओं को देखते ही उन्होंने अपनी गाड़ी रुकवा ली। कार्यकर्ताओं ने भाकियू जिंदाबाद के नारे लगाए हुए फूल मालाओं से उनका स्वागत किया। इस दौरान भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने पत्रकारों से भी बातचीत की। विधानसभा चुनाव की चर्चा करते हुए कहा कि हिंदू, मुस्लिम और जिन्ना का भूत ढाई महीने तक पैरोल पर है। मार्च के बाद ही यह जाएगा। किसानों को सलाह दी कि वे यूनियन को मजबूत करें। अपने गेहूं और गन्ने की फसल को देखें। गन्ने के भुगतान को लेकर जुटें। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि किसानों की दिल्ली बार्डर पर 13 महीने की ट्रेनिंग हुई है। किसान जानते हैं कि वोट किसे करना है। इस दौरान भाकियू जिलाध्यक्ष स्वराज सिंह, रंजीत सिंह, मनदीप सिंह, अंग्रेज सिंह, देवेंद्र सिंह, सुखविंदर सिंह, हरजीत सिंह सहित कई लोग मौजूद रहे। मोहनपुर गुरुद्वारे पर उन्हें सरोपा भी भेंट किया गया।इससे पहले कृषि कानूनों के व‍िरुद्ध चल रहे आंदोलन  के समय भी राकेश टिकैत पूरनपुर क्षेत्र में दो बार आए थे। उस समय उन्‍होंने सडक पर ही जनसभा की थी। बाद में लखीमपुर खीरी में हुए विवाद के दौरान मौके पर गए थे। पीडित परिवारों से मुलाकात की थी। इस क्षेत्र के कई किसान नेता दिल्‍ली में हुए आंदोलन में भी शामिल होने गए थे।  

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