शहाबुद्दीन रजवी: बरेली के मौलाना ने बयानों से लगाई सियासी गलियारों में आग, चपेट में आए सपा मुखिया और उनकी पार्टी
Bareilly Maulana Shahabuddin Razvi Statement बरेली के माैलाना ने अपने बयानों और खतों से लगाई सियासी गलियारे में आग लगा दी है। जिसकी चपेट में अब सपा मुखिया अखिलेश यादव और उनकी पार्टी नजर आ रही है।

बरेली, जेएनएन। Bareilly Maulana Shahabuddin Razvi Statement : अखिलेश, आजम, मुलायम, मुस्लिम, सपा के बीच आए बरेली के माैलाना शहाबुद्दीन रजवी अब खुलकर आ गए है। विधानसभा चुनाव के दौरान मुस्लिमों को लेकर बयान जारी करने वाले मौलाना के बयानों से जहां अखिलेश यादव पर सवाल खड़े हो रहे है। वहीं समाजवादी पार्टी भी अब मुश्चिल में दिखाई दे रही है। आजम की रिहाई न होने पर बरेली के माैलाना अपने बयानों से आग उगल रहे है। ये आग सियासी गलियारों में हलचल मचा रही है। जिसकी लपटों में सपा और उनके मुखिया घिरते जा रहे है।आइए जानते है वो कौन से बयान है जिनसे अखिलेश यादव पर सवाल खड़े हाेने लगे है।
आजम खां की रिहाई के समर्थन में उतरे बरेली के मौलाना शहाबुद्दीन ने विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद अपना बयान जारी किया था।उन्होंने भाजपा का विरोध न करने व मुस्लिमों से समाजवादी पार्टी छोड़ने का एलान करने की बात कही थी।उन्होंने सीधे तौर पर सपा मुखिया अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा था कि सपा मुखिया अखिलेश यादव स्वयं अपने समुदाय को पूरी तरह एकीकृत नहीं कर पाए।उनके इस बयान के बाद सपा के पदाधिकारियो ने पलटवार किया था।
अब चिट्ठी के जरिए जारी हुआ बयान।मौलाना शहाबुद्दीन ने जिस अंदाज में सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव को चिट्ठी लिखी है।उससे उनके तेवर साफ समझ में आते है।सवालों के जरिए मौलाना ने सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव को भी कठघरे में खड़ा कर दिया है ।उन्होंने आजम खां की रिहाई की बात सदन में न उठाने की बात कहते हुए जहां तीखा प्रहार किया है।वहीं पुराने मुद्दे याद दिलाते हुए आजम का पार्टी में योगदान भी बताया है।
सीएम योगी आदित्यनाथ को लिखी चिट्ठी में भी उन्होंने आजम खां की रिहाई की मांग की है।इस खत में भी उन्होंने आजम के लिए पार्टी और उनकी सरकार को दोषी ठहराया है।उनके द्वारा लिखी गई चिट्ठी और जारी किए गए बयानों के बाद अखिलेश घिरते नजर आते है।इसके साथ ही आजम खां का पार्टी के प्रतिनिधि मंडल से किनारा, उसके बाद सपा विधायक शहजिल इस्लाम का भी पार्टी से किनारा करने का संकेत देने के कई सियासी मायने निकल रहे है।जिनसे सपा मुखिया और पार्टी दोनों ही मुश्किल में नजर आ रहे है।
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