कन्नौज में 72 फर्जी मजार पर दारुल इफ्ता मंजरी इस्लाम का जवाब, बोले- गलत है ख्वाब देखकर मजार बनाना व जियारत करना
Dargah E Ala Hazrat News कोई भी इंसान अपने ख्वाब के आधार पर मजार नहीं बनवा सकता। ऐसा करना और फिर जियारत करना सरासर गलत हैं। कन्नाौज के गांव सकरी में बनाई गई फर्जी दरगाह के खिलाफ दारुल इफ्ता मंजरी इस्लाम से यह फैसला दिया है।

बरेली, जेएनएन। Dargah E Ala Hazrat News : कोई भी इंसान अपने ख्वाब के आधार पर मजार नहीं बनवा सकता। ऐसा करना और फिर जियारत करना सरासर गलत हैं। ऐसे करने वाले तौबा जरूर करें। कन्नाौज के गांव सकरी में बनाई गई फर्जी दरगाह के खिलाफ दरगाह आला हजरत स्थित दारुल इफ्ता मंजरी इस्लाम से यह फैसला दिया गया है।
बताते हैं कि करीब 15 दिन पहले कन्नौज के गांव सकरी के एक शख्स ने ख्वाब देखा कि वहां एक बंजर मैदान में 72 कब्रें हैं, वहां पर मजार बनाए। इस पर शख्स ने वहां 72 मजारें बनवा दी। इसके बाद वहां भीड़ लगनी शुरू हो गई। दूरदराज से भी लोग वहां दुआ के लिए आने लगे। बरेली से भी कुछ लोग बसों से वहां गए तो मामला सामने आया। इस पर शीशगढ़ के गांव सिमरावा निवासी मौलाना जाहिद रजा कादरी ने दारुल इफ्ता मंजरे इस्लाम में सवाल डाल दिया।
दारुल इफ्ता के मुफ्ती सैयद कफील अहमद हाशमी और मुफ्ती अफरोज आलम ने जवाब में कहा कि ऐसी मजार जहां कोई दफन न हो, सिर्फ ख्वाब के आधार पर फर्जी मजार बनाना और असली की तरह उसे मानना गलत है। फर्जी मजार बनाना उस पर जियारत करना नाजायज और गुनाह के समान है। ऐसी जगह पर इकट्ठा होना भी नाजायज है। उन्होंने ऐसा करने वालों को गुनहगार करार दिया है।
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