Bareilly Export News: दस लाख नुकसान के बाद नहीं हारी हिम्मत, आज फांस, इटली सहित 18 देशों में एक्सपाेर्ट कर रहे जरी के काम वाले गाउन
Bareilly Export News कहते हैं हर सफल इंसान के पीछे एक महिला का हाथ होता है। बरेली के एक्सपोर्टर सुदीप राजगढ़िया का किस्सा भी कुछ ऐसा ही है। पत्नी शिखा खाना बनाने की शौकीन थीं शहर के मॉल में एक रेस्टोरेंट की शुरुआत की।

बरेली, अंकित गुप्ता। Bareilly Export Newsकहते हैं हर सफल इंसान के पीछे एक महिला का हाथ होता है। बरेली के एक्सपोर्टर सुदीप राजगढ़िया का किस्सा भी कुछ ऐसा ही है। पत्नी शिखा खाना बनाने की शौकीन थीं, शहर के मॉल में एक रेस्टोरेंट की शुरुआत की। दो महीने में ही उसे बंद करना पड़ा। करीब दस लाख का नुकसान होने से शिखा टूट गईं। एंजाइटी की दिक्कत होने लगी, डिप्रेशन की शिकार हो गईं। पति का व्यवसाय भी भी ठीक नहीं चल रहा था। शिखा ने सलाह दी कि अब व्यवसाय को अपडेट करनी जरूरत है। पति सुदीप ने सलाह मानी और लहंगा कारचोबी के हल्के होते काम को जरी के काम में बदल दिया। शिखा ने जीतोड़ मेहनत की और पति सुदीप और खुद को एक एक्सपोर्टर के रूप में खड़ा कर दिया। आज शिखा और उनके पति के बनाए जरी की कारीगरी वाले गाउन की करीब फ्रांस, इटली, टर्की, अफ्रीका, सऊदी अरब, आस्ट्रेलिया, रूस, दुबई, जर्मनी समेत 18 देशों में डिमांड है।
एक कमरे से चार लोगों साथ शुरू किया था काम
सुदीप ने बताया कि वह मूलरूप से बिहार के मुजफ्फरपुर के रहने वाले हैं। वह कारचोबी का काम जानते थे तो बरेली आकर लहंगे का काम शुरू किया। समय के साथ फैशन अपडेट हुआ तो लोग कारचोबी वाले लहगें छोड़ डिजाइनर लहंगे खरीदने लगे। रेस्टोरेंट बंद होने से शिखा डिप्रेशन में थीं, लेकिन हिम्मत नहीं हारी थीं। उन्होंने कपड़ों में जरी के काम की डिमांड को देखते हुए व्यवसाय अपडेट करने को कहा। इसके बाद एक कमरे से चार कारीगरों की मदद से जरी का काम शुरू किया। जो आज एक बड़ी सी बिल्डिंग में संचालित हो रहा है।
12वीं पास शिखा विदेशी वायर्स को करतीं डील
शिखा बहुत सामान्य परिवार से थीं, 12वीं तक पढ़ीं है। बीसीए में एडमिशन लिया तभी उनका विवाह हो गया। हालातों से जूझ कर धीरे धीरे कर वह इतनी परिपक्व हो गईं कि आज विदेशी वायर्स को डील करने काम वहीं करती हैं। अलग अलग देशों के लोगों से अंग्रेजी में ही पूरी डील उन्हें अपने प्रोडक्ट के बारे में समझाने और डील तय करना आदि वही करती हैं। जबकि पति सुदीप मार्केटिंग के अलावा वेबसाइट संचालन का काम देखते हैं।
10 हजार से लाखों की कीमत वाले गाउन
शिखा ने बताया कि विदेशों से वायर बड़े बड़े डिजाइनर के डिजाइन भेजते हैं। वह चाहते हैं कि हम उसी की तरह ड्रेस तैयार करें। इसके चलते कई बार एक गाउन या ड्रेस की कीमत दो, तीन लाख तक पहुंच जाती है। बताया कि दस हजार से 70 हजार तक के गाउन की डिमांड अधिक रहती हैं। यहां से 70 हजार में जाने वाला गाउन विदेशी वायर्स 5 लाख तक में बेंचते हैं।
दिल्ली, मुंबई से आता कच्चा माल
जरी के इस काम में सबसे महत्वपूर्ण सितारे, डायमंड, बीड्स होते हैं। यह सभी दिल्ली मुंबई से आते हैं। इन छोटे छोटे पीस को ही जरी कारीगर कपड़े पर पहले से तैयार की गई डिजाइन पर सेट करते हैं। इसके लिए दिल्ली और मुंबई के कारोबारियों के संपर्क में रहते हैं।
वेबसाइट के जरिए जुड़ते विदेशी खरीदार
सुदीप ने बताया कि अपनी फर्म को गूगल पर रजिस्टर्ड कर रहा है। गूगल पर अपने उत्पादों का प्रमोशन भी कराते हैं। इसके अलावा ट्रेड इंडिया, अलीबाबा, इंडिया मार्ट, जस्ट डायल आदि वेबसाइट पर विदेशी वायर जुड़े होते हैं। वह हैंडीक्राफ्ट और जरी आदि के लिए सर्च करते हैं तो उन्हें उनकी कंपनी राजगढ़िया हैंडीक्राफ्ट्स एंड एक्सपोर्टर दिखती है। इसके चलते वह संपर्क करते हैं और अपनी डिमांड बताते हैं। कहते हैं कि अगर सरकार गूगल प्रमोशन के लिए मदद करें तो और सफलता मिल सकती है।
इन देशों में जाते यह उत्पाद
उत्पाद देश
हैंड एंब्रॉयडरी : अमेरिका, इजराइल, यूके
गाउन, स्कर्ट, पर्स, बैग : अमेरिका, फ्रांस, इंग्लैंड, इटली
कुशन, टेबल कवर, चादर : अरब देश, इटली, अमेरिका
काफतान, नकाब : अरब देश, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया
लहंगा, साड़ी : अरब और एशियाई देश
विंडिग जरी : जापान, यूरोप
लेदर बेस्ड जरी : यूएसए, यूके

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