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    '¨जदगी की न टूटे लड़ी प्यार कर ले घड़ी दो घड़ी'

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 20 Apr 2018 11:52 PM (IST)

    ..वतन से बड़ी चीज कोई नहीं -'जागरण' के तत्वावधान में हुआ विराट कवि सम्मेलन -देश-द

    '¨जदगी की न टूटे लड़ी प्यार कर ले घड़ी दो घड़ी'

    ..वतन से बड़ी चीज कोई नहीं -'जागरण' के तत्वावधान में हुआ विराट कवि सम्मेलन

    -देश-दुनिया में ख्यातिलब्ध कवियों ने बांधा समां

    -अपनी रचनाओं के सामाजिक सरोकार से जुड़े पहलुओं पर रखे विचार

    बाराबंकी : 'दैनिक जागरण' के तत्वावधान में गुरुवार की रात जिले की गंगा-जमुनी तहजीब को समर्पित रही। देश-दुनिया में विख्यात कवियों ने राजकीय इंटर कॉलेज के ऑडीटोरियम में अपनी रचनाओं के माध्यम से विराट कवि सम्मेलन को यादगार बना दिया। सामाजिक सरोकार से जुड़े पहलुओं पर बेबाकी से अपने विचार रखे। सामाजिक सौहार्द को बढ़ाने के साथ ही प्रेम से रहने का संदेश दिया।

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    फिल्म क्रांति, प्रेमरोग, तहलका, उपकार और शोर जैसी दर्जनों फिल्मों में अपने कालजयी गीतों के सुर बिखेरने वाले गीतकार एवं कवि संतोष आनंद ने देश को सर्वोपरि बताया। उन्होंने पढ़ा 'नजारे नजर से यह कहने लगे नयन से बड़ी चीज कोई नहीं, तभी मेरे दिल ने ये आवाज दी वतन से बड़ी चीज कोई नहीं।' इसके साथ ही आनंद ने Þ¨जदगी की न टूटे लड़ी प्यार कर ले घड़ी दो घड़ी, एक प्यार का नगमा है मौजों की रवानी है, ¨जदगी और कुछ भी नही तेरी मेरी कहानी है। कर ना फकीरी फिर क्या दिलगीरी सदा मगन मन रहना जी। जैसे अपने लिखे कई सुपरहिट गीत सुनाकर श्रोताओं को झूमने पर विवश कर दिया। इस दौरान पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा।

    ..प्यार पानी है कट नहीं सकता : कवयित्री एवं शायरा डॉ. अना देहलवी ने सामाजिक सौहार्द की बात की। उन्होंने पढ़ा प्यार हिस्सों में बट नहीं सकता, प्यार रस्ते से हट नहीं सकता, कौन समझाए इन बेवकूफों को प्यार पानी है कट नहीं सकता।' 'वतन वालों मुझे इतना वचन देना, अगर मर जाऊं तो तिरंगे का कफन देना। मासूम मोहब्बत का बस इतना फंसाना है, कागज की हथेली है बारिस का जमाना है। ¨जदगी जिस पर मैंने वारी थी, हर अदा जिसकी मुझको प्यारी थी, वो नजर से उतर गया है अना, मैंने जिसकी नजर उतारी थी।

    इनसेट-

    सराही गई 'अना' की सरस्वती वंदना : कवि सम्मेलन की शुरुआत डॉ. अना देहलवी की सरस्वती वंदना 'कैसे तेरी करूं वंदना अक्षर अक्षर है बेजान, गीत-गीत में छंद -छंद में भर दे हे मां तू प्रान' से हुई जिसकी श्रोताओं ने खूब सराहना की।

    नोटबंदी - बाबा बंदी

    शिक्षा, स्वास्थ्य, अंध विश्वास और सामाजिक सरोकार से जुड़े पहलुओं पर हास्य व्यंग्य के जरिए डॉ. सुरेश अवस्थी ने तंज कसा। नोटबंदी व बाबा बंदी पर उनके चुटकुलों ने न सिर्फ लोगों को हंसाया बल्कि उस हंसी के पीछे छिपी समस्याओं के दर्द का भी एहसास कराया। उन्होंने पढ़ा

