रोमन और आधुनिक स्थापत्य कला की मिशाल है सेंट अलफॉन्सस महागिरजाघर
नाथ नगरी में शिव मंदिरों व सिद्ध पीठ के साथ ही अंग्रेजों के जमाने के गिरजाघर भी है। क्रिसमस का पर्व नजदीक है। ऐसे में गिरजाघरों में क्रिसमस की तैयारियां जोरों पर है। शहर के कैंट में स्थित सेंट अलफॉन्सस महागिरजाघर इन्हीं में से एक है।
बरेली, जेएनएन। नाथ नगरी में शिव मंदिरों व सिद्ध पीठ के साथ ही अंग्रेजों के जमाने के गिरजाघर भी है। जो कि आज भी पुराने इतिहास को सहेजे हुए हैं। क्रिसमस का पर्व नजदीक है। ऐसे में गिरजाघरों में क्रिसमस की तैयारियां जोरों पर है। शहर के कैंट में स्थित सेंट अलफॉन्सस महागिरजाघर इन्हीं में से एक है। 1868 में बना यह गिरजाघर अपनी ऐतिहासिकता के लिए जाना जाता है। समय के साथ वैसे तो यह खंडहर हो गया था। लेकिन कुछ साल पहले ही इसका पुनर्निमाण कराया गया। पादरी हेराल्ड डि कून्हा के मुताबिक शहर का यह इकलौता गिरजाघर है जहां प्रभु यीशु पवित्र क्रास पर पर विराजमान हैं।
चर्च के पादरी बताते हैं कि 31 मई 2008 को तत्कालीन विशप एंथनी फर्नाडीस ने इस गिरजाघर का जीर्णोद्धार की नीव रखी थी। बनारस में स्थित सेंट मेरीज महागिरजाघर की हूबहू प्रति बरेली में यहां बनाई गई है। 20 अप्रैल 2010 को यह चर्च दोबारा बनकर तैयार हो गया। रोमन कैथोलिक के साथ ही आधुनिक यूरोपीय शैली में बने इस महागिरजाघर की सबसे बड़ी खासियत इसके हॉल के ऊपर बना पक्का लिंटर है। जिस पर विशालकाय पंखा टंगा है। खिड़कियों पर लगे कांच पर संतों के चित्र उकेरे गए हैं तो दरवाजों पर प्रभु यीशु की छवि बनाई गई है। दीवारों पर ईसा मसीह के संदेश भी लिखे गए हैं। इसके बराबर में एक वचन वाटिका और माता मरियम की विशेष मूर्ति बनी हुई है। वाटिका को इन दिनों सजाने व संवारने का काम किया जा रहा है।