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    'राहु काल में काई भी नया काम शुरू करने से बचें', ज्‍योत‍िष ने बताए कैसे पता करें इनकी गणना

    Updated: Mon, 23 Dec 2024 03:53 PM (IST)

    राहु काल में नए व्यवसाय का शुभारंभ भी नहीं करना चाहिए। किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए यात्रा भी नहीं करनी चाहिए। अगर कहीं घूमने की योजना बना रहे हैं तो भी इस काल में यात्रा की शुरुआत न करें। राहु काल में खरीदी-बिक्री करने से भी बचना चाहिए क्योंकि इससे हानि भी हो सकती है। वाहन मकान मोबाइल कम्प्यूटर आभूषण या कोई भी बहुमूल्य वस्तु खरीदने से भी बचना चाहिए।

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    राहु काल में नहीं करना चाह‍िए कोई भी नया काम।

    जागरण संवाददाता, बरेली। यज्ञ, हवन, विवाह, सगाई, धार्मिक कार्य, गृह प्रवेश जैसे कोई भी मांगलिक कार्य की शुरुआत राहु काल में करने से बचना चाहिए। यही वजह है कि अधिकांश लोगों में राहु काल को लेकर जानकारी करने की बड़ी जिज्ञासा रहती है। अगर आप भी राहु काल के बारे में जानकारी करना चाहते हैं तो आपके लिए यह लेख काफी सहायक होगा।

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    ज्योतिषाचार्य डा. विपिन चंद्र शर्मा बताते हैं कि राहु काल में नए व्यवसाय का शुभारंभ भी नहीं करना चाहिए। किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए यात्रा भी नहीं करनी चाहिए। अगर कहीं घूमने की योजना बना रहे हैं तो भी इस काल में यात्रा की शुरुआत न करें। राहु काल में खरीदी-बिक्री करने से भी बचना चाहिए क्योंकि इससे हानि भी हो सकती है।

    शुभ कार्य करने से बचें

    मान्यता है कि इस काल में शुरू किया गया कोई भी शुभ कार्य बिना बाधा के पूरा नहीं होता है। इसलिए यह कार्य न करें। राहु काल के दौरान अग्नि, यात्रा, किसी वस्तु का क्रय विक्रय, लिखा पढ़ी व बहीखातों का काम भी नहीं करना चाहिए। इसके अलावा राहु काल में वाहन, मकान, मोबाइल, कम्प्यूटर, टेलीविजन, आभूषण या अन्य कोई भी बहुमूल्य वस्तु खरीदने से भी बचना चाहिए।

    राहु काल की गणना सरल

    ज्योतिष से पीएचडी डा. विपिन चंद्र शर्मा बताते हैं कि राहु काल की गणना करना सरल है। वह बताते हैं कि सूर्य उदय से सूर्यास्त तक 12 घंटे हुए और 12 घंटे के आठ भाग करेंगे तो 90 मिनट का एक भाग बनता है, अर्थात डेढ़ घंटा राहु काल का समय होता है। वह बताते हैं कि सोमवार को दूसरा भाग सुबह 7:30 से 9:00 तक होता है।

    शनिवार को तीसरा भाग सुबह 9:00 बजे से 10:30 तक होता है। वहीं, शुक्रवार को चौथा भाग सुबह 10:30 से दोपहर 12:00 बजे तक रहता है। बुधवार को पांचवा भाग होता है, जो दोपहर 12:00 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक चलता है। गुरुवार को छठा भाग होता है, दोपहर 1:30 बजे से दोपहर 3:00 बजे तक होता है। वहीं, मंगलवार को सातवां भाग हाेता है, जो दोपहर 3:00 बजे से शाम 4:30 बजे तक रहता है। रविवार को आठवां भाग 4:30 से 6:00 बजे तक रहता है।

    राहु काल की मान्यता

    राहु काल के विषय में मान्यता है कि इस समय प्रारंभ किए गए कार्यो में सफलता के लिए अत्यधिक प्रयास करने पड़ते हैं। कार्यों में अकारण ही दिक्कत आती रहती है। इसके अलावा कई कार्य तो अधूरे ही रह जाते हैं। कुछ लोगों का मानना हैं कि राहु काल के समय में किए गए कार्य विपरीत और अनिष्ट फल प्रदान करते हैं।

    यह भी पढ़ें: Rahukal: राहुकाल को क्यों माना जाता है अशुभ, जानें राहुकाल गणना, क्या करें और क्या न करें

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