कलीसिया के सहयोग से स्थापित हुआ था बीरभट्टी मैथोडिस्ट चर्च
शहर के सुभाष नगर की संकरी गलियों को पार करते हुए जब यहां अंतिम छोर पर पहुंचते हैं तो एक बस्ती है जिसे वीरभट्टी कहते हैं। वीर भट्टी में अधिकतर क्रिश्चियन समाज के लोग ही रहते हैं। वर्ष 1983 प्रभु इशु की प्रार्थना के लिए मैथोडिस्ट चर्च की गई थी।
बरेली, जेएनएन। शहर के सुभाष नगर की संकरी गलियों को पार करते हुए जब यहां अंतिम छोर पर पहुंचते हैं तो एक बस्ती है, जिसे वीरभट्टी कहते हैं। वीर भट्टी में अधिकतर क्रिश्चियन समाज के लोग ही रहते हैं। यहां के रहने वाले स्व. एसपी दयाल ने कलीसिया के सहयोग से वर्ष 1983 प्रभु इशु की प्रार्थना के लिए मैथोडिस्ट चर्च की स्थापना कराई थी।
स्व. एसपी दयाल एक सरकारी कर्मचारी थी। वर्ष 1930 में उनका जन्म हुआ था। सरकारी नौकरी करने के दौरान ही वह प्रभु इशु की भक्ति में करने लगे थे। वह चाहते थे कि जहां वह रहे हैं वहां एक प्रार्थना स्थल हो। इसके लिए वह लगातार प्रयास करते रहे। वर्ष 1983 में उन्होंने कलीसिया के सहयोग से मिलजुलकर प्रार्थना सभा करने के लिए एक हॉल का निर्माण कराया। इसके बाद से यहां समाज के लोग एकत्र होकर प्रार्थना करने लगे। वर्ष 1993 में एसपी दयाल का स्वर्गवास हो गया। बीरभट्टी में समाज के लोगों का जुड़ना जारी रहा। वर्ष 1999 में समाज के लोगाें ने ही प्रार्थना सभा के आगे के हिस्से का निर्माण कराया और इसे एक वास्तविक चर्च का रूप दिया। चर्च में पादरी अजीत पॉल के द्वारा प्रार्थना कराई जाती है, लेकिन इस चर्च की देखभाल अभी भी स्व. एसपी दयाल के पुत्र विनोद दयाल ही करते हैं।
बुधवार रात से शुरू हो जाएंगे कार्यक्रम
चर्च के संरक्षक और सचिव विनोद दयाल ने बताया कि कोविड के चलते इस बार कार्यक्रम सीमित होंगे। मानकों को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रम कराए जाएंगे। कार्यक्रम बुधवार रात से ही शुरू हो जाएंगे।