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    Bareilly Rubber Factory : बरेली के इंडस्ट्र्रियल हब बनने का खुल रहा रास्ता, 600 करोड़ देकर शासन ले सकता है अपने कब्जे में रबर फैक्ट्र्री

    By Ravi MishraEdited By:
    Updated: Thu, 09 Sep 2021 01:53 PM (IST)

    Bareilly Rubber Factory दिल्ली-बरेली राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित रबर फैक्ट्री परिसर में एक बार फिर इंडस्ट्रियल हब बनने का रास्ता साफ होता दिख रहा है। बरेली के एडीएम वित्त ने रबर फैक्ट्री पर 12 बैंक और कर्मचारियों के तकरीबन 600 करोड़ के लंबित भुगतान की फाइल रखी है।

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    Bareilly Rubber Factory : बरेली के इंडस्ट्र्रियल हब बनने का खुल रहा रास्ता,

    बरेली, जेएनएन। Bareilly Rubber Factory : दिल्ली-बरेली राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित रबर फैक्ट्री परिसर में एक बार फिर इंडस्ट्रियल हब बनने का रास्ता साफ होता दिख रहा है। बरेली के एडीएम वित्त मनोज कुमार पांडेय ने रबर फैक्ट्री पर 12 बैंक और कर्मचारियों के तकरीबन 600 करोड़ के लंबित भुगतान की फाइल रखी है। शासन में चर्चा होने के बाद डीएम नितीश कुमार ने बताया कि शासन लंबित भुगतान को चुकाकर परिसर को अपने कब्जे में ले सकता है। जमीन की मौजूदा कीमत के साथ इस मसले में विचार किया जा रहा है।

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    वर्ष 2018 में बरेली के दौरे पर आए हथकरघा विभाग के निदेशक रमारमण ने टेक्सटाइल पार्क और रबर फैक्ट्री की जमीन मिलाकर इंडस्ट्रियल हब बनाने का प्रस्ताव तैयार किया था। शासन ने विशेष सचिव (अवस्थापना व औद्योगिक विकास) डा. मुथु कुमार सामी बी. को नोडल अफसर नामित किया। राज्य सरकार ने वर्ष 1999 से बंद फैक्ट्री की भूमि पर कब्जा यानी पुनर्प्रवेश व स्वामित्व प्रक्रिया शुरू कराई। औद्योगिक विकास अनुभाग-3 से जारी आदेश में कब्जा लेने की प्रक्रिया समयबद्ध रुप से सुनिश्चित करने को कहा गया।

    इस कवायद से लगा था कि जल्द ही शासन रबर फैक्ट्री पर कब्जा ले लेगा। रबर फैक्ट्री मामले में उप्र राज्य औद्योगिक विकास निगम को नोडल एजेंसी नामित किया था। लेकिन शासन में मजबूत पैरवी नहीं हो सकी। हाल में डीएम नितीश कुमार ने कर्मचारी भविष्य निधि, श्रम विभाग समेत कई महकमों के साथ बैठक करके कर्मचारी भविष्य निधि और बैंकों के मूलधन के आकलन के लिए कहा। क्योंकि कर्मचारियों की तरफ से आने वाले दावों में मूलधन से अधिक ब्याज के आधार पर बड़ी रकम का दावा किया जा रहा है।

    बाम्बे हाईकोर्ट में अल-केमिस्ट असेस्ट रिकंसट्रक्शन कंपनी का वाद दायर है। वादी अल केमिस्ट ने फैक्ट्री की 1380.23 एकड़ भूमि, प्लांट, भवन, मशीनें आदि पर दावा किया था। बाम्बे हाईकोर्ट ने 19 अक्टूबर 2020 को वादी अल-केमिस्ट असेस्ट रिकंसट्रक्शन कंपनी को आठ सप्ताह में रबर फैक्ट्री जमीन पर कब्जा देने का आदेश दे दिए। हाईकोर्ट ने रिसीवर एनबी ठक्कर से इस आदेश का पालन कराने को कहा।

    हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक अल-केमिस्ट असेस्ट रिकंसट्रक्शन कंपनी को 14 दिसंबर 2020 तक रबर फैक्ट्री की सारी संपत्ति सौंपा जाना था। इस आदेश का अनुपालन भी शुरू हुआ, लेकिन तीन हजार वर्ग मीटर जमीन हस्तांतरित होने के बाद जमीन का बड़ा हिस्सा अवैध कब्जों में होने से प्रक्रिया को रुकवा दिया गया था। उत्तर प्रदेश शासन की तरफ से शासकीय अधिवक्ता अब केस की पैरवी कर रहे हैं। अब महाराष्ट्र में कोविड-19 संक्रमण अधिक होने की वजह से बाम्बे हाईकोर्ट में तारीख नहीं मिल पा रही है।

    एडीएम वित्त लखनऊ की बैठक में शामिल हुए है। विचार किया जा रहा है कि मूलधन और ब्याज चुकता करके परिसर पर शासन अपने कब्जे में ले। निर्णय शासनस्तर पर ही होना है। - नितीश कुमार, डीएम बरेली