हाजिरी लगाने कोटवाधाम पहुंच रहे अनुयायी
संवादसूत्र, सिरौलीगौसपुर (बाराबंकी): सतनामी संप्रदाय के प्रथम प्रदर्शक संत जगजीवन दास ने मानव समाज को अधर्म और अनाचार की प्रवृत्तियों से निकलने का सरल और सुगम मार्ग बताया। उन्होंने सत्यनाम पंथ की स्थापना की। उनकी तपोस्थली कोटवाधाम सत्यनाम मतावलंबियों के लिए सत्यनाम पंथ गुरुद्वारा के रूप में विश्व विख्यात है जहां कार्तिक पूर्णिमा, वैशाख पूर्णिमा तथा माघ सप्तमी के अवसर पर शीर्ष मेलों का आयोजन प्रतिवर्ष होता है।
बाराबंकी: सतनामी संप्रदाय के प्रथम प्रदर्शक संत जगजीवन दास ने मानव समाज को अधर्म और अनाचार की प्रवृत्तियों से निकलने का सरल और सुगम मार्ग बताया। उनकी तपोस्थली कोटवाधाम सत्यनाम मतावलंबियों के लिए सत्यनाम पंथ गुरुद्वारा के रूप में विश्वविख्यात है। यहां कार्तिक पूर्णिमा, बैशाख पूर्णिमा तथा माघ सप्तमी के अवसर पर शीर्ष मेलों का आयोजन प्रतिवर्ष होता है।
इसी क्रम में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर शुक्रवार से शुरू हुए सात दिवसीय मेले में लाखों की संख्या में सतनामी भक्त अपनी हाजिरी लगाने पहुंच रहे हैं। भक्तों का अपने निजी वाहनों तथा साइकिल आदि से आवागमन लगातार जारी है। मेले में सजी दुकानों पर महिलाओं व पुरुषों तथा बच्चों की भीड़ लगी रही। इस बार अच्छी बिक्री होने के चलते दुकानदारों के चेहरे खिले हुए हैं।
वहीं पशु बाजार भी गुलजार है। पशुपालकों की भारी भीड़ कीमती गाय, भैंस तथा पड़ियों के व्यापारियों के यहां दिखाई दिए। मेले में हरियाणा, पंजाब, मेरठ, रायबरेली आदि जिलों से आए पशु व्यापारी अपने कीमती पशुओं के साथ जमे हुए हैं। साहीवाल, गीर, फ्रीजियन आदि नस्लों की गाय मेले में मौजूद हैं।
समर्थ जगजीवन दास साहेब के वंशज बड़ी गद्दी के महंत नीलेंद्र बख्श दास ने अपने आवास पर बड़ी संख्या में पधारे विभिन्न जिलों और प्रांतों के अनुयायी शिष्यों को उपदेश देते हुए कहा कि सत्य ही ईश्वर है। सत्यनाम पंथ ईश्वर के बताए हुए रास्ते पर चलने के लिए भक्तों को प्रेरित करता है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।