यूपी के इस जिले में 8 आंगनबाड़ी भवन बनाने के लिए मिली 94 लाख की मंजूरी, ब्लॉक में 98 केंद्रों के पास नहीं बिल्डिंग
उत्तर प्रदेश के एक जिले में आठ आंगनबाड़ी भवनों के निर्माण के लिए 94 लाख रुपये मंजूर किए गए हैं। यह स्वीकृति ऐसे समय में आई है जब उसी ब्लॉक में 98 आंगनबाड़ी केंद्र भवन की कमी से जूझ रहे हैं। इन केंद्रों के किराए के भवनों या सामुदायिक स्थानों में चलने से बच्चों और कार्यकर्ताओं को परेशानी हो रही है।

संवाद सूत्र, बाराबंकी। ब्लॉक के आठ और आंगनबाड़ी केंद्रों के भवन का निर्माण कराया जाएगा। इसकी मंजूरी मिल चुकी है। एक भवन के निर्माण में 11 लाख 80 हजार रुपये खर्च होंगे। आंगनबाड़ी केंद्रों के भवन न होने से बच्चों और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका को परिषदीय विद्यालय अथवा किसी अन्य स्थान पर बैठना पड़ रहा है।
इस समस्या से निजात मिलेगी। ग्राम पंचायत बंदगीपुर, बरायन, चंदौली, मेहंदीपुर, सुलतानपुर भकोसा तथा पांडेपुरवा सहित आठ गांवों में आठ आंगनबाड़ी केंद्रों के भवनों का निर्माण कराया जाएगा। एक भवन का निर्माण 11 लाख 80 हजार रुपये से होगा।
इसमें दो लाख बाल विकास एवं परियोजना विभाग, इतनी ही धनराशि ग्राम पंचायत की ग्राम निधि मद से तथा सात लाख 80 हजार रुपए ग्राम पंचायत के मनरेगा मद से निर्माण कार्य में लगाए जाएंगे। आठ भवनों के निर्माण में 94 लाख 40 हजार रुपये खर्च होंगे। सीडीपीओ हरख इंदुलता ने बताया कि आठ और आंगनबाड़ी केंद्रों के भवन निर्माण को मंजूरी मिली है। इसके पहले वर्ष 2023-24 में आठ भवन बनाने की स्वीकृति मिली थी।
वर्षों से अधूरे पड़े भवन
ग्राम पंचायत शरीफाबाद, अकनपुर, सेठमऊ सहित आठ गांवों में वर्ष 2023-24 में आंगनबाड़ी केंद्रों के भवनों का निर्माण शुरू कराया गया था। शरीफाबाद पूर्व माध्यमिक विद्यालय परिसर में भवन अधूरा पड़ा है। यहां दीवारें खड़ी कर छत डाल दी गई है। मिट्टी पटाई प्लास्टर और पानी की व्यवस्था नहीं कराई गई। यही हाल अन्य गांवों में बनवाए जा रहे आंगनबाड़ी केंद्रों के भवन का है। बीडीओ प्रीति वर्मा कई बार अधूरे केंद्रों का कार्य पूरा कराने का निर्देश दे चुकी हैं लेकिन जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं।
98 केंद्रो के पास भवन नहीं
ब्लाक में 75 ग्राम पंचायते हैं, इनमें 191 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित है। सिर्फ 93 केंद्रों के पास भवन है। 98 आंगनबाड़ी केंद्रों के पास अपना भवन न होने के कारण दूसरे स्थानों पर संचालित हो रहे हैं।

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