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    बरेली की जिला जेल कैदियों के लिए बनी आरामगाह, अफसरों की शह पर जमकर काट रहे मौज- इस तरह खुला राज

    Updated: Thu, 21 Mar 2024 11:17 AM (IST)

    दोनों डाक्टरों को देररात हटा दिया गया।दरसअल जेलों का मासिक निरीक्षण होता है। डीएम एसएसपी व जिला जज जेल की स्थिति देखने को औचक निरीक्षण करते हैं। निर्व ...और पढ़ें

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    जिला जेल के अस्पताल में आराम फरमाते मिले बंदी

    अनुज मिश्र, बरेली : जेल अपराधियों के लिए आरामगाह बन गईं हैं। सेंट्रल जेल से सुपारी किलर आसिफ के लाइव वीडियो चैट का मामला शांत भी नहीं हुआ था कि अब जिला जेल अस्पताल में बंदियों की सुविधाओं का राजफाश हो गया। अफसरों के औचक निरीक्षण में कई बंदी जिला जेल के अस्पताल में आराम फरमाते मिले। इतना ही नहीं शराब पिये होने के अंदेशे पर दोनों डाक्टरों का मेडिकल कराया गया जिससे खलबली मच गई।

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    जिला जज समेत कई अफसर पहुंचे थे निरीक्षण करने

    दोनों डाक्टरों को देररात हटा दिया गया।  दरसअल, जेलों का मासिक निरीक्षण होता है। डीएम, एसएसपी व जिला जज जेल की स्थिति देखने को औचक निरीक्षण करते हैं। निर्वाचन कार्य में व्यस्तता के चलते डीएम के स्थान पर एडीएम, एसएसपी के स्थान पर एसपी सिटी जिला जज संग निरीक्षण को पहुंचे। जेल का हाल देखने के बाद सभी अस्पताल पहुंचे, जिन्हें देख कुछ बंदी हैरत में पड़ गए।

    गड़बड़ी की आशंका पर अफसरों ने कुछ बंदियों के भर्ती होने का कारण व चल रहे उपचार के संबंध में पर्चा तलब किया जिसमें पता चला कि तीन बंदियों का कोई उपचार ही नहीं चल रहा। वह सिर्फ अस्पताल में आराम फरमाने के उद्देश्य से लेटे हुए हैं। इस पर दोनों डाक्टरों शशांक व शील को तलब किया गया।

    दोनों के शराब पिये होने के अंदेशे पर मेडिकल के लिए भेज दिया गया। तत्काल ही सीएमओ डा. विश्राम सिंह को दोनों डाक्टरों को हटाने के निर्देश दिये गए। अधिकारियों के निर्देश पर सीएमओ ने दोनों डाक्टरों को हटा दिया। किस उद्देश्य से अस्पताल में बंदियों को यह सुविधा दी जा रही थी, इस पर जांच भी बैठा दी गई है जिससे अफरा-तफरी मच गई है। बताया जाता है कि जिन बंदियों को आराम करवाया जा रहा था, वह फर्जीवाड़े के बड़े मामले में जेल में बंद हैं।

    डाक्टरों की अनुशंसा पर ही बंदी अस्पताल में होते हैं भर्ती

    जेल अधिकारियों के अनुसार, जेल में बंद बंदियों को कोई दिक्कत होने पर जेल के अस्पताल में ही बंदियों के उपचार की सुविधा है। डाक्टरों की अनुशंसा पर ही उन्हें भर्ती किया जाता है या फिर बाहर रेफर किया जाता है। ऐसे में साफ है कि जेल में बीमारी का बहाना बनाकर भी बंदियों की मौज कराई जा रही है।

    उमेशपाल हत्याकांड का रचा जा चुका है षडयंत्र

    प्रयागराज में बीते साल हुए उमेशपाल हत्याकांड के समय जिला जेल चर्चा में आई थी। पुलिस की जांच में पता चला कि उमेशपाल की हत्या का षडयंत्र माफिया अशरफ ने जिला जेल में ही रचा।

    हत्याकांड में शामिल सभी की जेल से बाहर निकलते सीसीटीवी फुटेज भी इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हुई थी। जेल में सुविधा शुल्क लेकर सुविधा मुहैया कराने में जेल वार्डरों व आरोपितों के मददगारों पर गाज गिरी थी। सभी जेल भेजे गए थे। हाल में ही सभी के विरुद्ध गैंगस्टर की कार्रवाई भी हुई है।

    सेंट्रल जेल में तीन निलंबित, हटे थे डिप्टी जेलर

    सेंट्रल जेल में बंद सुपारी किलर आसिफ को मोबाइल की सुविधा मुहैया कराने पर हाल में ही जेल वार्डर रविशंकर द्विवेदी, हंसजीव शर्मा व गोपाल पांडेय निलंबित किये जा चुके हैं। डिप्टी जेलर किशन सिंह वल्दिया को हटाकर मुख्यालय अटैच कर दिया गया जबकि जेलर विजय कुमार व नीरज कुमार से स्पष्टीकरण तलब किया गया। मामले में जांच प्रचलित है। हैरानी यह कि अब तक मामले में प्राथमिकी नहीं पंजीकृत कराई जा सकी।

    उच्चाधिकारियों के आदेश पर दोनों डाक्टरों शशांक व शील को हटाया गया है। दोनों पर जिला जेल अस्पताल में ड्यूटी के दौरान लापरवाही का आरोप है।  

    डा. विश्राम सिंह, सीएमओ