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    होटल में डॉक्टर सात घंटे डिजिटल अरेस्ट, खाते में 50 लाख... एक 'नोट' के जरिए पहुंची पुलिस ने ऐसे बचाई रकम

    Updated: Sun, 12 Jan 2025 09:28 PM (IST)

    बरेली में एक डॉक्टर साइबर ठगों के जाल में फंसने से बाल-बाल बच गए। ठगों ने उन्हें फोन पर धमकाया कि वह डिजिटल अरेस्ट हो चुके हैं और घर के पास सीबीआई की टीम मौजूद है। डॉक्टर ने डर के मारे घरवालों को कुछ नहीं बताया और एक पर्ची पर लिखकर मैं फंस गया हूं... का संदेश देकर घर से निकल गए। पुलिस ने समय रहते उन्हें बचा लिया।

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    साइबर ठगों के जाल से पुलिस ने डॉक्टर की जान बचाई। (तस्वीर जागरण)

    रजनेश सक्सेना, बरेली। बरेली में परिवार की सूझबूझ से शहर के एक चिकित्सक साइबर ठगों का शिकार होने से बच गए। साइबर ठगों ने डॉक्टर से कहा कि वह डिजिटल अरेस्ट हो चुके हैं, यदि फोन काटा तो घर के पास खड़ी सीबीआइ की टीम उन्हें गिरफ्तार कर लेगी।

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    डर के चलते उन्होंने स्वजन को कुछ नहीं बताया और नहीं फोन काटा। ज्यादा पूछने पर उन्होंने जेब की तरफ इशारा करते हुए एक कागज पर नोट लिखा कि 'मैं फंस गया हूं...' और बैंक के दस्तावेज लेकर घर से निकल गए। सूचना पर पुलिस ने उन्हें समय से ट्रेस कर आर्थिक नुकसान से बचा लिया। चलिए पढ़ते हैं डॉक्टर के डिजिटल अरेस्ट होने से लेकर बचने तक की कहानी...।

    ये है पूरी कहानी

    फाईक इनशाम करीब सात बजे फाईक इन्क्लेव निवासी इमरान एसपी सिटी मानुष पारीक के घर पहुंचे। गार्ड ने रोका और पूछा कि क्या काम है? इमरान ने कहा कि साहब से मिलना है, बहुत जरूरी बात करनी है। इस सूचना पर एसपी सिटी ने इमरान को अंदर बुलाया। पूछा कि क्या बात है, घबराए हुए क्यों हो? तो इमरान ने बताया कि उनके चाचा नजबुल हसन एक डॉक्टर हैं। वह पुराना शहर के सूफी टोला में एक छोटा सा क्लिनिक चलाते हैं।

    दोपहर में उनके पास किसी व्यक्ति ने फोन किया। बात करते-करने वह परेशान हो गए। चुपचाप अंदर कमरे में गए और सभी बैंक दस्तावेज साथ लेकर चल दिए। परिवार वालों ने पूछा कि क्या हुआ तो डॉक्टर कुछ नहीं बोले। ज्यादा पूछा तो जेब की तरफ इशारा करते हुए एक कागज पर लिख दिया कि मैं फंस गया हूं...। इतना लिखने के बाद वह घर से निकल गए।

    डॉक्टर ने पर्ची पर लिखकर परिजनों को इशारा किया

    परिवार वालों ने उन्हें कई बार फोन किए, मगर उन्होंने किसी का फोन नहीं उठाया। इसके बाद एसपी सिटी ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तत्काल घटना की जानकारी बारादरी इंस्पेक्टर धनंजय पांडेय को दी। धनंजय पांडेय ने डॉ. नजबुल हसन का नंबर सर्विलांस पर लगवाया तो उनकी लोकेशन पीलीभीत रोड पर दिखाई दी। टीम ने लोकेशन का पीछा किया तो होटल कंट्री इन के सामने डॉ. नजबुल की स्कूटी खड़ी दिखाई दी।

    होटल में पूछताछ पर पता चला कि डॉ. नजबुल के नाम से कमरा नंबर 105 सोमवार तक के लिए बुक किया गया है। टीम तत्काल कमरा नंबर 105 पर पहुंची और दरवाजा खुलवाने का प्रयास किया, मगर डॉ. नजबुल ने दरवाजा नहीं खोला। पुलिस के मुताबिक, कमरे के बाहर खड़े होकर सुना तो डॉ. नजबुल फोन पर किसी से बात कर रहे थे और वह व्यक्ति उन्हें दरवाजा नहीं खोलने की बात कह रहा था।

