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    'बेटे को मां-बाप से अलग रहने को बाध्य करना अन्याय', महिला का गुजारा खर्च मुकदमा फैमिली कोर्ट से खारिज

    Updated: Fri, 17 Oct 2025 01:55 PM (IST)

    बरेली के फैमिली कोर्ट ने संयुक्त परिवार से दिक्कत होने पर एक विवाहिता का गुजारा खर्च का मुकदमा खारिज कर दिया। जज ने कहा कि किसी बेटे को कानूनी तौर पर मां-बाप से अलग रहने को मजबूर करना अन्याय होगा। वादिनी पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। वादिनी ने दहेज का आरोप लगाया था, लेकिन कोर्ट ने इसे अविश्वसनीय माना और पाया कि वादिनी बिना उचित कारण के मायके में रह रही है।

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    जागरण संवाददाता, बरेली। विवाहिता को संयुक्त परिवार से दिक्कत है। सास ससुर के प्रति उपेक्षा पूर्ण रवैया, वर्तमान सामाजिक परिवेश के लिए अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। यह टिप्पणी करते हुए फैमिली कोर्ट ने विवाहिता का गुजारा खर्च का मुकदमा खारिज कर दिया।

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    फैमिली जज ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने अपने फैसले में लिखा कि कानूनी प्रक्रिया से किसी पुत्र को मां-बाप से अलग रहने को बाध्य किया जाना घोर अन्याय पूर्ण होगा। वादिनी के मन में वैवाहिक संस्कारों का कोई मूल्य नहीं है। बुजुर्गों के प्रति उपेक्षा भाव उसके स्वभाव में है। ऐसी परिस्थितियां सामाजिक परिवेश में अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। अदालत ने वादिनी का गुजारा खर्च का मुकदमा खारिज करते हुए वादिनी पर 10 हजार रुपये जुर्माना लगाया है।

    नई बस्ती माधोबाड़ी निवासी विवाहिता की शादी कटघर मुरादाबाद निवासी व्यक्ति से सात वर्ष पहले हुई थी। वादिनी ने आरोप लगाया कि उसके पिता ने शादी में 11 लाख रुपये खर्च हुए किए। विपक्षी का परिवार 15 लाख रुपये दहेज में मांग रहा है। विपक्षी ने अपने जवाब में कहा कि उसकी पत्नी अपने सास ससुर को खाना बना कर नहीं देती।

    अपने मायके में रहने की जिद करती है। प्रति परीक्षा में वादिनी ने माना कि वह अपने मायके में ही रहेगी। पति बुलाने भी आएगा तो नहीं जाएगी। उसे घरेलू काम करना नहीं आता। पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य के मुताबिक वादिनी के पिता मजदूरी करते हैं। घर में साइकिल भी नहीं है।

    कोर्ट ने 11 लाख की शादी और इसके बाद विपक्षी द्वारा 15 लाख रुपये नगदी मांगा जाना अविश्वसनीय माना। उल्लेख किया कि वादिनी की मुख्य समस्या उसकी ससुराल का संयुक्त परिवार है जिसमें सास ससुर व देवर हैं। कोर्ट ने कहा कि वादिनी बिना पर्याप्त व उचित कारण के अपने मायके में रह रही है।

    लिहाजा दावा निराधार है। झूठा मुकदमा दायर करने के एवज में वादिनी को 10 हजार रुपये जुर्माना भुगतना होगा। यह रकम 30 दिन के अंदर वादिनी ने अदा नहीं की तो कानूनी प्रक्रिया से रकम वसूल की जाएगी।