रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को बाहर निकालने की तैयारी: बरेली में भाषा विशेषज्ञों की मदद से तलाशे जाएंगे संदिग्ध
बरेली में रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को बाहर निकालने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए भाषा विशेषज्ञों की मदद से संदिग्धों की पहचान की जाएगी। विशेषज्ञ उनकी भाषा और लहजे के आधार पर पहचान करेंगे। जिला प्रशासन ने इस अभियान के लिए तैयारी शुरू कर दी है। इसमें पुलिस और अन्य विभाग सहयोग करेंगे।

प्रतीकात्मक चित्र
जागरण संवाददाता, बरेली। शासन के निर्देश के बाद बरेली मंडल से भी घुसपैठियों को बाहर निकालने की तैयारी शुरू हो गई है। यहां रहने वाले रोहिंग्या और बांग्लादेशियों की पहचान के लिए बांग्ला भाषी लोगों की मदद ली जाएगी। इसके बाद जरूरत पड़ने पर त्रिपुरा और दक्षिण बंगाल से भाषा विशेषज्ञों को भी बुलाया जाएगा। घुसपैठियों को अस्थायी डिटेंशन सेंटर पर रखकर विस्तृत पूछताछ की जाएगी। फिर उन्हें वापस भेजा जाएगा।
बरेली मंडल में रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान और उन्हें वापस भेजने की प्रक्रिया जल्द तेजी पकड़ने जा रही है। शासन की सख्ती के बाद मंडलायुक्त भूपेंद्र एस. चौधरी ने जिलाधिकारी को अस्थायी डिटेंशन सेंटर बनाने के निर्देश दिए हैं। वहीं, पुलिस ने संदिग्ध विदेशी नागरिकों की खोज और सत्यापन के लिए अभियान शुरू कर दिया है।
मंडलायुक्त भूपेंद्र एस. चौधरी वर्ष 2000 में सीआरपीएफ के सहायक कमांडेंट के रूप में त्रिपुरा में तैनात रह चुके हैं। इस कारण वह बांग्लादेशी बोली की समझ भी रखते हैं। घुसपैठियों की पहचान के लिए उन्होंने त्रिपुरा व दक्षिण बंगाल से भाषा विशेषज्ञों को बुलाने की तैयारी में हैं।
मंडलायुक्त का कहना है कि बांग्लादेश की सीमा वाले क्षेत्रों सिलहट, चटगांव, पश्चिम बंगाल के आसपास क्षेत्रों में रहने वालों की बोली अलग होती है। उस भाषा को त्रिपुरा और दक्षिण बंगाल के लोग अच्छी तरह समझ लेते हैं। इसलिए जरूरत पड़ने पर वहां के भाषाई विशेषज्ञों को यहां घुसपैठियों की बोली और हाव-भाव पहचानने के लिए बुलाया जाएगा।
इससे पहले उस क्षेत्र के रहने वाले ऐसे लोग जो बरेली या आसपास नौकरी कर रहे हैं, उनसे संपर्क किया जाएगा। उनसे घुसपैठियों को पहचानने में मदद ली जाएगी। ऐसे लोग जो खुद को असम या पश्चिम बंगाल का निवासी बताकर यहां मजदूरी करते हैं, उनकी भाषा, उच्चारण और पहचान का परीक्षण होने पर उन्हें अस्थायी हिरासत केंद्र में रखकर विस्तृत पूछताछ की जा सकेगी।
ईंट-भट्ठों और फैक्ट्रियों में संदिग्धों पर फोकस
सूत्रों के अनुसार, जिले में कई ऐसे मजदूर हैं जो अपना परिचय भारत के पूर्वोत्तर राज्यों का बताते हैं, मगर उनकी भाषा और दस्तावेज संदेह पैदा करते हैं। पुलिस ने ईंट-भट्ठों, फैक्ट्रियों, झुग्गियों, अस्थायी बस्तियों और खानाबदोश समुदायों पर विशेष निगरानी शुरू की है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।