बरेली में प्रशासन की नाक के नीचे 'बड़ा खेल', फरियादियों की जेब पर डाका; चार साल से विकास भवन में फर्जी पार्किंग
बरेली के विकास भवन में पिछले चार सालों से फर्जी वाहन स्टैंड का संचालन हो रहा है जहाँ फरियादियों से अवैध वसूली की जा रही है। आरोप है कि यह सब विकास भवन के कर्मचारियों की मिलीभगत से चल रहा है। जिला विकास अधिकारी ने कहा है कि कोई ठेका स्वीकृत नहीं है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस फर्जीवाड़े पर अब कार्रवाई की मांग उठ रही है।

जागरण संवाददाता, बरेली। जनता की सुविधा के नाम पर विकास भवन में पिछले चार साल से खुलेआम फर्जी तरीके से वाहन स्टैंड का खेल खेला जा रहा है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि सरकारी इमारत परिसर में यह कथित ठेका न केवल धड़ल्ले से चल रहा है बल्कि अब तक किसी अधिकारी की नजर में नहीं आया।
फरियादियों से मनमानी वसूली की जा रही है, जबकि इसका कोई सरकारी ठेका ही पास नहीं है। सवाल उठता है कि आखिर इतनी बड़ी इमारत में बैठने वाले आला अफसरों की नजर अब तक इस फर्जीवाड़े पर क्यों नहीं पड़ी?
निजी व्यक्ति के जरिये हो रहा संचालन
विकास भवन की पार्किंग पर खड़े युवक पंकज कुमार ने स्वीकार किया कि वह पिछले चार साल से इस ठेके का संचालन कर रहा है। उसने खुलासा किया कि यह सब विकास भवन के ही एक कर्मचारी की मिलीभगत से हो रहा है। सरकारी कर्मचारियों से भले ही शुल्क न लिया जाता हो, लेकिन बाहर से आने वाले आम फरियादियों से गाड़ी के हिसाब से रकम वसूली जाती है। यह सब कुछ एक संगठित तरीके से चल रहा है, जिससे साफ है कि भीतरखाने में मिलीभगत के बिना यह संभव ही नहीं।
अधिकारियों की चुप्पी पर सवाल
जिला विकास अधिकारी दिनेश यादव ने जब इस मामले पर प्रतिक्रिया दी तो उन्होंने कहा कि विकास भवन की ओर से किसी तरह का कोई ठेका स्वीकृत ही नहीं किया गया है। उनका साफ कहना था कि यदि कोई व्यक्ति इस तरह का संचालन कर रहा है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जब यह गोरखधंधा चार साल से चल रहा है तो क्या अफसरों को इसकी भनक तक नहीं लगी या फिर जानबूझकर आंख मूंद ली गई।
फरियादियों की जेब पर डाका
हर दिन सैकड़ों लोग अपनी शिकायत लेकर विकास भवन पहुंचते हैं। इन्हीं फरियादियों की जेब पर यह कथित पार्किंग माफिया डाका डाल रहा है। कथित ठेकेदार के पास विकास भवन वाहन पार्किंग के नाम से पर्ची भी छपाई गई है। फरियादियों का कहना है कि मजबूरी में उन्हें पैसा देना पड़ता है, क्योंकि सरकारी भवन में हो रही इस वसूली को वे असली मान बैठते हैं।
जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग
फर्जी पार्किंग स्टैंड का खुलासा होते ही अब सवाल उठ रहा है कि इसमें केवल आरोपी युवक ही दोषी है या विकास भवन के वे कर्मचारी भी जो चार साल से इस खेल को पनाह दे रहे हैं। अब देखना होगा कि जिला प्रशासन इस फर्जीवाड़े पर सिर्फ बयानबाजी करेगा या जिम्मेदारों के खिलाफ सचमुच कार्रवाई भी करेगा।
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