साइबर ठग के पाकिस्तान से जुड़े थे तार, चैट करने के बाद देता था वारदात को अंजाम, ऐसे ट्रांसफर होते थे पैसे
बरेली में साइबर ठगों के एक गिरोह का पर्दाफाश हुआ है जिसके सरगना मुशर्रफ के मोबाइल में पाकिस्तानी नंबरों से बातचीत का खुलासा हुआ है। ये बातचीत वायस संदेशों के माध्यम से होती थी जिसकी जानकारी पुलिस ने मेटा से मांगी है। गिरोह गरीबों के खाते खुलवाकर ठगी करता था और जम्मू-कश्मीर बैंक के खाते से हवाला कारोबार की आशंका है।

जागरण संवाददाता, बरेली। साइबर ठगों को खाते उपलब्ध कराने वाले गैंग की बातचीत पाकिस्तानी नंबरों से होती थी। पुलिस ने गैंग के सरगना मुशर्रफ के मोबाइल से कई पाकिस्तानी नंबरों से चैट और काल्स बरामद की है। हैरत बात यह है कि सभी चैट वायस संदेश भेजकर होती थी।
पुलिस ने अब मेटा से उन नंबरों की पूरी जानकारी मांगी हैं। आशंका है कि वह नंबर इंटरनेट जेनरेटेड भी हो सकते हैं। वहीं एक खाता जम्मू-कश्मीर बैंक का भी है जिससे मुशर्रफ की गतिविधियों और भी संदिग्ध हो गई हैं।
गिरोह के चार लोग गिरफ्तार
प्रेमनगर पुलिस ने बुधवार को साइबर ठगों को खाते उपलब्ध कराने वाले गिरोह का चार सादस्यों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। पूछताछ में पता चला कि इस गिरोह का सरगना इज्जतनगर के परतापुर चौधरी निवासी मुशर्रफ है। उसके साथ सदस्यों के रूप में किला के चौधरी तालाब निवासी अब्दुल रज्जाक, सीबीगंज के जोहरपुर निवासी निशांत श्रीवास्तव और किला के ही शिवम गोश्वामी काम करता है।
गिरोह के सभी सदस्य गरीब असहाय, ठेले-फड़ व रिक्शे वालों के खाते खुलवाते थे। बदले में उन्हें एक से दो हजार रुपये भी दे देते थे। पुलिस ने जब इस मामले में आगे जांच की और मुशर्रफ का मोबाइल खंगाला गया तो उसमें कई पाकिस्तानी नंबरों से चैट मिली। वायस नोट सुनने पर पता चला कि दोनों ओर से खातों की जानकारी वायस संदेश के रूप में ही भेजी जाती थी। चैट में पुलिस को जम्मू कश्मीर बैंक का भी खाता मिला है।
इससे हवाला के कारोबार की भी आशंका हैं, हालांकि इस बारे में पुलिस जांच कर रही है। पुलिस का कहना हैं कि पाकिस्तानी नंबरों की विस्तृत जांच कराई जा रही है। सर्विलांस टीम के अलावा मेटा से भी उन नंबरों की जानकारी के लिए मेल किया गया है। वहीं दूसरी ओर इस गिरोह के फरार सदस्य हामिद, मोहित और जीशान की गिरफ्तारी के लिए दो टीमें लगी हैं।
पुष्टि के लिए बनाया जाता था वीडियो
साइबर ठगों ने आरोपितों को मनी ट्रेल के लिए भी इस्तेमाल किया। जिन खातों में साइबर ठगी की रकम ट्रांसफर की जाती थी। उनमें बरेली के भी कुछ खाते होते थे। बरेली के खातों में रकम भेजने के बाद साइबर ठग मुशर्रफ से बोलकर वह रकम एटीएम के माध्यम से निकलवा लेते थे। रकम निकलते ही रुपये ट्रांसफर होने की चेन टूट जाती थी।
बानाई जाती थी पूरी वीडियो
निकाले गए रुपये में अपनी कमीशन का 20 प्रतिशत निकालने के बाद मुशर्रफ बाकी की रकम को विड्राल करने वाली मशीन से संबंधित खाते में रुपये ट्रांसफर कर देता था। रुपये ट्रांसफर करने के पूरे प्रासिस की वीडियो बनाई जाती थी। ताकि यह बात की पुष्टि हो जाए कि रुपया भेज दिया गया है। उसी वीडियो को पाकिस्तान के नंबर पर भेजा जाता था।
प्लस 92 नंबर से कुछ चैट मिली हैं, यह इंटरनेट जेनरेटेड नंबर भी हो सकते हैं। बाकी इस पूरे प्रकरण की अभी जांच जारी है। इन नंबरों से वाट्स-एप चैट और काल होती थी। उसकी भी पूरी जानकारी कराई जा रही है। -आशुतोष शिवम, सीओ प्रथम।
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