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    Bareilly News : बरेली मंडल के सरकारी अस्पतालों का हाल, मरीज को भर्ती कराने के लिए लगानी पड़ती है सिफारिश

    By Ravi MishraEdited By:
    Updated: Fri, 20 May 2022 04:45 PM (IST)

    Bareilly Mandal Government Hospital News बरेली मंडल के अन्य जिलाें के सरकारी अस्पतालों के हाल भी बदायूं जिला अस्पताल से इतर नहीं है। कहीं सिफारिश पर भर्ती होते है मरीज ताे कहीं भगाए जाते है। ताे कहीं तीमारदार खुद ही स्ट्रेचर खींचते है।

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    Bareilly News : बरेली मंडल के सरकारी अस्पतालों का हाल, मरीज को भर्ती कराने के लिए लगानी पड़ती है सिफारिश

    बरेली, जेएनएन। Bareilly Mandal Government Hospital News : बरेली मंडल के सरकारी अस्पतालों की हालत जानकर आप चौंक जाएंगे।यहां सरकारी अस्पताल में जहां मरीजों को भर्ती कराने के लिए सिफारिश लगानी पड़ती है, वहीं चिकित्सक अस्पताल से मरीजों को भगा देते है।आलम ये है कि वह इमरजेंसी में भर्ती ही नहीं करते।इसके अलावा पीलीभीत का आलम ये है यहां स्वास्थ्य कर्मी किसी की नहीं सुनते। हालात ये तीमारदारों को मरीज का स्ट्रेचर खुद ही खींचना पड़ता है।वहीं जिम्मेदार शिकायतों का निस्तारण करने की बात बड़ी ही सरलता से बोलते है।जबकि हालात उससे इतर दिखते है।

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    बरेली में डॉक्टर भगा देते है मरीज, इमरजेंसी ने नहीं करते है भर्ती

    बरेली के जिला अस्पताल में इन दिनों सबसे ज्यादा शिकायतें इमरजेंसी में भर्ती नहीं करने को लेकर आ रही है।लोगों का कहना है कि जब भी इमरजेंसी में भर्ती होने जाओ तो डॉक्टर मना कर देते है।साथ ही दवाई न मिलने की भी शिकायतें काफी तादाद में लोग कर रहे है।इतना ही नही, लोगों का तो कहना ये भी है कि डॉक्टर अपने केबिन में नहीं बैठते, जब भी पर्चा लेकर जाओ और लाइन में लगे रहो मगर डॉक्टर नहीं मिलते।अस्पताल में साफ सफाई की भी तमाम लोग शिकायतें करते है।

    लोग शिकायतें कर रहे है।मगर वो सभी निराधार है, जिसे भर्ती करने की जरूरत होती है उसे भर्ती भी किया जाता है, और डॉक्टर भी बैठ रहे है। डॉ. मेघ सिंह, एडीएसआईसी, बरेली

    शाहजहांपुर में मरीज को भर्ती होने के लिए लगानी पड़ती है सिफारिश

    कहने को तो जिला अस्पताल को राजकीय मेडिकल कालेज का दर्जा मिले करीब चार साल हो चुके हैं।लेकिन उपचार कराने के नाम पर आज भी यहां मरीजों को घंटों परेशान होना पड़ता है।404 बेड के इस सरकारी अस्पताल में चिकित्सक को दिखाने के लिए काफी देर तक इंतजार करना पड़ता है।भर्ती होने वाले मरीजों को बेड के लिए सिफारिश भी करानी पड़ती है।समय से उपचार न मिलने की हर दिन चार से पांच मरीज व प्राचार्य व सीएमएस से शिकायत भी कर रहे है। स्वास्थ्य कर्मी को लेकर कई बार यहां मारपीट व तोड़फोड़ भी हो चुकी है लेकिन उसके बाद भी कोई सुधार नहीं हो रहा है।

    मरीज इन दिनों बढ़ गए है । जिस वजह से 20 बेड अतिरिक्त डलवा दिए गए है। मरीज जो शिकायत करते हैं उसका तत्काल निस्तारण कराया जाता है। डा.एयूपी सिन्हा सीएमएस

    पीलीभीत में नहीं सुनते स्वास्थ्य कर्मी, तीमारदार खींचते है स्ट्रेचर

    जिला पुरुष और जिला महिला अस्पताल का परिसर एक ही है लेकिन दोनों की व्यवस्थाओं में काफी अंतर है।जिला पुरुष अस्पताल में वैसे तो ओपीडी का समय सुबह आठ से दोपहर दो बजे तक निर्धारित है लेकिन कई बार चिकित्सक बीच में ही उठकर चले जाते हैं।इमरजेंसी कक्ष से मरीज को वार्ड तक ले जाना पड़े तो कर्मचारी सुनते ही नहीं, मजबूरी में तीमारदार खुद स्ट्रेचर खींचकर अपने मरीज को वार्ड तक ले जाते हैं।ओपीडी के दौरान बीच-बीच में चिकित्सकों का गायब होना रोजमर्रा की समस्या है।कई बार शिकायतें हुईं।निरीक्षण के दौरान अनुपस्थित पाए जाने पर वेतन कटौती भी हुई लेकिन फिर भी लापरवाही का आलम अपने चरम पर है।