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    बरेली में डाॅॅक्टरों का दावा, बोले- लाइलाज नहीं ब्लड़ कैंसर, सामान्य जीवन जी रहे 70-80 फीसद मरीज

    By Ravi MishraEdited By:
    Updated: Thu, 31 Mar 2022 10:31 AM (IST)

    Blood Cancer News बरेली में एप्रोच टू ए केस ऑफ ब्लड कैंसर को लेकर विशेषज्ञों ने दावा किया है कि अब ब्लड कैंसर लाइलाज नहीं है।इसके अलावा ब्लड़ कैंसर के 70 से 80 प्रतिशत मरीज सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे है।

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    बरेली में डाॅॅक्टरों का दावा, बोले- लाइलाज नहीं ब्लड़ कैंसर, सामान्य जीवन जी रहे 70-80 फीसद मरीज

    बरेली, जेएनएन। Blood Cancer News : ब्लड कैंसर लाइलाज नहीं हैं। बस जरूरत है समय पर इसकी पहचान करने की। जितनी जल्द मरीज में ब्लड कैंसर का पता चल जाता है, उतनी जल्द ही वह स्वस्थ हो जाता है। आज ब्लड कैंसर के 70 से 80 प्रतिशत मरीज अच्छे इलाज उपलब्ध होने की वजह से सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं। एप्रोच टू ए केस आफ ब्लड कैंसर को लेकर आइएमए में आयोजित चिकित्सकीय संगोष्ठी यह विचार फोर्टिस हास्पिटल गुड़गांव के विशेषज्ञ डा. राहुल भार्गव ने व्यक्त किए।

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    डा. भार्गव ने बताया कि ब्लड कैंसर के मरीजों कि दर में वृद्धि हुई है। लेकिन टार्गेटिड मेडिसिन की सहायता से अब ओरल और कीमोथैरेपी से मरीजों का इलाज किया जा रहा है। अब बोन-मैरो ट्रांसप्लांट भी आसानी से किया जा रहा है। थैलीसीमिया से पीड़ित बच्चों को बोनमैरो ट्रांसप्लांट के जरिये बचाना आसान हो गया है। उन्होंने कहा कि अब फिजीशियन और पीडियाट्रिक से कहा कि वे ब्लड कैंसर के मरीजों की पहचान करने में थोड़ा सतर्कता बरतें।

    आइएमए के अध्यक्ष डा. विमल कुमार भारद्धाज ने ब्लड कैंसर के लक्षणों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि पहले ब्लड कैंसर के इलाज के लिए दवाइयां महंगी थीं, जबकि बहुत कम दाम पर मिल जाती हैं, इसके लिए सरकार को बहुत बहुत धन्यवाद है। प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री राहत कोष से भी वित्तीय सहायता मिलने से गरीब मरीज भी अपना इलाज आसानी से करवा पाते हैं।

    आइएमए के साइंटिफिक चेयरमैन डा. सुदीप सरन कहा कि लोगों की अनिश्चित दिनचर्या और फास्टफूड व चाइनीज फूड खाने आदत भी ब्लड कैंसर का कारण बन रही है। टीएलसी और डीएलसी जांच से इसे आसानी से पता किया जा सकता है। इस दौरान डा. अतुल कुमार अग्रवाल, सचिव डा. एमडी छाबड़िया, डा. आरके सिंह, डा. मनोज कुमार हिरानी, डा. रवीश अग्रवाल, डा. विवेक मिश्रा, डा. आदित्य माहेश्वरी, डा. ओपी भास्कर, डा. अमित अग्रवाल, डा. रुचिन, डा. अनूप आर्य आदि मौजूद रहे।