बरेली में ऑटो ड्राइवर को आया हार्ट अटैक, दारोगा ने CPR देकर बचाई जान
बरेली में एक ऑटो चालक टिंकू को सैटेलाइट बस स्टैंड पर सीने में दर्द के बाद दिल का दौरा पड़ा। यातायात पुलिस दारोगा सत्यवीर ने तेजी से सीपीआर देकर उसकी जान बचाई। टिंकू जिसकी पहले ओपन हार्ट सर्जरी हो चुकी थी दारोगा की तत्परता से भावुक हो गया। दारोगा सत्यवीर ने बताया कि उन्होंने सीपीआर का प्रशिक्षण लिया था जिससे वे तुरंत प्रतिक्रिया दे पाए।

रजनेश सक्सेना, बरेली। किसी की जिंदगी बचाने का आत्मसंतोष व गौरवान्वित भाव महसूस करना हो तो बुधवार की घटना को सदैव याद रखिएगा...। दोपहर 1.30 बजे सेटेलाइट बस स्टैंड पर आटो चालक टिंकू सीना पकड़कर जोर से चीखे। फिर अचेत होकर वहीं गिर गए। उनकी चीख के साथ यातायात पुलिस के दारोगा सत्यवीर तेजी से झपटे। बमुश्किल 40 सेकंड में टिंकू तक पहुंचे और ऑटो की पिछली सीट पर लिटाकर उन्हें कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) देने लगे।
चार मिनट बाद टिंकू के शरीर में हुई हलचल उनके लिए नया जीवन थी। उनका ठंडी पड़ी नब्ज दोबारा लौट आई, शांत हो चुका दिल फिर से धड़कने लगा था... दारोगा सत्यवीर की जिंदादिली और समझदारी की वजह से। दोबारा सांसें पाकर भावुक टिंकू उनसे सिर्फ इतना कह सके कि आप लोगों को कोटि-कोटि प्रणाम। आपने मेरी जान बचा ली। आज आप नहीं होते तो मेरी जिंदगी बचना कठिन थी।
हो चुकी है ओपन हार्ट सर्जरी
आभार व्यक्त करने के बाद उन्होंने आपबीती सुनाई कि पिछले वर्ष 12 नवंबर को ओपन हार्ट सर्जरी से स्टंट पड़ चुके हैं। एक किडनी भी खराब है मगर, परिवार के भरण-पोषण के लिए ऑटो चलाने निकल पड़ते हैं। आज दोपहर को सेटेलाइट स्टैंड से जंक्शन की ओर जाना वाला था, तभी सीने में तेज दर्द होने लगा। चीखने के बाद मुझे सुध नहीं कि कहां हूं।
इसके आगे का घटनाक्रम दारोगा सत्यवीर बताते हैं कि टिंकू की स्थिति देखते ही समझ गया कि उन्हें हार्टअटैक हुआ है। उस समय साथ में ड्यूटी कर रहे हेड कॉन्स्टेबल इरशाद अली, होमगार्ड रामदुलारे व पीआरडी राम बहादुर को इशारा कर तुंरत टिंकू के ऑटो पर पहुंच गया। पूर्व में प्रशिक्षण ले चुका था इसलिए तुरंत सीपीआर देने लगा। बीच-बीच में हेड कॉन्स्टेबल उनकी नब्ज देखते रहे।
जागरण ने भी बताया था, तीन मिनट का समय महत्वपूर्ण सीपीआर देकर हम लोग भी दूसरों की जान बचा सकते हैं। इसको लेकर दैनिक जागरण ने भी जागरुकता अभियान चलाया था। 20 जनवरी से तीन मार्च तक जिले के चार हजार से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया था। वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. सुदीप सरन बताते हैं कि हार्ट अटैक के समय तीन मिनट के अंदर सीपीआर देने पर जान बचाई जा सकती है, अन्यथा मरीज का मस्तिष्क व किडनी डेमैज होने लगती है।
सीपीआर देते समय दोनों पसलियों के बीच (दिल के ऊपर) हथेली रखकर प्रति मिनट 120 बार तक जोर से नीचे-ऊपर दबाना होता है। वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ दीप पंत ने बताया कि स्टंड पड़ने के बाद यदि दवाएं नियमित नहीं ली जाएं या दूसरी नस में ब्लाकेज हो तब दोबारा हार्ट अटैक हो सकता है। ऐसी स्थिति में मरीज को सांस आने तक सीपीआर दिया जा सकता है।
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