बरेली महिला अस्पताल में 'गायब' शिशु पर बवाल, जांच टीम ने अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट को ही बताया गलत
बरेली महिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड में जुड़वा बच्चे दिखने के बावजूद एक ही शिशु के जन्म पर बवाल। पिता का आरोप- लेबर रूम से बच्चा गायब हुआ, जबकि जांच ...और पढ़ें

सुरेश बाबू और राजेश्वरी देवी
जागरण संवाददाता, बरेली। निजी और जिला महिला अस्पताल की अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में भले ही जुड़वा शिशुओं का जिक्र हो लेकिन एक बेटी के जन्म के बाद से ही यह प्रकरण उलझा हुआ है। पीड़ित पिता अभी भी दूसरे शिशु के अस्पताल के लेबर रूम से गायब होने का दावा कर रहा है। इसके लिए मंडलायुक्त से लेकर डीएम तक दरखास्त भी दे चुका है।
इस मामले की जांच कर रही टीम ने पिता की सभी दलीलें और अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट को गलत ठहराते हुए यह नतीजा देकर किनारा कर लिया है कि दो नहीं, एक ही शिशु का जन्म हुआ है। इन सब के बीच, जांच टीम सभी के बयान लेने के साथ फाइनल रिपोर्ट तैयार कर ली है और अब इसे उच्चाधिकारियों को सौंपने की तैयारी की जा रही है।
आठ दिसंबर को भुता के जिगरेना निवासी सुरेश बाबू ने पत्नी राजेश्वरी देवी को जिला महिला अस्पताल में भर्ती कराया था। उसी दिन प्रसव हो गया और लेबर रूम का स्टाफ एक बेटी को लाकर सुरेश बाबू की गोद में सौंप दिया। जबकि भुता के एक निजी अल्ट्रासाउंड सेंटर और इसके बाद बच्चे के 33 हफ्ते का पूरा हो जाने के बाद महिला अस्पताल में राजेश्वरी देवी की अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में उनके गर्भ में दो शिशुओं के पलने की जांच सामने आई थी।
इन जांचों के इतर, एक ही बेटी के जन्म लेने के बाद से ही सुरेश बाबू महिला अस्पताल से बच्चा गायब होने का आरोप लगाते हुए दूसरे शिशु को पाने के लिए भटक रहा है। इस मामले लेकर मंडलायुक्त भूपेंद्र एस चौधरी और डीएम अविनाश सिंह की ओर से सीएमओ डा. विश्राम से जांच रिपोर्ट मांगी गई।
स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. सुमनलता के नेतृत्व में गठित तीन सदस्यीय टीम ने शनिवार को जांच तो पूरी कर ली। रिपोर्ट में पिता की सभी दलीलों को खारिज कर दिया गया। साथ ही राजेश्वरी देवी की अल्ट्रासाउंड की निजी और जिला अस्पताल में जुड़वा शिशुओं की रिपोर्ट को भी झुठला दिया गया। अधिकारियों का कहना है कि आठ दिसंबर को महिला अस्पताल के लेबर रूम में राजेश्वरी देवी ने एक बच्ची को जन्म दिया था।
विभागीय चिकित्सकों से ही जांच कराने पर उठ रहे सवाल
यह मामला काफी संजीदा था, लेकिन इसकी जांच के लिए जो टीम बनाई गई, उसमें महिला अस्पताल के ही दो चिकित्सकों को रखा गया। साथ ही जिला अस्पताल के एक रेडियोलाजिस्ट ने जांच की। चूकि यह मामला भी वहीं का था और जांच करने वाले चिकित्सक भी वहीं के रहे। इसलिए निष्पक्ष जांच को लेकर सवाल खड़े होने लाजिमी है।
इधर पीड़ित परिवार का भी कहना है कि दो जांचें कैंसे गलत हो सकती है। महिला अस्पताल में शिशु के आठ महीने का पूरा होने पर अल्ट्रासाउंड करना गया था। 14 नवंबर को दी गई रिपोर्ट में न केवल जुड़वा शिशु दिखाए गए, बल्कि उन दोनों की दिल की धड़कन भी अलग-अलग दर्शाई गई।
इसमें एक की 126 और दूसरे की 151 प्रति मिनट धड़कन का उल्लेख साफ तौर से किया गया है। इसके अलावा दोनों शिशुओं के शरीर की बनावट आदि का भी विवरण रिपोर्ट में दर्ज है तो ऐसे में जांच टीम की रिपोर्ट गले नहीं उतर रही। पीड़ित का कहना है कि अब बाहरी टीम से जांच कराई जाए, तभी विवेचना में निष्पक्षता लाई जा सकती है।
जांच पूरी कर ली गई है। इसमें अल्ट्रासाउंड को लेकर भी गड़बड़ी सामने आ रही है। उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट भेजी जा रही है। इसके बाद इसमें क्या कार्रवाई होगी, यह तय की जाएगी।
- डा. त्रिभुवन प्रसाद, सीएमएस, जिला महिला अस्पताल
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