बदायूं मंडल ने किया इनकार, बरेली को फिर मिली रिंग रोड की जिम्मेदारी
बदायूं मंडल ने एनएच-530 बी से जोड़ने को प्रस्तावित 30 किमी लंबे रिंग रोड प्रोजेक्ट में भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में धांधली का आरोप लगाते हुए निर्माण से इनकार कर दिया। अब एनएचएआई मुख्यालय ने रिंग रोड निर्माण की जिम्मेदारी फिर से बरेली मंडल को सौंप दी है। माना जा रहा है कि इसको लेकर अब एनएचएआई की ओर से एलाइमेंट भी बदला जा सकता है।

जागरण संवाददाता, बरेली। एनएच-530 बी से जोड़ने को प्रस्तावित 30 किमी. लंबे रिंग रोड में भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में धांधली देख बदायूं डिवीजन ने प्रोजेक्ट का निर्माण करने से मना कर दिया। इस पर एनएचएआइ मुख्यालय ने रिंग रोड निर्माण की जिम्मेदारी एक बार फिर बरेली डिवीजन को दे दी। माना जा रहा है कि इसको लेकर अब एनएचएआइ की ओर से एलाइमेंट भी बदला जा सकता है।
दिल्ली-लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग से बदायूं रोड को जोड़ने के लिए 21 गांव के बीच से 30 किमी. लंबे रिंगरोड (बाइपास) की स्वीकृति मिली है। परियोजना के निर्माण की जिम्मेदारी बरेली एनएचएआइ को सौंपी गई थी। मगर, इसके धरातल पर उतरने से पहले बड़ी संख्या में कृषि भूमि का भू-उपयोग परिवर्तित कर अस्थायी निर्माण कर दिए गए। मुआवजा वितरण की कागजी प्रक्रिया पूरी होने के बाद अधिकारियों की ओर से भ्रष्टाचार छिपाने की कोशिश की गई।
परियोजना को बरेली डिवीजन से बदायूं डिवीजन को दे दिया गया था। मगर परियोजना के धरातल पर उतरने से पहले ही बड़े-पैमाने पर धांधली की बात सामने आने के बाद बदायूं डिवीजन ने मुख्यालय से प्रोजेक्ट को बरेली डिवीजन को देने की बात रख दी। इस पर मुख्यालय ने फिर से प्रोजेक्ट के निर्माण की जिम्मेदारी बरेली डिवीजन को दे दी है। इसको लेकर अब अधिकारी उहापोह की स्थिति में हैं।
दो पैकेज में बनना है रिंगरोड, धांधली ने रोकी प्रोजेक्ट की गति
शहर की यातायात व्यवस्था बेहतर बनाने के लिए शासन ने दिल्ली-लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग से आगरा-हाथरस, मथुरा जाने वाले राहगीरों के लिए 30 किमी लंबे रिंग रोड निर्माण की स्वीकृति दी है। वर्ष 2017 में प्रस्ताव बनने और 2020 में स्वीकृति के बाद करीब 1200 करोड़ रुपये से दो पैकेज में मार्ग को शाहजहांपुर रोड रजऊ परसपुर से लालफाटक रोड तक करीब 12 किमी और रामपुर झुमका तिराहे से रामगंगा तिराहे तक 18 किमी लंबे मार्ग का खाका खींचा गया।
इसी आधार पर 18 किमी वाले मार्ग पर 21 गांव के किसानों से भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही थी, जिसकी शिकायत के बाद एनएचएआइ मुख्यालय ने तत्कालीन पीडी बीपी पाठक और क्षेत्रीय अधिकारी पर कार्रवाई कर दी। परियोजना निदेशक प्रशांत दुबे ने बताया कि एनएचएआई मुख्यालय ने रिंग रोड प्रोजेक्ट को बनाने की जिम्मेदारी फिर से बरेली डिवीजन को दी है।
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