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    मौलाना तौकीर रजा को कोर्ट में पेश होने के लिए तलब, हाजिर न होने पर जारी होगा वारंट; बरेली दंगे का माना गया मास्टरमाइंड

    Updated: Wed, 06 Mar 2024 09:37 PM (IST)

    शासन के निर्देश पर पुलिस अधिकारियों ने सीआरपीसी 169 का उपयोग किया। इसके अंतर्गत थाना प्रभारी ने कोर्ट में प्रार्थनापत्र दिया कि प्रथम दृष्टया आरोपित पाए गए मौलाना तौकीर के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिले। इसलिए रिहा कर दिया जाए। मौलाना को इसका लाभ मिला और चार मार्च को जेल से बाहर आ गया। चार्जशीट में भी नाम शामिल नहीं किया गया।

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    बरेली दंगे का सूत्रधार मौलाना तौकीर रजा को कोर्ट में पेश होने के लिए तलब

    जागरण संवाददाता, बरेली। दो मार्च 2010... कोहाड़ापीर से शुरू हुए दंगे में मौलाना तौकीर रजा खां का नाम शामिल था। प्रेमनगर थाने के पर्चा नंबर पांच में उल्लेख था कि इत्तेहाद ए मिल्लत काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना तौकीर ने भड़काऊ भाषण दिया। इसके बाद उग्र भीड़ ने हिंदुओं की दुकानें जला दीं।

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    तीन मार्च 2010... पर्चा नंबर छह में लिखा गया कि मौलाना तौकीर मुख्य षड्यंत्रकारी है। उसकी गिरफ्तारी भी हुई। इसके बाद अचानक उसे रिहा कर दिया गया। ऐसे कई प्रपत्र, 13 गवाहों के बयान, घायल हुए सात पुलिसकर्मियों की मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर मंगलवार को कोर्ट ने मौलाना तौकीर को दंगे का मास्टर माइंड माना।

    11 मार्च को उसे कोर्ट में पेश होना है। पुलिस उसे समन तामील करने की तैयारी कर रही है। दंगे वाले दिन 178 नामजद एवं हजारों अज्ञात पर प्राथमिकी हुई थी।

    सुनवाई के दौरान तल्ख टिप्पणी

    पुलिस रिकार्ड के अनुसार घटना के दौरान तौकीर रजा की उपस्थिति थी। इसी आधार पर तीन मार्च 2010 को उसे जेल भेजा गया था। इसके बाद अचानक कार्रवाई की दिशा बदल गई। चार मार्च 2010 को मौलाना तौकीर रजा को रिहा कर दिया गया। इस घटनाक्रम पर अपर सत्र न्यायाधीश (फास्ट ट्रैक) रवि कुमार दिवाकर ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान तल्ख टिप्पणी की थी।

    उन्होंने अपने आदेश में लिखा कि तत्कालीन सत्ता के प्रभाव में आकर अधिकारियों ने मौलाना तौकीर रजा का सहयोग किया। इस तल्खी के पीछे मौलाना की गिरफ्तारी और शीघ्र रिहाई थी। दंगे वाले दिन अधिकारी सख्त थे परंतु तीन मार्च की शाम से तेवर ढीले पड़ गए।

    चार्टशीट में भी नहीं शामिल किया गया नाम

    शासन के निर्देश पर पुलिस अधिकारियों ने सीआरपीसी 169 का उपयोग किया। इसके अंतर्गत थाना प्रभारी ने कोर्ट में प्रार्थनापत्र दिया कि प्रथम दृष्टया आरोपित पाए गए मौलाना तौकीर के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिले। इसलिए रिहा कर दिया जाए। मौलाना को इसका लाभ मिला और चार मार्च को जेल से बाहर आ गया। चार्जशीट में भी नाम शामिल नहीं किया गया। सुनवाई के दौरान यह तथ्य स्पष्ट होने पर न्यायाधीश ने नाराजगी जताई।

    उन्होंने सीआरपीसी 319 के अंतर्गत स्वत: संज्ञान लेकर गवाहों के बयान एवं पत्रावली आदि को आधार मानकर मौलाना तौकीर को मास्टमाइंड माना।

    अब आगे क्या

    पुलिस के अनुसार बुधवार को मौलाना तौकीर के दिल्ली में होने के कारण समन तामील नहीं कराया जा सका। मौलाना तौकीर को 11 मार्च को कोर्ट में पेश होना है।

    कानून के जानकार बताते हैं कि संभव है कि वह इस आदेश के विरुद्ध हाईकोर्ट चला जाए। इससे इतर, यदि 11 मार्च को कोर्ट में पेशी हुई तो जिरह होगी। इसके आधार पर न्यायाधीश अग्रिम आदेश देंगे। संबंधित तिथि पर पेश न होने की दशा में वारंट भी जारी किया जा सकता है। दूसरी ओर, मंगलवार को जारी आदेश में न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर ने अपनी सुरक्षा के प्रति चिंता भी जताई थी।

    इस पर एसएसपी घुले सुशील चंद्रभान का कहना है कि न्यायाधीश की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों को अधिक सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं।

    मौलाना को सरंक्षण देने वालों की पहचान हो-भाजपा के कोषाध्यक्ष

    बुधवार को अपने आवास पर पत्रकारों से वार्ता में भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेश अग्रवाल ने कहा कि मौलाना तौकीर रजा पर पुलिस कार्रवाई क्यों नहीं कर रही? ऐसे व्यक्ति को संरक्षण देने वालों की भी पहचान होनी चाहिए।

    कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर अपना काम कर दिया। अब सरकार को भी कदम बढ़ाना चाहिए। मौलाना पर पूर्व में कई प्राथमिकी पंजीकृत हैं। इसके बावजूद कार्रवाई नहीं हुई। अफसरों ने कार्रवाई नहीं की, इसलिए कोर्ट ने संज्ञान लिया है।

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