Success Story : हाईस्कूल पास कर गांव के पहले अनमोल रतन बने रामकेवल, मां के प्रयास से हुआ दाखिला
Success Story मां ने बेटे का नाम राजकीय इंटर कालेज अहमदपुर में लिखा दिया। किसी तरह से 1700 रुपया एकत्र कर फीस जमा की। जब मां ने बेटे को पढ़ाने के लिए अपने पति जगदीश से पैसे मांगे तो उन्होंने मना कर दिया। पुष्पा ने हार नहीं मानी और स्कूल में रसोइया का कार्य करने पर मिलने वाले मानदेय से उन्होंने अपने बेटे को फीस के पैसे दिए।
जागरण संवाददाता, बाराबंकी : राजधानी लखनऊ के सबसे करीबी जिले बाराबंकी में शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल रही है रामकेवल की सफलता। जिले में निजामपुर मजरे के एक छात्र रामकेवल ने इस बार हाईस्कूल परीक्षा पास कर गांव में संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं।
वह अपने गांव के पहले ऐसे छात्र हैं, जिसने हाई स्कूल परीक्षा पास की है। बाराबंकी के डीएम शशांक त्रिपाठी ने राम केवल की इस सफलता पर उन्हें सम्मानित किया है और राम केवल व उनके परिवार को इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर हार्दिक शुभकामनाएं दी। डीएम ने राम केवल को भविष्य के लिए अनंत सफलताओं की कामना की है।
देश की आजादी के बाद से हाईस्कूल की परीक्षा पास करने वाले गांव के पहले छात्र की इस उपलब्धि पर न सिर्फ ग्रामीण, बल्कि शिक्षक भी बधाई दे रहे हैं। बनीकोडर के निजामपुर मजरे अहमदपुर के रामकेवल पांच भाई-बहनों में दूसरे नंबर के हैं। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा गांव से सटे प्राथमिक विद्यालय अहमदपुर प्रथम से प्राप्त की।
कक्षा पांच पास करने के बाद उन्होंने गांव से लगभग 200 मीटर दूर पूर्व माध्यमिक विद्यालय राजा कटरा से कक्षा आठ की परीक्षा उत्तीर्ण की। उसके बाद मां के प्रयास से उनका दाखिला राजकीय इंटर कालेज अहमदपुर में हुआ, जहां से उन्होंने हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की है। इस गांव में सात-आठ लोग ही आठवीं तक पढ़े लिखे हैं। कुछ लोग पांचवीं भी पास हैं।
- गांव की आबादी 200 से अधिक है, यहां करीब 40 परिवार रहते हैं
- यहां 1926 से प्राथमिक विद्यालय बना, जबकि थोड़ी ही दूर पर उच्च प्राथमिक विद्यालय राजा कटरा है
- आधा किलोमीटर पर राजकीय इंटर कालेज अहमदपुर भी है, जिसका शिलान्यास 2013 में किया गया था
गांव के चारों तरफ स्कूल होने का बावजूद निजामपुर के लोगों में पढ़ने की ललक नहीं थी। यहां के अधिकांश लोग मजदूरी कर अपना और अपने परिवार का पेट पालते हैं। ग्रामीण ननकू बताते हैं कि किसी ने भी आगे पढ़ने की नहीं सोची। सब मजदूरी करते हैं और अपने बच्चों को भी साथ में मजदूरी में लगा लेते हैं। गांव में अखिलेश, करन, सुनील, शिवकेश, पवन, मुकेश, सूरज कक्षा आठ पास हैं। बाकी कुछ लोग पांच पास हैं। सभी मजदूरी करते हैं। उपजिलाधिकारी रामसनेहीघाट अनुराग सिंह ने बताया कि रामकेवल गांव के पहले छात्र हैं, जिसने हाईस्कूल पास किया है। इनका उदाहरण सामने रखकर गांव में अन्य लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक किया जाएगा।
मां के प्रयास से हुआ दाखिला
रामकेवल के पिता जगदीश प्रसाद निरक्षर हैं, जबकि मां साक्षर हैं। जगदीश मजदूरी करते हैं। वह चाहते थे कि बेटा रामकेवल उनके साथ मजदूरी में हाथ बंटाए, किंतु मां पुष्पा ने अपने बच्चे को यह करने से रोका। कक्षा आठ पास करने के बाद मां ने बेटे का नाम राजकीय इंटर कालेज अहमदपुर में लिखा दिया। किसी तरह से 1700 रुपया एकत्र कर फीस जमा की। जब मां ने बेटे को पढ़ाने के लिए अपने पति जगदीश से पैसे मांगे तो उन्होंने मना कर दिया। पुष्पा ने हार नहीं मानी और स्कूल में रसोइया का कार्य करने पर मिलने वाले मानदेय से उन्होंने अपने बेटे को फीस के पैसे दिए। पुष्पा ने बताया कि जब वह छोटी थीं तो अपने भाई को ढिबरी को रोशनी में पढ़ते देखती थीं। तब पढ़ने की चाह थी, किंतु पढ़ न सकीं। सोचा अपने बच्चों को पढ़ाएंगी।
रामकेवल परिवार की मदद के लिए दिन में छोटे-मोटे काम करते थे, जैसे शादी के जुलूस में लाइट ले जाना। करीब 250 से 300 रुपये कमा लेते थे। देर से घर लौटने के बाद भी वे हर रात दो घंटे सोलर लैंप के नीचे पढ़ाई करते थे। रामकेवल ने कहा कि कुछ गांववाले मेरा मजाक उड़ाते थे और कहते थे कि मैं कभी पास नहीं हो पाऊंगा। मुझे हमेशा लगता था कि मैं उन्हें गलत साबित कर दूंगा। रामकेवल इंजीनियर बनना चाहते हैं, उनका मानना है कि इसे होने में समय लगेगा। उनका कहना है कि अभी भी यकीन नहीं होता कि उन्होंने दसवीं कक्षा पास कर ली है। उनकी सफलता ने गांव के अन्य लोगों को प्रेरित किया है। लवलेश व मुकेश जो इस साल पास नहीं हो पाए अब और मेहनत से पढ़ना चाहते हैं। जिला विद्यालय निरीक्षक ओपी त्रिपाठी ने कहा कि वह अन्य छात्रों के लिए एक आदर्श हैं। हम उनकी पढ़ाई आगे भी जारी रखने में समर्थन करेंगे।
प्राथमिक विद्यालय अहमदपुर प्रथम में छात्र का स्वागत
विद्यालय के पुराने छात्र रहे रामकेवल का स्वागत प्राथमिक विद्यालय अहमदपुर प्रथम में किया गया। प्रधानाध्यापक शैलेंद्र द्विवेदी ने बताया कि अंग्रेजी शासन काल से निजामपुर में यह विद्यालय है। 1923 में स्थापना हुई और 1926 से विद्यालय संचालित हुआ था। यहां से कांग्रेस नेता मोहसिना किदवई ने भी परीक्षा पास की थी।
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