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    पीलीभीत जिला अस्‍पताल में उखड़ती सांसों को नहीं मिला सहारा, मरीज को कंधे पर लादकर ले गए स्‍वजन, फोटो वायरल

    जिला अस्पताल की इमरजेंसी में सर्पदंश से पीड़ित मरीज ने अव्यवस्थाओं के आलम में दम तोड़ दिया। जिला अस्पताल में सुविधाओं व व्यवस्थाओं की बदहाली किसी से छिपी नहीं है लेकिन निरंतर सामने आ रही अव्यवस्थाओं के बाबजूद अधिकारियों की खामोशी जान के लिए मुसीबत बनती जा रही है।

    By Vivek BajpaiEdited By: Updated: Mon, 13 Jun 2022 10:52 AM (IST)
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    जिला अस्पताल मरीजों की उखड़ती सांसों को बचाने में लाचार साबित हो रहा है।

    पीलीभीत, जागरण संवाददाता। जिंदगी बचाने की उम्मीद में जिला अस्पताल आने वाला मरीज अव्यवस्थाओं से हारकर जान गंवा रहा है। प्रदेश सरकार सरकारी अस्पतालों में व्यवस्थाएं चाक चौबंद रखकर मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए प्रयासरत है, लेकिन आला अधिकारी सरकार के आदेशों से इत्तेफाक नहीं रखते। शनिवार रात जिला अस्पताल की इमरजेंसी में सर्पदंश से पीड़ित मरीज ने अव्यवस्थाओं के चलते में दम तोड़ दिया। जिला अस्पताल में सुविधाओं व व्यवस्थाओं की बदहाली किसी से छिपी नहीं है लेकिन निरंतर सामने आ रही अव्यवस्थाओं के बावजूद आला अधिकारियों की खामोशी लोगों की जान के लिए मुसीबत बनती जा रही है। अव्यवस्थाओं की बैसाखी पर लड़खड़ा रहा जिला अस्पताल मरीजों की उखड़ती सांसों को बचाने में लाचार साबित हो रहा है।

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    शनिवार देर शाम पूरनपुर क्षेत्र के गांव अमरैया कलां निवासी घनश्याम अपने खेत पर काम कर रहे थे। काम करते समय खेत में ही सांप ने काट लिया। आनन फानन में स्वजन घनश्याम को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। अस्पताल के मुख्य द्वार पर स्ट्रेचर नदारद मिला जबकि उपमुख्यमंत्री बृजेश कुमार पाठक ने मुख्य द्वार पर स्ट्रेचर व व्हील चेयर अनिवार्य रूप से रखने के आदेश दिए हैं। घनश्याम के स्वजन बिना देर किए कंधे पर लादकर इमरजेंसी में स्थित माइनर ओटी में लेकर पहुंचे। मौके पर स्वास्थ्य कर्मी नदारद मिले। वार्ड ब्वाय ने मरीज को स्ट्रेचर पर लिटाने की जहमत नहीं उठाई। इलाज में हुई देरी व लापरवाही के बाद घनश्याम ने दम तोड़ दिया। अकेले घनश्याम ही नहीं, जिला अस्पताल में ऐसा मंजर अक्सर देखने को मिल जाता है।

    घनश्याम की मौत एक बार फिर व्यवस्था के पहरेदारों के लिए यक्ष प्रश्न छोड़ गई। दर्द में तड़पते मरीज को बचाने की जगह जिला अस्पताल में उसका दर्द बढ़ाकर मौत के द्वार तक ले जाने के बढ़ते मामलों पर ध्यान क्यों नहीं दिया जा रहा। सरकारी नौकरी की आड़ में आरामतलबी का चोला ओढ़े बैठे डाक्टरों व स्वास्थ्य कर्मियों को मरीजों के साथ उत्तम व्यवहार के लिए प्रशिक्षित क्यों नहीं किया जाता जिससे उनकी कार्यशैली में जनसेवा का कौशल परिलक्षित हो सके।

    जिला पुरुष अस्‍पताल के सीएमएस विजय कुमार तिवारी ने कहा कि व्यक्ति अपने मरीज को जल्द से जल्द वार्ड में ले जाना चाहता था तो उसने कंधे पर उठा लिया होगा। अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में स्ट्रेचर व व्हीलचेयर मौजूद हैं। अस्पताल की छवि खराब करने के लिए वीडियो बनाकर वायरल की जाती हैं। सीसीटीवी कैमरे मौजूद हैं। पूरे मामले की जांच कराई जा रही है।