राष्ट्रपिता का नाम मिटाना बर्दाश्त नहीं- मनरेगा विधेयक के खिलाफ बरेली में कांग्रेस का हल्लाबोल
मनरेगा विधेयक के विरोध में बरेली में कांग्रेस ने हल्लाबोल किया। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने महात्मा गांधी का नाम मिटाने के खिलाफ प्रदर्शन किया और सरकार क ...और पढ़ें

प्रदर्शन करते कांग्रेस कार्यकर्ता
जागरण संवाददाता, बरेली। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का नाम बदलकर नया विधेयक लाने पर कांग्रेसी बिफर पड़े। सोमवार को चौकी चौराहा पर पर जिला और महानगर कमेटी के पदाधिकारियों ने सरकार के विरुद्ध नारेबाज़ी करते हुए प्रदर्शन किया।
कांग्रेसियों ने कहा की यह प्रयास न केवल अत्यंत चिंताजनक, बल्कि एक सुनियोजित राजनीतिक षड्यंत्र है, जिसका उद्देश्य एक ऐतिहासिक, अधिकार, जनकल्याणकारी कानून को कमजोर करना और भारत के सबसे प्रभावी सामाजिक सुरक्षा कानून से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम और मूल्यों को मिटाना है। प्रदर्शन को संबोधित करते हुए जिलाध्यक्ष अशफाक सकलैनी ने कहा कि मनरेगा का जन्म जनसंघर्ष से हुआ है।
इस कानून ने ‘हर हाथ को काम दो, काम का पूरा दाम दो’ का वादा किया। इसने ग्रामीण भारत को काम मांगने का कानूनी अधिकार दिया, 100 दिनों के रोजगार की गारंटी सुनिश्चित की, विकेंद्रीकृत शासन को मजबूत किया, महिलाओं एवं भूमिहीन श्रमिकों को सशक्त बनाया और श्रम की गरिमा को बनाए रखा। मगर वर्तमान सरकार मनमानी पर उतर आई है, जिसका कांग्रेस पार्टी सहित पूरा विपक्ष विरोध करता है।
महानगर अध्यक्ष दिनेश दद्दा ने कहा कि मनरेगा का नाम बदलना बीजेपी-आरएसएस की महात्मा गांधी के मूल्यों के प्रति लंबे समय से चली आ रही असहजता और अविश्वास को दर्शाता है। यह राष्ट्रपिता के नाम को जन-केंद्रित कल्याणकारी कानून से हटाने का प्रयास है और सरकार इस अधिनियम के माध्यम से ग्रामीण जनता के अधिकार समाप्त करना है।
जिस तरह से बीजेपी सरकार मनमाने फैसले ले रही है, कांग्रेस पार्टी और पूरा विपक्ष उसका पुरजोर विरोध करता है। प्रवक्ता राज शर्मा ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हर भारतीय के दिल में बसते हैं। यदि सरकार के मन में गांधी के प्रति सम्मान नहीं है, तो ऐसी सरकार को सत्ता में बने रहने का नैतिक अधिकार भी नहीं है। गांधी के नाम को हटाना देश की आत्मा की हत्या के समान है।
बीजेपी की जनता विरोधी नीतियों के कारण कांग्रेस का हर कार्यकर्ता देश को बचाने के लिए सड़कों पर उतरने को मजबूर हो गया है। इस दौरान डा. मेहंदी हसन, रमेश श्रीवास्तव, तीरथ मधुकर, मुकेश वाल्मीकि, विनोद कुमार खान, डा. आशिफ हुसैन, साहिब सिंह कमरुद्दीन सैफी समेत अन्य पदाधिकारी रहे।

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