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    बरेली पुलिस का बड़ा एक्शन: फर्जी सिम बेचकर कंबोडिया-लाओस में ठगी कराने वाले 5 एजेंटों पर FIR

    Updated: Fri, 19 Dec 2025 10:38 PM (IST)

    बरेली पुलिस ने बड़ा एक्शन लेते हुए 5 ऐसे एजेंटों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है जो फर्जी सिम बेचकर कंबोडिया और लाओस में ठगी करवा रहे थे। यह कार्रवाई साइबर ...और पढ़ें

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    प्रतीकात्‍मक च‍ित्र

    जागरण संवाददाता, बरेली। साइबर अपराधियों की कमर तोड़ने के लिए पुलिस ने अब कठोर कार्रवाई शुरू कर दी है। पुलिस का कहना हैं कि साइबर अपराधियों की तीन सबसे जरूरी चीजें डाटा, बैंक खाते और फोन नंबर उन्हें न मिले तो साइबर अपराध नहीं होगा। इसी क्रम में अब पुलिस कार्रवाई शुरू कर रही है।

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    बरेली पुलिस ने शुक्रवार को पांच ऐसे लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी पंंजीकृत की थी जिन्होंने साइबर अपराधियों को सिम बेची थीं। इन सभी सिम का इस्तेमाल दक्षिणी पूर्व एशियाई देशों (कंबोडिया, म्यांमार, लाओस आदि) में हो रहा था। एसएसपी अनुराग आर्य ने साइबर अपराध को रोकने के लिए अभियान चलाया है।

    इसी बीच पुलिस को भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र से सूचना मिली कि बरेली से खरीदे गए कुछ सिम का इस्तेमाल अन्य प्रदेशों में हुई साइबर ठगी में किया गया है। वहां से रिपोर्ट आने के बाद उसे संबंधित थानों को भेजा गया। थाना पुलिस ने उस रिपोर्ट के आधार पर जांच की तो पता चला कि सिम बेचने वालों ने फर्जी दस्तावेजों पर सिम जारी कर दिया था।

    इस मामले में पांच थानों में पांच सिम बेचने वाले एजेंटों के विरुद्ध प्राथमिकी लिखी गई है। पहली प्राथमिकी प्रेमनगर थाने में कर्मचारी नगर के साईंधाम कालोनी निवासी अशोक के विरुद्ध लिखी गई। दूसरी प्राथमिकी बारादरी थाने में अशीष रायल पार्क निवासी हरवेंद्र सिंह, राज अग्रवाल, अनमोल रत्न, सुभाष चंद्र और कृष्णकांत के विरुद्ध लिखी गई।

    इसी तरह से तीसरी प्राथमिकिी फरीदपुर के सैदापुर निवासी सचिन कुमार, चौथी प्राथमिकी भुता के खजुरिया संपत निवासी हरिशंकर और पांचवी प्राथमिकी क्योलड़िया के रवि और उमेश के विरुद्ध दर्ज की गई है। पुलिस की प्रारंभिक जांच में सामने आया कि, आरोपितों ने फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर सिम जारी कर दिया। इन्हीं सिम से साइबर ठगी की जा रही थी।

    विदेशों में कैसे होता है इस सिम का इस्तेमाल

    साइबर एक्सपर्ट नीरज सिंह बताते हैं कि किसी दूसरे के नाम पर जारी सिम का इस्तेमाल दो तरह से हो सकता है। पहला दूर देशों में बैठे साइबर ठगों के पास इन सिम को किसी तरह से पहुंचाया जाए। वहां पर यह लोग इंटरनेशल रोमिंग के जरिए काल कर ठगी करते हैं। दूसरा और सबसे आसान तरीका भारत में ही सिम खरीदने वाला व्यक्ति इन्हें दूसरे नंबर से फोन कर नई सिम का नंबर बताए।

    साइबर ठग वहां पर अपने फोन में ओटीपी लेकर वाट्स-एप को शुरू कर लें। इसके बाद उसी से साइबर ठगे करें। दूसरा तरीका काफी ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है। भारतीयों को ठगने के लिए साइबर ठग भारतीय फोन नंबरों का ही इस्तेमाल करते हैं। क्योंकि विदेशी नंबर से काल करने पर जल्दी से किसी को फंसाया नहीं जा सकता।

     

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