    पुलिस किसी तरह कमरे में दाखिल हो सकी

    पुलिस ने होटल संचालकों से रूम सर्विस और बाथरूम की टंकी सही करने के लिए कमरा खोलने को कहा, लेकिन तब भी उन्होंने कमरा नहीं खोला। मास्टर चाबी से कमरा खोलने का प्रयास किया गया तो लॉक तो खुल गया, लेकिन अंदर से चटखनी बंद होने की वजह से फिर भी कमरा नहीं खुल सका।

    आग लगने की फैलाई फर्जी सूचना, तो खोला कमरा

    पुलिस और होटल संचालकों को जब पूरी तरह से लग गया कि डॉ. दरवाजा नहीं खोलेंगे तो कुछ देर शांत होने के बाद अचानक से होटल संचालकों से होटल में आग लगने और फायर सेंसरों का शोर मचाने को कहा गया। इसके बाद सूचना फैलाई गई कि होटल में आग लग गई है। होटल संचालकों ने फिर से कमरा पीटा और कहा कि जल्द बाहर निकलिए होटल में आग लगी है। दूसरी जगह शिफ्ट होना होगा।

    इसके काफी देर बाद उन्होंने कमरा खोला। जैसे ही कमरा खुला तो पुलिस कमरे में घुसी और उनका फोन छीन लिया। फोन छीनते ही चल रही वीडियो कॉल कट गई, लेकिन डॉक्टर यह समझ ही नहीं पाए कि असली पुलिस उन्हें बचाने आई है। वह उस वक्त भी साइबर ठगों के फंसे हुए जाल से निकल नहीं सके थे।

    इसके बाद पुलिस ने उन्हें डांटा और समझाया तो वह साइबर ठगों के जाल से बाहर आए। डॉ. नजबुल का फोन देखा तो पता चला कि साइबर ठग उन्हें अलग-अलग ट्रांजेक्शन के कई ओटीपी भेज चुके थे। बस उन्हें वह ओटीपी साइबर ठगों को बताने थे। इसके बाद सभी खाते खाली हो जाते।

    तीन खातों की दे चुके थे जानकारी, उनमें थे 50 लाख

    पुलिस ने उन्हें समझाया कि वह कोई असली पुलिस नहीं थी, बल्कि साइबर ठग थे, जिन्होंने उन्हें डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर बंधक बना लिया था। एसपी सिटी ने पूछा कि साइबर ठग उनसे क्या-क्या जानकारी ले चुके थे। तो उन्होंने बताया कि वह तीन खातों की पूरी जानकारी उन्हें दे चुके हैं।

    पुलिस ने पूछा कि उन खातों में कितने रुपये है? तो डॉक्टर ने जवाब दिया कि करीब 50 लाख। बहरहाल पुलिस ने डाक्टर नजबुल के 50 लाख रुपये ठगे जाने से बचा लिए।

    ठगों ने डॉक्टर को कैसे फंसाया?

    डॉ. नजबुल को जब यह पूरा यकीन हो गया कि वह साइबर ठग ही थे तो पुलिस ने उनसे पूछा कि आखिर ठगों ने उन्हें फंसाया कैसे? तो डॉ. नजबुल ने बताया कि दोपहर में उन्हें एक फोन आया। सामने वाले ने बताया कि उनका आधार कार्ड मुंबई में हवाला कारोबार में नरेश गोयल व उसके पार्टनर ने प्रयोग किया है।

    उनके आधार कार्ड से कई राज्यों में घोटाला भी किया गया है, जिसकी जांच आरबीआइ एवं सीबीआइ से की जा रही है। उन्होंने बताया कि साइबर ठगों ने धमकाया कि यदि वह फंसना नहीं चाहते तो तत्काल अपनी पासबुक व अन्य रिकॉर्ड लेकर किसी होटल में तीन दिन के लिए रुक जाओ।

    यह भी धमकाया कि फोन मत काटना, तुम्हारे घर के पास सीबीआइ पहुंच गई है, जो तुम पर नजर रख रही है। वह कहां जा रहे हैं, इस बारे में भी किसी को नहीं बताना है और जो भी कहा जाए, उसी के हिसाब से काम करते रहना है तो बचने की संभावना है।

    उसी के बाद से वह पिछले तीन घंटों से होटल में थे। जब तक दरवाजा खोला तब तक साइबर ठग तीन खातों की जानकारी ले चुके थे। पुलिस ने महज सात घंटे के भीतर डाक्टर नजबुल को आर्थिक नुकसान से बचा लिया।

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