हर-हर, बम-बम भोले के जयकारों से गूंजा महादेवा
रविवार से शुरू हुआ मेला सोमवार को होगी लाखों की भीड़ तैयारियां पूरी
गणेशपुर (बाराबंकी) : लोधेश्वर धाम महादेवा मंदिर के गर्भगृह में रविवार को प्रात: काल से शिव भक्तों की भीड़ उमड़ी। हर-हर, बम बम भोले के जयकारों से महादेवा परिसर गूंज रहा था। श्रद्धालुओं ने शिवलिग का जलाभिषेक कर बेलपत्र, भांग, धतूरा, अक्षत, मिष्ठान, द्रव्य से पूजन-अर्चन कर मनवांछित कामना की। हालांकि, रविवार को कम भीड़ रही, लेकिन सोमवार के लिए भव्य तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। लाखों की संख्या में भक्तों के आने की उम्मीद है। प्रशासन की ओर से पुलिस तैनात कर दी गई है, तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
रामनगर से तीन किलोमीटर दूरी पर स्थित प्रसिद्ध तीर्थ स्थल लोधेश्वर महादेवा में भक्तों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है। कांवड़ लेकर श्रद्धालु आने लगे हैं।
ध्वनि प्रचारक यंत्र : मेला परिसर में दुकानदारों ने दुकानें सजा दी हैं। सावन मेला को लेकर लोधेश्वर महादेवा मेला परिसर में ध्वनि प्रचारक यंत्र पर रोक लगाई गई है। अघहरण सरोवर की साफ-सफाई व बैरीकेडिग कर दी गई है। जाली लगाई गई है। महादेव परिसर में ड्रोन कैमरा भी चलता दिखा।
मजबूत संकल्प
सूरतगंज: गेरुआ वस्त्र धारण किए, कंधे पर कांवड़ लिए नंगे पांव मुख से बोल बम का नारा है, भोले का ही सहारा है आदि उद्धोष के साथ जब मार्ग से सुदूर नन्हे मुन्ने कांवड़ियों का कारवां निकला तो देखने वाले हतप्रभ रह गए। भगौली तीर्थ से जल लेकर महादेवा लौधेश्वर मंदिर को जाने के लिए निकले कावड़ियों के जत्थे सूरतगंज-महादेवा मार्ग से होकर गुजरे। इन कांविड़यों की उम्र चार साल से 12 साल तक थी।
मन कामेश्वर शिव मंदिर
जिला मुख्यालय से 38 किमी दूर सूरतगंज ब्लाक के चंदूरा गांव में श्री मनकामेश्वर शिव मंदिर है। दूरदराज से शिव भक्त मंदिर आते हैं। जलाभिषेक के साथ ही रुद्राभिषेक व अन्य अनुष्ठान करते हैं। सावन माह के प्रत्येक सोमवार को मेला लगता है।
मंदिर का इतिहास : प्राचीन काल की बात है। चंदूरा गांव में एक मूर्तिकार पत्थर की मूर्तियां व शिवलिग बेचने आया था। उसके पास श्वेत व श्याम दो रंग के शिवलिग थे। ग्रामीणों ने श्याम रंग का शिवलिग खरीदा, लेकिन श्वेत रंग का शिवलिग का मूल्य ग्रामीण नहीं चुका सके। मूर्तिकार रात में गांव में रुका। स्वप्न में उसे शिव जी दिखे। श्वेत शिवलिग भी ग्रामीणों को देने की मंशा जताई। इस पर वह दोनों शिवलिग ग्रामीणों को देकर चला गया। दोनों शिवलिग एक साथ स्थापित की गई।
विशेषता : मंदिर में श्वेत-श्याम दो रंग के शिवलिग होना सबसे बड़ी विशेषता है। मान्यता है कि यहां पूजा-अर्चना कर सच्चे मन से की गई कामना सदैव पूरी होती है। रुद्राभिषेक का बहुत महत्व है। गांव के सभी लोग मंदिर में सहयोग करते हैं।
बहुत ही सिद्ध मंदिर है यहां जो मनोकामना मानी जाती है, पूर्ण होती है। इसीलिए मनकामेश्वर महादेव के रूप में नामकरण हुआ। सावन भर भक्तों का आवागमन लगा रहता है।
-सुरेश दीक्षित, पुजारी मंदिर
बहुत ही कम स्थानों पर दो शिवलिग स्थापित है। इस मंदिर की यही विशेषता है। सावन माह में भक्तों की पूजा-अर्चना के लिए व्यवस्था की गई है। लोगों से अपेक्षा की गई है कि पालीथिन के प्रयोग से बचें।
बृजेश दीक्षित, प्रबंधक
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