    देश की आजादी के अर्थ हमें कुछ ऐसे भा गए, 1947 से चले थे एके-47 पर आ गए। लक्ष्मी बाई से चले थे जलेबीबाई पर आ गए, गांधी बापू से चले थे आशाराम बापू पर आ गए। उन्होंने रिश्ते व संस्कारों से बंधे देश का उदाहरण इन पंक्तियों में समझाया हम नहीं भूले-नहीं भूले कलकल करती गंगा-यमुना का बहना, काम वाई बाई दादी, ताई कहना।

    मास्टर जी ने देखा, कहा नीम के नीचे आओ

    हास्य कवि राजेंद्र पंडित ने Þप्राइमरी और कान्वेंट शिक्षा के प्रति अपना नजरिया कनौजिया मास्टर और नीम का पेड़ को केंद्र में रखकर समझाया। सड़कों के गड्ढों का हाल और कानून व्यवस्था की बदहाली अपनी हास्य व्यंग्य रचना के जरिए सुनाई।

    जब आंखें हो गईं नम : ओज के युवा कवि लखनऊ के प्रख्यात मिश्र ने अपनी रचना में शहीद बेटे के पार्थिव शरीर पर मां की वेदना और सैनिक की आत्मा के मध्य संवाद को प्रस्तुत कर सबकी आंखें नम कर दी। आत्मा ने मां को बताया कि किस तरह उसका लाल सीमा पर दुश्मनों से घिरने के बावजूद जमकर लड़ा और यमराज के आने के बावजूद तिरंगा लक्ष्य पर गाड़ने के पहले हार नहीं मानी।

    ..तू उन्हीं धागों से क्यूं बुनता कफन है : युवा कवि गजेंद्र प्रियांशु ने महिलाओं के साथ ही पुरुषों की पीड़ा कविता के जरिए समाज के सामने पेश कर हमदर्दी हासिल की। दिल में तेरे प्यार की दुनिया दफन है। भोर लगती दोपहर सी तपन है। मैं इधर शादी का जोड़ा बुन रहा हूं, तू उन्हीं धागों से क्यूं बुनता कफन है। अर्थियों पर सज रही है देह तेरी, डोलियों पर हो रहा श्रृंगार मेरा नागफनियों की गली में फूल का व्यापार मेरा।

    ..ई ठेलुआ एलक्शन लड़ाय दिहिन हो : अवधी के नामी कवि फारूक सरल ने हास्य- व्यंग्य की रचनाओं के जरिए चुनाव में हारे उम्मीवारों का दर्द बयां किया। 'बताओ रमजानी अब का करिहो, चली गई परधानी अब का करिहो। 'हम न लड़तेन ई ठेलुआ लड़ाय दिहिन हो।' पर लोग खूब हंसे।

    मियां-बीबी की ¨रगटोन : वरिष्ठ कवि सरदार मंजीत ¨सह ने संचालन के साथ ही अपनी रचनाओं व चुटकुलों से लोगों का मन मोह लिया। उनका चुटकुला 'सोनिया ने कहा 10 साल तू चुप रहा, अब तो कुछ बोल दे सरदार, मनमोहन ¨सह बोले, अबकी बार मोदी सरकार तथा ¨रगटोन बदलने के जरिए पत्नी से संवाद का रोचक ²श्य प्रस्तुत किया।

    जागरण से मिलती नई चेतना : डीएम

    बाराबंकी : कवि सम्मेलन का शुभारंभ डीएम उदयभानु त्रिपाठी व एसपी वीपी श्रीवास्तव ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप जलाकर किया। सम्मेलन में देश के जाने-माने कवियों का श्रोताओं ने करतल ध्वनि से स्वागत किया। कवियों को अंगवस्त्र पहनाकर 'जागरण' परिवार की ओर से अभिनंदन किया गया। डीएम ने कवि सम्मेलन के लिए 'जागरण' परिवार को सराहा। कहा, ऐसे आयोजन समाज को नई चेतना प्रदान करते हैं।

    सीडीओ अंजनी कुमार, एएसपी दिगंबर कुशवाहा, भाजपा किसान मोर्चा उपाध्यक्ष सुधीर कुमार ¨सह सिद्धू, नगर अध्यक्ष राम प्रकाश श्रीवास्तव, सुशील चंद जैन, आशीष पाठक, रूमा तिवारी, डॉ. अजीज खान, अवध रस्तोगी, केशव टंडन, चंद्र मोहन तिवारी, लालजी जायसवाल, देशराज वर्मा, संतोष वर्मा, केके ¨सह, अंकुश मिश्र, अरुण मिश्र आदि मौजूद रहे।

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