स्नातक में सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स भी बनाएंगे भविष्य, नई शिक्षा नीति ने खोले रास्ते
स्नातक में प्रवेश लेने वाले छात्रों के लिए नयी शिक्षा नीति में बदलाव हुआ है। अब ग्रेजुएशन करने वाले छात्रों के लिए तीन साल तक पढ़ने की बाध्यता नहीं है। सेमेस्टर सिस्टम लागू होने के बाद अब ग्रेजुएशन में डिग्री के साथ-साथ सर्टीफिकेट डिप्लोमा कोर्स भी कर सकते हैं।
बरेली, जेएनएन। स्नातक में प्रवेश लेने वाले छात्रों के लिए नयी शिक्षा नीति में बदलाव हुआ है। अब ग्रेजुएशन करने वाले छात्रों के लिए तीन साल तक पढ़ने की बाध्यता नहीं है। सेमेस्टर सिस्टम लागू होने के बाद अब ग्रेजुएशन में डिग्री के साथ-साथ सर्टीफिकेट, डिप्लोमा कोर्स भी कर सकते हैं। साथ ही संबंधित विषय में रोजगार पाकर भविष्य बना सकते है। नई शिक्षा नीति पाठ्यक्रम में बदलाव के तहत वीरांगना अवंतीबाई लोधी महाविद्यालय की बॉटनी की प्रो हिमशिखा का विशेष योगदान है। उन्होंने बताया कि नयी शिक्षा नीति के तहत ग्रेजुएशन कोर्स सेमेस्टर बेस्ड किये गये हैं।
जिसके तहत पाठ्यक्रमों में बदलाव हुआ है। साइंस के बच्चे मैथ, बायो, फिजिक्स, कैमिस्ट्री की जगह एक आर्ट का विषय लेकर भी पढ़ सकते हैं। इसके साथ ही अब तीन साल में किसी भी छात्र की एक साल खराब हो जाती है। तो उसे डिग्री का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। पहली साल में उसे सर्टीफिकेट मिलेगा। दो साल करता है तो डिप्लोमा मिलेगा। तीन साल में डिग्री मिलेगी। जो छात्र रोजगार पाना चाहते हैं। उन्हें ग्रेजुुएशन के चलते ही इन कोर्सेज के माध्यम से जॉब मिल सकता है। बाकी अगर छात्र आगे डिग्री लेना चाहते हैं। वो अपनी पढ़ाई सुचारु रख सकते हैं।
उन्होंने बताया कि आनर्स कोर्स चार साल के कर दिए गये हैं। जिसमें सेमेस्टर वाइज परीक्षाएं होंगी। इनमें भी सर्टीफिकेट और डिप्लोम, डिग्री का सिस्टम रहेगा। नयी शिक्षा नीति यदि लागू होती है। तो आर्थिक रुप सेकमजोर छात्र जल्दी जॉब पा सकते हैं। इनकी मान्यता ग्रेजुएशन ही होगी। लेकिन इसे सर्टीफिकेट कोर्स का दर्जा दिया जाएगा। ऐसे कोर्स करने वाले छात्र जॉब के साथ कोई भी प्रोफेशनल कोर्स भी कर सकते हैं। इसके बाद वो ग्रेजुएशन स्तर के बाद किसी भी प्रकार के प्रोफेशनल कोर्स करने के लिए सक्षम होंगे। डा हिमशिखा ने बताया कि नयी शिक्षा नीति प्रवेश से पहले लागू हो सकती है। यदि होती है तो छात्रों के भविष्य के लिए बेहतर विकल्प हैं।