सुशीला और अर्चना की कोशिश हर रही बेजुबानों की पीड़ा
पशु-पक्षी प्रकृति की अनमोल धरोहर हैं लेकिन मानव उपयोगी पशु पक्षियों की रक्षा कर रही हैं।
प्रेम अवस्थी, बाराबंकी
पशु-पक्षी प्रकृति की अनमोल धरोहर हैं, लेकिन मानव उपयोगी पशु पक्षियों को ही पसंद करता है। अनुपयोगी पशु-पक्षियों को उनके हाल पर छोड़ देता है। शहर में ऐसे भी लोग हैं जो प्रकृति की इस अनमोल धरोहर को सहेज रहे हैं। इनमें शहर के मुल्ला लक्ष्मणपुरी कालोनी की सुशीला वर्मा व गोकुल नगर की अर्चना मिश्रा का नाम अहम है।
सुशीला वर्मा शिक्षक हैं। गली मुहल्ले के बेसहारा पशुओं की सेवा के लिए इन्हें जाना जाता है। इनकी पशु सेवा का नतीजा यह है कि गली व सड़क पर हादसे का शिकार होने वाले बेसहारा पशुओं का आसरा इनके आवास का परिसर बन गया है। इनकी आवाज सुनते ही सारे कुत्ते सामने आ जाते हैं। बेसहारा गायों का जमावड़ा भी इनके दरवाजे पर सुबह-शाम लगता है। मजाल है कि गली में किसी कुत्ते व बेसहारा पशु को कोई छड़ी भी मार दे। सुशीला का कहना है कि पशु-पक्षियों के रूप में हमारे पूर्वज भी हमारे बीच आ सकते हैं। पर्यावरण संतुलन के लिए भी पशु-पक्षी जरूरी हैं। गोकुल नगर की अर्चना मिश्रा का बेसहारा पशुओं के लिए प्रेम नजीर बना हुआ है। इनके दरवाजे करीब दो दर्जन कुत्तों का डेरा रहता है। सभी को वह रोटियां व अन्य चीजें नियमित खिलाती हैं। लखनऊ-अयोध्या मार्ग घर से निकट से ही निकला है ऐसे में जब कभी कोई पशु सड़क दुर्घटना का शिकार होता है तो उसे उठाकर उसका इलाज कराती हैं। वर्षों से चली आ रहे इस नेम काम के लिए वह मीडिया, राजनेताओं व अधिकारियों का सहयोग भी मांगती हैं। अर्चना मिश्रा इसके लिए कई बार सम्मानित भी की जा चुकी हैं। पशु पक्षी एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए अर्चना ने कोशिश फाउंडेशन का गठन भी किया है।