बरेली के बाजार में गिरे झुमके को लेकर नई कहानी के तथ्य पर विवाद, असली कहानी क्या है, आइए समझते हैं
बरेली में प्यार का झुमका गिरा बैठीं तेजी सूरी की कहानी प्रचलित है। अब बरेली स्मार्ट सिटी कंपनी के स्वतंत्रता के वीरों पर आधारित लाइट एंड साउंड शो में बताया जाएगा कि बरेली के बाजार में झुमका नाम का सिपाही गिरा था।

बरेली, नीलेश प्रताप सिंह: 'झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में।' बालीवुड के इस सुपरहिट गीत के पीछे साहित्यकार हरिवंश राय बच्चन से निगाहें मिलाने के बाद अपने प्यार का 'झुमका' गिरा बैठीं तेजी सूरी की कहानी प्रचलित है। अब बरेली स्मार्ट सिटी कंपनी के स्वतंत्रता के वीरों पर आधारित लाइट एंड साउंड शो में बताया जाएगा कि बरेली के बाजार में 'झुमका' नाम का सिपाही गिरा था। इस तथ्य का कोई ऐतिहासिक आधार नहीं है। इतिहासकारों व साहित्यकारों का कहना है कि स्वतंत्रता की कहानी से जुड़े शो में इस तरह के भ्रम फैलाने वाले तथ्यों को प्रदर्शित नहीं किया जाना चाहिए।
सिपाही से जोड़ा तथ्य
आजादी के 75वें वर्ष में बरेली में लाइट एंड साउंड शो ऐतिहासिक जेल की दीवार पर प्रदर्शित करने की तैयारी है। इसमें एक तथ्य बरेली को पहचान दिलाने वाले 'झुमका गिरा रे..' गाने से जुड़ा हुआ है। बताया जाएगा कि अंग्रेजी शासन के दौरान एक सिपाही था जिसे 'झुमका' कहकर पुकारा जाता था। झुमका सिपाही की बरेली के बाजार में मृत्यु हो गई थी। यह खबर जेल में बंद क्रांतिकारियों तक 'झुमका गिरा रे' कोडवर्ड से पहुंचाई गई थी। हालांकि इस तथ्य की जानकारी इतिहास की पुस्तकों में कहीं नहीं है। थोड़ी-बहुत चर्चा रही है कि झुमका सिपाही जेल में बंद वीरों पर अत्याचार करता था। शो में कहा गया है कि कुछ कहानियां गुमनाम हो जाती हैं। झुमका सिपाही की कहानी भी गुमनामी के अंधेरे में चली गई। इस तथ्य पर प्रमुख थियेटर आर्टिस्ट डा. ब्रजेश्वर सिंह कहते हैं कि उन्होंने कभी झुमका सिपाही के बारे में नहीं सुना।
सुनकर ही चौंक गए वसीम बरेलवी
प्रसिद्ध शायर वसीम बरेलवी से 'झुमका' नामक सिपाही से जुड़े तथ्य के बारे में पूछा गया तो वह सुनकर ही चौंक गए। बोले, मेरी इतनी उम्र हो गई, लेकिन कभी ऐसा कुछ सुना नहीं। इतिहासकार प्रशांत अग्निहोत्री कहते हैं कि 'झुमका' सिपाही के बारे में मैंने कभी नहीं पढ़ा। इंटरनेट सामग्री प्रामाणिक न हो तो उसे इतिहास से जुड़े शो में शामिल नहीं करना चाहिए। इतिहासकार गिरिराज नंदन ने कहा कि बरेली के इतिहास में झुमका नाम का भी कहीं उल्लेख नहीं है। एक लेखक की प्रेम कहानी जरूर इस पर आई थी। मुझे लगता है, वही सही है।
हमें स्टोरी उपलब्ध कराई गई
स्मार्ट सिटी कंपनी ने यह शो दिल्ली के मयूर विहार स्थित टेम्फ्लो सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड से तैयार कराया है। इसके निदेशक बीएम माहेश्वरी का कहना है कि झुमका गिरा रे की स्टोरी स्मार्ट सिटी कंपनी ने उपलब्ध कराई है।
प्रचलित है यह कहानी
साहित्यकार हरिवंश राय बच्चन अपने मित्र बाल साहित्यकार निरंकार देव सेवक के बरेली स्थित घर वर्ष 1941 में आए थे। सेवक के मित्र आदित्य प्रकाश जौहरी के यहां उनकी पत्नी प्रेमा जौहरी की लाहौर से आई सहयोगी तेजी सूरी से बच्चन की मुलाकात हुई जो प्रेम में बदल गई। एक शाम शुभचिंतकों से तेजी ने कहा कि मेरा झुमका तो बरेली में गिर गया। यह बात फिल्मी गीतकार राजा मेहंदी हसन को बताई गई। वर्ष 1966 में उन्होंने मेरा साया फिल्म के लिए तेजी सूरी के किस्से पर झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में गाना लिखा, जो सुपरहिट हुआ। हरिवंश राय बच्चन ने भी अपनी प्रसिद्ध कृति 'नीड़ का निर्माण फिर' में लिखी आत्मकथा के दूसरे भाग में अपनी प्रेमकहानी का विस्तार से उल्लेख किया है।
इनका कहना है
स्वधीनता संग्राम 1857 के विद्रोह में पुरानी जिला जेल की भूमिका व बरेली के स्वर्णिम इतिहास को लाइट एंड साउंड शो के जरिए जेल के दीवारों पर उकेरेंगे। शो में 'झुमका' से जुड़ा कंटेट इंटरनेट व विकीपीडिया से लिया गया है। -अभिषेक आनंद, सीईओ, स्मार्ट सिटी और नगर आयुक्त, बरेली
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