Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नमो देव्यै:-महादेव्यै: महिलाओं के संकल्प से मिटा कुख्यात का दाग, गांव बना ब्रांड

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 07 Oct 2021 10:56 PM (IST)

    सूरतगंज ब्लाक के चैनपुरवा गांव की सूरत व सीरत महिलाओं के ²ढ़ संकल्प से बदल चुकी है। कच्ची शराब बनाने के लिए जिस गांव में भट्ठियां धधकती थी वहीं अब भट् ...और पढ़ें

    Hero Image
    नमो देव्यै:-महादेव्यै: महिलाओं के संकल्प से मिटा कुख्यात का दाग, गांव बना ब्रांड

    बाराबंकी : सूरतगंज ब्लाक के चैनपुरवा गांव की सूरत व सीरत महिलाओं के ²ढ़ संकल्प से बदल चुकी है। कच्ची शराब बनाने के लिए जिस गांव में भट्ठियां धधकती थी वहीं अब भट्ठियों पर मोम पिघलता है। महिलाओं ने न सिर्फ अपनी संकल्पशक्ति से गांव पर लगे दाग को मिटाया बल्कि अपनी आर्थिक समृद्धि का मार्ग भी प्रशस्त किया। अब चैनपुरवा ब्रांड के दीयों की मांग प्रदेश के अलावा गुजरात, दिल्ली सहित विभिन्न प्रांतों से हो रही है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यूं हुई शुरुआत

    आइपीएस अरविद चतुर्वेदी ने 21 सितंबर 2020 को गांव चौपाल लगाकर महिलाओं को शराब के अवैध कारोबार के दलदल से निकलकर सम्मानजनक जीवन जीने के लिए प्रेरित किया। महिलाएं आगे आईं तो डा. चतुर्वेदी ने निमित्त सिंह मधुमक्खी वाला के जरिये महिलाओं को मोम के दीये बनवाने का प्रशिक्षण दिलवाया। गांव में एनआरएलएम के तहत समूह गठित करवाए। समूह और प्रशासन के सहयोग ने दीया और बाती का काम किया। गांव में सात महिला समूहों से 80 महिलाएं जुड़ी हैं।

    महिलाओं को प्रोत्साहन देने के लिए जीआइसी आडीटोरियम में दीवाली से पहले दीपोत्सव आयोजित किया गया, जिसमें महिलाओं के बनाए पचास हजार दीयों ने रोशनी बिखेरी। इसका उन्हें पारिश्रमिक भी मिला। पहली बार करीब साढ़े तीन लाख दीये बनाए गए थे। मौजूदा समय चैन पुरवा की महिलाएं दीवापाली के ²ष्टिगत दीया बनाने में जुटी हैं। करीब एक लाख दीया तैयार बना चुकी हैं। अब चैनपुरवा ब्रांड बन गया है और यहां बने दीयों की मांग लखनऊ, कानपुर, अयोध्या, दिल्ली तथा दूसरे प्रांतों में भी होने लगी है। महिलाएं कच्चा माल मंगाने, तैयार करने, पैकिग सहित अन्य काम स्वयं ही करती हैं। एक रुपये प्रति दीया का मुनाफा होता है। सामुदायिक निवेष कोष के माध्यम से इन महिलाओं को कच्चे माल के लिए आर्थिक सहायता मिल रही है।

    रोचक है बदलाव की कहानी

    उत्थान व सद्भावना समूह की अध्यक्ष क्रमश : सुंदारा व जयवंती व सदस्यों में रीता व सविधि गांव की बदमानी की वजह और अब नाम के साथ दाम मिलने से आए बदलाव की कहानी खुलकर बताती हैं। प्रशासन का आभार जताते हुए सुंदारा कहती हैं कि छापा मारने वाली पुलिस ने मित्र की भूमिका निभाकर हमारा मान बढ़ाया है। जयवंती का कहना है कि उनके काम में उनके परिवार के पुरुष व बच्चे भी सहयोग करते हैं। रीना का कहना है कि गांव का नाम चैनपुरवा है लेकिन जब तक कच्ची शराब बनती थी तब एक भी दिन चैन की नींद नहीं आती थी। शुभ्रा का कहना है कि अच्छी प्रेरणा व सहयोग मिला तो हम सबने भी ठान लिया था कि बदलाव लाकर रहेंगे। रीना व सविधि का कहना है कि कैंडल के दीये से हम लोगों के जीवन में भी उजाला आ गया है।