Updated: Thu, 19 Dec 2024 09:11 PM (IST)
गंगा महारानी मंदिर पर फर्जी चौकीदार वाजिद द्वारा कब्जा करने का मामला सामने आया है। मंदिर की मूर्तियां और शिवलिंग हटा दिए गए थे। प्रशासन ने जांच कर पुष्टि की कि वाजिद कभी सहकारी समिति का कर्मचारी नहीं रहा। 1905 में मंदिर रजिस्ट्री हुई थी और 1956 में दो कमरे समिति को किराए पर दिए गए थे। वाजिद को सात दिन में कब्जा खाली करने का आदेश मिला है।
जागरण संवाददाता, बरेली। 150 वर्ष पुराने गंगा महारानी के मंदिर भवन पर साधन सहकारी समिति का बोर्ड लगाकर फर्जी चौकीदार वाजिद ने कब्जा कर लिया। वहां से मूर्तियां और शिवलिंग भी हटा दिया। गुरुवार को प्रशासन ने जांच कराई तो परतें खुलने लगी। मंदिर परिसर के दो कमरों को अपना घर कैसे बना लिया? वाजिद इस सवाल पर कोई उत्तर या प्रमाण नहीं दे सका।
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सरकारी रिकार्ड से भी पुष्टि हो गई कि वाजिद नाम का कोई कर्मचारी पहले कभी नहीं रहा, न ही अब तैनात है। उसे सात दिन में भवन खाली करने का अल्टीमेटम दिया गया है। भवन स्वामित्व का दावा करने वाले राकेश सिंह कब्जा हटने के इंतजार में हैं, ताकि वहां दोबारा मूर्तियों की स्थापना कराई जा सके। राकेश सिंह ने बताया कि उनके पूर्वजों ने मंदिर कटघर मुहल्ले में मंदिर बनवाया था।
किराए पर दिए थे दो कमरे
1905 में पूर्वज लक्ष्मण सिंह ने गंगा महारानी ट्रस्ट के नाम से रजिस्ट्री कर दी थी। मंदिर में गंगा महारानी की अष्टधातु की मूर्ति एवं सफेद रंग के शिवलिंग की स्थापना हुई थी, वहां क्षेत्र के लोग पूजा करने आते थे। 1956 में साधन सहकारी समिति की आवश्यकता पर पूर्वजों ने मंदिर भवन परिसर के दो कमरे किराए पर दे दिए थे। शेष हिस्से में पूजा-पाठ होता था।
1975-76 में वाजिद खुद को समिति का चौकीदार बताकर देखरेख करने लगा। इसके तीन वर्ष बाद समिति कार्यालय दूसरे गांव में शिफ्ट हो गया, परंतु वाजिद दोनों कमरों पर काबिज रहा, समिति का बोर्ड भी नहीं हटाया। आरोप है कि धीरे-धीरे मुहल्ले में मुस्लिम आबादी बढ़ने लगी तो वाजिद हनक दिखाने लगा। उसने मंदिर की मूर्तियां हटाकर 250 वर्ग मीटर के पूरे भवन पर कब्जा कर लिया।
40 वर्ष से वहां पूजा नहीं हो रही। राकेश ने मांग की कि पूरे भवन का सर्वे कराया जाए तो मंदिर का प्रारूप भी स्पष्ट हो जाएगा। उनकी शिकायत पर गुरुवार को डीएम रविंद्र कुमार ने जांच बैठाई। जांच अधिकारी नायब तहसीलदार बृजेश कुमार वर्मा मौके पर पहुंचे तो राकेश सिंह ने रजिस्ट्री आदि प्रपत्र दिखा दिए मगर, वाजिद के पास कोई प्रमाण नहीं था।
क्या बोले अपर जिला सहकारिता अधिकारी?
अपर जिला सहकारिता अधिकारी अर्जुन सिंह ने बताया कि कटघर के भवन में समिति का कोई कार्यालय या गोदाम नहीं है। वाजिद नाम का कोई कर्मचारी भी रिकार्ड में नहीं है। उनके बयान के बाद प्रशासन की टीम ने माना कि वाजिद ने अवैध रूप से मंदिर भवन पर कब्जा किया है। नायब तहसीलदार ने उससे हटने को कहा तो समय मांगने लगा। इसके बाद प्रशासन की टीम सात दिन में कब्जा हटाने का अल्टीमेटम देकर लौट गई।
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