GRP थाने में पुलिसकर्मियों के बीच चली गोलियां, इंस्पेक्टर समेत दो घायल; CO बोले- धोखे में हुई घटना
बरेली के जंक्शन जीआरपी थाने में चार पुलिसकर्मियों के बीच सरकारी पिस्टल से दो गोलियां चलने से इंस्पेक्टर परवेज अली और सिपाही छोटू घायल हो गए। सीओ अनिल कुमार ने इसे स्क्वाड ड्यूटी के समय धोखे से गोलियां चलना बताया और लापरवाह इंस्पेक्टर व तीन सिपाहियों को निलंबित कर दिया। घटना में कई सवाल उठे जैसे कि गोलियां कैसे चलीं और प्राथमिकी क्यों नहीं हुई।

जागरण संवाददाता, बरेली । जंक्शन जीआरपी थाने में चार पुलिसकर्मियों की मौजूदगी के बीच अचानक सरकारी पिस्टल से दो गोलियां चल गईं। इसमें इंस्पेक्टर परवेज अली और सिपाही छोटू घायल हुए मगर, गोलियों की गूंज दो दिन तक थाने में दबा दी गई। कुछ लोग इसे लेनदेन का विवाद बता रहे तो कुछ ने पार्टी के दौरान झगड़े का दावा किया।
जीआरपी कठघरे में खड़ी होने लगी तब गुरुवार को सीओ अनिल कुमार मीडिया के सामने आए। उन्होंने स्क्वाड ड्यूटी के समय धोखे से गोलियां चलने की बात कहते हुए लापरवाह इंस्पेक्टर व तीन सिपाहियों के निलंबन की जानकारी दी। उनकी कहानी में कई सवाल उठे तो तर्क दिया कि गाजियाबाद के सीओ जांच करेंगे, उनकी विस्तृत रिपोर्ट आने का इंतजार करें।
रात 10.10 बजे से 10.20 बजे के बीच हुआ 'गोलीकांड'
राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) का थाना जंक्शन के सर्वाधिक भीड़ वाले प्लेटफार्म नंबर एक पर है। इसी थाने में मंगलवार रात 10.10 बजे से 10.20 बजे के बीच 'गोलीकांड' हुआ। गुरुवार रात आठ बजे प्रेसवार्ता के दौरान सीओ मुरादाबाद अनिल कुमार ने कहा कि सिपाही छोटू कुमार व मोनू को पद्मावत एक्सप्रेस में ड्यूटी करनी थी। वे दोनों मालखाना पहुंचे तो मुंशी मनोज कुमार ने पिस्टल दी। इसे चेक करने के दौरान छोटू कुमार की पिस्टल से अचानक गोली चली जोकि छत से टकराकर वापस उसके माथे से रगड़कर निकल गई।
गोली की आवाज सुनकर इंस्पेक्टर परवेज पहुंचे, इस बीच छोटू वहां से चला गया। मुंशी मनोज कुमार ने जमीन पर गिरी पिस्टल की मैगजीन निकालने का प्रयास किया तो दूसरी गोली चली, जोकि दीवार व कंप्यूटर से टकराने के बाद इंस्पेक्टर परवेज अली के रगड़ते हुए निकल गई। घायल इंस्पेक्टर व सिपाही छोटू उपचार कराने चला गया, अन्य दोनों सिपाहियों ने भी घटना की जानकारी नहीं दी इसलिए एसपी आशुतोष शुक्ला ने चारों को निलंबित कर दिया।
सीओ का कहना था कि वह बरेली में ही थे, इसके बावजूद बुधवार शाम तक इंस्पेक्टर ने कुछ नहीं बताया। बाद में पता चलने पर विभागीय जांच बैठाई। दो दिन बाद प्रकरण पर सार्वजनिक रूप से कहा गया कि पिस्टल रखने में त्रुटि व सूचना देने में लापरवाही की गई।
दोनों गोलियां एक ही प्रकार से चलकर छत से टकराईं ? दोनों की रगड़ एक-एक पुलिसकर्मी को लगी, कोई गोली खाली नहीं गई ? जांच टीम को थाने के सभी एक दर्जन कैमरे खराब मिले ? यात्रियों की सुरक्षा का जिम्मा लेने वाले जीआरपी थाने के सभी कैमरे खराब होना अचंभित करने वाला क्यों नहीं ?
गोलियां चलने के बाद भी प्राथमिकी क्यों नहीं हुई ? सीओ के सामने ऐसे कई सवाल उठाए गए मगर, जवाब नहीं आए। उन्होंने स्वीकारा कि कैमरे खराब पाए गए परंतु, इसकी वजह नहीं पता। जीआरपी के सीओ गाजियाबाद को जांच सौंपी गई है, अन्य बिंदु विस्तृत जांच में स्पष्ट होंगे।
थाने के आसपास चर्चा, झगड़ा हुआ था
जंक्शन जीआरपी थाने के आसपास चर्चा रही कि मंगलवार रात को इंस्पेक्टर व तीनों सिपाही एक साथ मालखाना में थे। उनके बीच कुछ ऐसी बातचीत हुई, जिससे झगड़ा हो गया। इसके बाद गोलियां की आवाज आई और कुछ देर बाद इंस्पेक्टर व सिपाही निकलकर बाहर चले गए।
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