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    बरेली में दो अफसरों ने कैसे बेच डाली रेलवे की 20 लाख की संपत्ति, जेल गए ठेकेदार ने खोले कई राज

    By Ravi MishraEdited By:
    Updated: Wed, 09 Mar 2022 06:21 AM (IST)

    Railway Crime बरेली में रेलवे के दो अफसरों द्वारा 20 लाख की संपत्ति बेचने का मामला सामने आया है।रेलवे को लाखों का चूना लगा रहे अफसरों का राज जेल गए ठेकेदार ने खोला। जिसके बाद रेलवे अपराध अनुसंधान शाखा ने दो सीनियर सेक्शन इंजीनियरों पर मुकदमा दर्ज कराया।

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    बरेली में दो अफसरों ने कैसे बेच डाली रेलवे की 20 लाख की संपत्ति, जेल गए ठेकेदार ने खोले राज

    बरेली, जेएनएन। Railway Crime : पूर्वोत्तर रेलवे के इज्जतनगर मंडल में एक बार फिर अफसरों ने रेलवे के लाखों रुपये के उपकरणों की चोरी करवा कर बेच दिया। मामले में रेलवे अपराध अनुसंधान शाखा (सीआइबी) ने दो सीनियर सेक्शन इंजीनियरों के विरुद्ध आरपीयूपी एक्ट की धारा तीन और चार के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कराया है। मुकदमा दर्ज करने के अगले ही दिन दोनों को जेल भेज दिया गया। बरेली सिटी आरपीएफ और रेलवे अपराध अनुसंधान शाखा (सीआइबी) की टीम ने 22 फरवरी को सिग्नल विभाग में हेराफेरी कर रेलवे को लाखों का चूना लगाने वाले गोरखपुर के आरोपित ठेकेदार अमरेंद्र कुमार सिंह को गिरफ्तार किया था।

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    अमरेंद्र कुमार की निशानदेही पर बिशारतगंज स्थित निजी गोदाम से करीब 10 लाख रुपये के इलेक्ट्रिक उपकरण बरामद किए थे। करीब 10 लाख रुपये के उपकरण इधर-उधर रेलवे में ही लगाकर गलत तरह से बि¨लग होने की भी पुष्टि हुई। पूछताछ में आरोपित ने बताया कि लालकुआं सेक्शन में हुए कार्य का सामान बिशारतगंज में बनाए एक निजी गोदाम में रखा गया था, जबकि शेष सामान लिखा पढ़ी में वापसी दिखाया गया था। सीआइबी ने कड़ाई से पूछताछ की तो आरोपित ठेकेदार ने सिग्नल निर्माण के सीनियर सेक्शन इंजीनियर घम्मन राम मीणा और रवींद्र सिंह राणा व दो बाबुओं की संलिप्तता स्वीकारी थी। जांच में पता चला कि इस पूरे हेरफेर में दोनों एसएसई संलिप्त थे।

    कुछ प्रपत्रों पर उनके हस्ताक्षर भी किए गए थे। मामले में दोषी प्रतीत होने पर आरपीएफ ने पांच मार्च को दोनों एसएसई के खिलाफ सिटी थाने में मुकदमा दर्ज किया था। छह मार्च को आरोपितों को जेल भेज दिया गया। मंडलीय जनसंपर्क अधिकारी का कहना है कि आरपीएफ ने जांच के दौरान कार्रवाई की है। ठेकेदार को मिले थे चार करोड़ के दो टेंडर इज्जतनगर मंडल से आरोपित ठेकेदार अमरेंद्र को चार करोड़ के दो टेंडर दिए गए थे। टेंडर में माल ढुलाई में जिस वाहन का प्रयोग दिखाया गया, जांच में वह वाहन भी फर्जी निकला है। कागजों में जिस पंजीकृत वाहन का जिक्र किया गया है, उसने रेलवे कार्य में कभी वाहन न जाने की बात लिखित रूप में दी है।

    ठेकेदार का गुडवर्क दिखाने वाली आरपीएफ ने छिपाई एसएसई की गिरफ्तारी आरोपित ठेकेदार अमरेंद्र को पकड़कर कार्रवाई का गुडवर्क दिखाने वाली बरेली सिटी आरपीएफ टीम ने रेलवे के अफसरों के प्रकरण को किसी से साझा नहीं किया। यहां तक कि पांच मार्च को दर्ज हुए मुकदमे के बारे में आठ मार्च से पहले तक मंडलीय पीआरओ को जानकारी नहीं थी। वहीं, आरपीएफ पोस्ट के अफसर भी इस मामले में कुछ भी बताने से बचते नजर आए।