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पर्वतारोही अरुणिमा बोलीं- बच्चों को लग्जरी जीवन देकर भोंदू न बनाएं मां-बाप

विश्व रिकॉर्डधारी पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा का मानना कि आज मां-बाप बच्चों को लग्जरी जीवन देकर संघर्ष करने से बचाते हैं। जरूरत उन्हें मिट्टी से जोडऩे की है।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Sat, 16 Feb 2019 12:41 PM (IST)Updated: Sat, 16 Feb 2019 03:06 PM (IST)
पर्वतारोही अरुणिमा बोलीं- बच्चों को लग्जरी जीवन देकर भोंदू न बनाएं मां-बाप

जेएनएन, बरेली :  विश्व रिकॉर्डधारी पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा का मानना कि आज मां-बाप बच्चों को लग्जरी जीवन देकर उन्हें भोंदू बना रहे हैं। उन्हें संघर्ष करने से बचाते हैं। जरूरत उन्हें मिट्टी से जोडऩे की है। बोलीं कि बरेली मेरी जिंदगी की दास्तां है। जब मुझे यहां ट्रेन से फेंका गया था, तब लोगों ने आगे आकर जिस तरह मेरी मदद की, मैं चाहती हूं कि यह खूबी हर शहर की होनी चाहिए। उन्होंने युवाओं को फौरन रिजल्ट पाने की उम्मीद न रखकर संघर्ष की सलाह दी। शनिवार को वह एक निजी डेंटल कॉलेज की मैराथन दौड़ में भाग लेने बरेली पहुंची थीं। 

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कौन है अरुणिमा सिन्हा

अरुणिमा सिन्हा पूर्व राष्ट्रीय स्तर वालीबाल खिलाड़ी तथा एवरेस्ट शिखर पर चढ़ने वाली पहली भारतीय दिव्यांग हैं। 12 अप्रैल 2011 को लखनऊ से दिल्ली जाते समय उनका बैग और सोने की चेन लूटने के लिए कुछ बदमाशों ने बरेली के निकट पद्मावती एक्सप्रेस से अरुणिमा को बाहर फेंक दिया था, जिसके कारण वह अपना एक पैर गंवा बैठी थी। लंबे समय तक अस्पताल में चले इलाज के बाद अरूणिमा ने गजब के जीवट का परिचय देते हुए 21 मई 2013 को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (29028 फुट) को फतह कर एक नया इतिहास रचते हुए दुनिया को चौंका दिया। ऐसा करने वाली पहली दिव्यांग भारतीय महिला होने का रिकार्ड अपने नाम कर लिया। ट्रेन दुर्घटना से पूर्व उन्होंने कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में राज्य की वॉलीबाल और फुटबॉल टीमों में प्रतिनिधित्व किया है।

दुनिया की सात सबसे ऊंची पर्वत चोटियों को कर चुकी हैं फतह

कृत्रिम पैर के सहारे एवरेस्ट (एशिया) फतह करने वाली दुनिया की एकमात्र महिला अरुणिमा अब तक किलीमंजारो (अफ्रीका), एल्ब्रूस (रूस), कास्टेन पिरामिड (इंडोनेशिया), किजाश्को (ऑस्ट्रेलिया), माउंट अंककागुआ (दक्षिण अमेरिका) और माउंट विन्सन (अंटार्कटिका) पर्वत चोटियों को फतह कर चुकी हैं।

पद्मश्री सम्मान से नवाजा जा चुका 

अरुणिमा की तमाम उपलब्धियों पर सरकार ने उन्हें 'पद्मश्री' अवार्ड से नवाजा था। ब्रिटेन की एक यूनिवर्सिटी ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि से भी सम्मानित किया था। 


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