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    Bareilly News: बुखार में अगर काम न करे पैरासिटामोल तो घबराए नहीं, हाइड्रोथेरेपी का करे इस्तेमाल, रखे खास ख्याल

    By Ravi MishraEdited By:
    Updated: Wed, 04 May 2022 03:46 PM (IST)

    Bareilly Health News बुखार आने पर अगर पैरासिटामोल जैसी दवा काम न करें तो परेशान होने की जरूरत नहीं है।बल्कि धैर्य रखते हुए पहले मरीज के सिर पेट सीने आदि में पानी की पट्टी रखें।इसके साथ ही उसे याेग्य चिकित्सक को दिखाए।

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    Bareilly News: बुखार में अगर काम न करे पैरासिटामोल तो घबराए नहीं, हाइड्रोथेरेपी का करे इस्तेमाल, रखे खास ख्याल

    बरेली, जेएनएन। Bareilly Health News : अगर पैरासिटामोल देने के बाद भी बुखार नहीं उतरे तो घबराने की जरूरत नहीं।बल्कि हाइड्रोथेरेपी का इस्तेमाल करते हुए मरीज का खास ख्याल रखते हुए किसी योग्य चिकित्सक की तुरंत सलाह ले।स्वास्थ्य से जुड़ा यह परामर्श वर्तमान में पैरासिटामोल के असर काे लेकर है। जो अब बुखार में दवा की मात्रा बढ़ाने पर भी कारगर नहीं हो रही।पैरासिटामोल की डाेज बढ़ाने के बाद भी बुखार उतर जाए इसकी कोई गारंटी नहीं है।

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    जिसके बाद चिकित्सकों को बुखार उतारने के लिए मेफेनामिक एसिड साल्ट देना पड़ता है। चिकित्सा विशेषज्ञों की मानें तो वायरल संक्रमण में कई ऐसे वेरिएशन देखने को मिलते है।जो बुखार नियंत्रित करने वाले सिस्टम को चकमा दे देते है।उनके अनुसार वायरस में आनुवांशिक बदलाव के चलते ऐसा होने की भी संभावना होती है।

    हाइड्रोथेरेपी का करें इस्तेमाल

    अगर दवा से बुखार कंट्रोल नहीं हो पा रहा है तो घबराने या परेशान होने की जरूरत नहीं है।तत्काल हाइड्रोथेरेपी का इस्तेमाल करें।हाइड्रोथेरेपी यानि सिर और हाथ पैर में ठंडे पानी की पट्टी चढ़ाना।यह विधि बुखार उतारने में कारगर है।इसके अलावा स्पंजिंग भी की जाती है।जिसके तहत रोगी के बदन को गीले कपडे़ से पोछा जाता है।जिससे उसके शरीर का ताप कम हो सके।इसके साथ ही मरीज को तुरंत किसी योग्य चिकित्सक को दिखाना चाहिए।

    इसलिए भी काम नही करती दवा

    चिकित्सा जगत के विशेषज्ञों के अनुसार कई बार बहुत से कारणों के चलते एंटीबायोटिक दवाए भी काम नहीं करती।ऐसे में स्थिति ये भी होती है कि बुखार उतारने की दवा भी निष्क्रिय हो जाती है।तब ठंडे पानी की पट्टी वाली थेरेपी ही काम में आती है।हालांकि कई बार मलेरिया या टायफायड न होने के बाद भी बुखार आता है।जिसके लिए अन्य बीमारिया जैसे यूरीन इंफेक्शन, लिवर इंफेक्शन, सहित अन्य कई संक्रमित रोगों में भी बुखार आता है।जो संक्रमण खत्म होने पर ही ठीक होता है।

    वजन के अनुपात में तय होती है डोज

    दवा की डोज वजन के हिसाब से तय की जाती है।इसके अलावा दवा देने में मरीज की भौतिक स्थिति का भी ख्याल रखना होता है।उसी के हिसाब से दवा की मात्रा निर्धारित की जाती है।हालांकि सामान्य स्थितियों में 40 किलोग्राम के वजन से ऊपर वाले व्यक्तियों को 650 से लेकर 1000 मिलीग्राम की दवाएं दी जाती है।

    बिना चिकित्सकीय सलाह के न ले दवा

    विशेषज्ञों के अनुसार बिना चिकित्सकीय सलाह के कोई भी दवा लेना काफी हानिकारक साबित हो सकता है।फिर भले ही वो पैरासिटामोल जैसी दवा क्यों न हो? कई बार पैरासिटामोल जैसी दवा भी जिंदगी के लिए खतरनाक साबित होती है।

    वाटर थेरेपी हमेशा से कारगर है लेकिन मरीज के केवल सिर पर कपड़ा रखने से बुखार हल्का नहीं होता है बल्कि उसके सीने पेट आदि पर भी गीला कपड़ा रखना चाहिए। मरीज को उसके शरीर के वजन के अनुसार पेरासिटामोल की खुराक दी जाती है बिना डॉक्टर की सलाह से मरीज दवाएं ना लें। डॉ. आशु अग्रवाल, वरिष्ठ फिजीशियन, जिला अस्पताल