यूपी में फैल रहा है खतरनाक लंपी वायरस! इन जिलों में मिला पहला केस; जानें लक्षण और बचाव के तरीके
उत्तर प्रदेश के अयोध्या और अंबेडकर नगर में लंपी स्किन डिजीज के मामले सामने आने के बाद हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। पशुपालन विभाग ने टीकाकरण शुरू कर दिया है। यह बीमारी गोवंश को प्रभावित करती है और कीटों के माध्यम से फैलती है। पशुओं में बुखार और त्वचा पर गांठें इसके लक्षण हैं। बचाव के लिए टीकाकरण और स्वच्छता पर ध्यान देना आवश्यक है।

जागरण संवाददाता, बाराबंकी। पशुओं में खतरनाक बीमारी लंपी स्किन डिजीज पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार के बाद पूर्वी उत्तर प्रदेश में फैल गया है। यह धीरे-धीरे हर जिले में बढ़ रहा है। अयोध्या व अंबेडकरनगर में कुछ गोवंशों में लंपी के लक्षण दिखाई दिए हैं। इसको लेकर जिले में हाईअलर्ट जारी कर दिया गया है। बचाव के लिए टीकाकरण शुरू कर दिया गया है।
अयोध्या मंडल के पशुपालन विभाग के प्रभारी अपर निदेशक डा. अतुल कुमार अवस्थी ने बताया कि लंपी बीमारी सबसे पहले 1929 में अफ्रीका के जांबिया के गोवंश में देखा गया था। भारत में इसकी पुष्टि 2019 में उड़ीसा के भद्रक जिले से हुई थी।
यह एक विषाणु जनित रोग है, जो गोवंश को मुख्य रूप से प्रभावित करता है। भैंस, भेड़ बकरी में भी कहीं-कहीं इसका प्रकोप देखने को मिला है। यह कीट, मच्छरों के द्वारा या खून चूसने वाले कीड़ों के माध्यम से फैलता है। संक्रमित पशु के नाक एवं मुख के स्राव से चारा पानी में मिलकर एवं नर पशु के वीर्य से भी दूसरे पशुओं को लंपी हो जाती है।
बीमारी से प्रभावित पशु को तेज बुखार होता है। चमड़े पर छोटी-छोटी गांठे निकल आती हैं, जिनकी साइज 0.5 सेंटीमीटर से लेकर पांच सेंटीमीटर तक होती है। त्वचा के अतिरिक्त यह मुंह, नाक, आंख और ब्रेन पर भी प्रभाव डालती है।
ऐसे करें बचाव
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि लंपी होने से गोवंश में दूध कम हो जाता है। रोग फैलने के बाद पशु क्रय-विक्रय रुक जाता है। नियंत्रण का सबसे प्रभावी तरीका टीकाकरण है।
इसके अतिरिक्त पशुशाला के आसपास साफ-सफाई, झाड़ियां को काटकर खून चूसने वाली मक्खियों की संख्या को नियंत्रित करें। कीटनाशकों का आसपास छिड़काव करते रहें। प्रभावित पशु को अन्य गोवंशों से दूर रखें। बीमारी का कोई सटीक प्रभावी दवा नहीं है, बचाव ही तरीका है।
पशुओं में बढ़ाएं प्रतिरोधक क्षमता
नोडल अधिकारी अधिकारी ने बताया कि बीमारी से बचाव के लिए पशुओं की इम्युनिटी (प्रतिरोधक) क्षमता बढ़ाने के लिए अपने पशु को संतुलित पशु आहार एवं खनिज मिश्रण दें। देसी दवाइयों के प्रयोग से कुछ नियंत्रित किया जा सकता है।
पान के 10 पत्ते, काली मिर्च, 10 ग्राम नमक, 10 ग्राम तुलसी के पत्ते, 10 तेजपत्ते, 10 ग्राम हल्दी, नीम की पत्ती एक मुट्ठी और बेलपत्र एक मुट्ठी को मिलाकर कूट कर पेस्ट बना कर गुड़ के साथ प्रतिदिन तीन बार पशुओं को खिलाएं। अप्रभावित पशुओं को खिलाने से उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।
पशुओं में लक्षण दिखने पर तत्काल दें चिकित्साधिकारियों को सूचना
- टोल फ्री नंबर : 1962
- मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी डा. अतुल अवस्थी : 9412313943
- नोडल अधिकारी डा. सुरजीत सिंह : 9236553135
- सदर : 7678878624
- देवा : 7007684682
- हरख : 7408810899
- मसौली : 7007684682
- रामनगर 9936315385
- सूरतगंज : 9457836704
- निंदूरा : 9454602804
- बनीकोडर : 7054149016
- पूरेडलई : 9648511652
- सिरौलीगौसपुर : 9838599329
- दरियाबाद : 9415474512
- हैैदरगढ : 9838642984
- त्रिवेदीगंज : 9532303018
- सिद्धौर : 7376348430
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