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    'आई लव मुहम्मद' पोस्टर व बैनर सिर्फ दिखावा, शिक्षा अपनाएं मुसलमान... जुमा नमाज के बाद धरना न दें, शहाबुद्दीन की अपील

    Updated: Thu, 02 Oct 2025 01:15 PM (IST)

    बरेली के मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने मुसलमानों से जुमे की नमाज के बाद धरना प्रदर्शन में शामिल न होने की अपील की है। आई लव मुहम्मद के नाम पर बवाल हुआ था और वे नहीं चाहते कि ऐसा दोबारा हो। उन्होंने इमामों से मस्जिदों में अमन बनाए रखने और युवाओं को बहकावे में न आने देने की अपील की। मुहम्मद साहब की शिक्षाओं पर अमल करने पर जोर दिया।

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    आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी।

    जागरण संवाददाता, बरेली। आई लव मुहम्मद' के बैनर की आड़ में 26 सितंबर जुमे की नमाज के बाद बवाल हुआ था, जिससे बाजार बंद होने के साथ ही दिन इंटरनेट बंद रहा। तीन अक्टूबर को जुमे (शुक्रवार) को नमाज के दौरान किसी तरह का विवाद न हो, इसके लिए बरेलवी मौलाना शहाबुद्दीन रजवी आगे आए।

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    ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने गुरुवार को जारी किये गये बयान में कहा कि पिछले जुमे के दिन जो घटना हुई वो बहुत अफसोसनाक है। शुक्रवार को फिर जुमे की नमाज अदा की जाएगी।

    रजवी ने सभी मुसलमानों से अपील करते हुए कहा कि वे जुमे की नमाज पढ़कर सीधे अपने घरों को वापस हो जाएं। चौक व चौराहों पर भीड़ का हिस्सा न बने, अगर कोई व्यक्ति धरना प्रदर्शन के लिए या इकट्ठा होने के लिए बुलाता है तो हरगिज न जाएं।

    कुछ मस्जिद के इमाम राजनीति का हिस्सा बन जाते है

    बरेलवी मौलाना ने मस्जिद के इमामों से अपील करते हुए कहा कि कुछ मस्जिद के इमाम राजनीति का हिस्सा बन जाते है, मगर अब उनको बखूबी सोचना होगा, और ऐसे राजनीतिक लोगों से अपना रिश्ता नाता खत्म करना होगा। मेरी इमामों से गुजारिश है कि बरेली के सियासी हालात को देखते हुए अपनी अपनी मस्जिदों में अमन व शांति बनाए रखने की अपील करें। नौजवानों को समझाएं कि किसी के बहकावे व भड़कावे में न आएं और अगर कोई व्यक्ति या संगठन जमा होने के लिए कहीं बुलाता है तो न जाएं।

    पोस्टर व बैनर तो सिर्फ एक दिखावा है

    मौलाना ने आगे कहा पैगंबर ए इस्लाम से मुहब्बत करना हमारा ईमान व अकीदा है, मगर उनकी शिक्षा पर अमल करना बेहद जरूरी है। वही असल मुहब्बत का पैमाना है, पोस्टर व बैनर तो सिर्फ एक दिखावा है, इसको मुहब्बत नहीं कहा जा सकता। पैगंबर ने ए इस्लाम ने टकराव की नीति कभी भी नहीं अपनायी, बल्कि अपने विरोधियों से हमेशा समझौता किया और बातचीत से मसले का हल किया।

    इस्लाम के इतिहास में दो समझे बहुत मशहूर है। जो 'सुलह हुदैवीया' और 'मिसाके मदीना' के नाम से जाना जाता है। मैं तमाम मुसलमानो से अमन व शांति बनाए रखने की अपील करता हूं।