It is Shocking : गर्मी की छुट्टियों के बाद पहले दिन स्कूल पहुंचे कक्षा सात के छात्र की हार्ट अटैक से मौत
It will Shock You स्कूल के बाद गेट के पास ही अखिल की तबीयत बिगड़ी। परिवारजन उसे लेकर जब डाक्टर के पास पहुंचे लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। साइलेंट अटैक से मौत की आशंका है। मंगलवार शाम ही अखिल का अंतिम संस्कार हुआ। इकलौते पुत्र की मौत से पिता और मां ममता सिंह सदमे में हैं।
संवादसूत्र, जागरण, बाराबंकी : साइलेंट हार्ट अटैक दिनों-दिन बेहद खतरनाक स्वरूप लेता जा रहा है। अब किसी भी आयु, वर्ग या लिंग का शख्स इसका शिकार हो रहा है। कभी किसी की खेलते समय तो किसी की डांस करते या गाना गाते समय साइलेंट हार्ट अटैक से मृत्यु हो जा रही है। इसके आगे सब असहाय हो रहे हैं और किसी को भी इलाज तक का मौका भी नहीं मिल पा रहा है। ताजा प्रकरण बाराबंकी का है।
बाराबंकी में देवा क्षेत्र में स्कूल पढ़ने गए कक्षा सात के छात्र की अचानक मौत हो गई थी। पिता जितेंद्र के अनुसार उनका पुत्र अखिल पूरी तरह स्वस्थ था। कोई बीमारी नहीं थी। मृत्यु किस कारण से हुई इसका पता नहीं है।डाक्टरों के मुताबिक 12 वर्षीय छात्र अखिल प्रताप सिंह की मृत्यु साइलेंट हार्ट अटैक से हुई है। अखिल सेंट एंथोनी स्कूल बाराबंकी में कक्षा सात का छात्र था। मंगलवार सुबह देवा के घेरी के जितेंद्र प्रताप सिंह उर्फ सोनू स्वयं बेटे को स्कूल छोड़ने गए थे।
पिता के अनुसार उनका पुत्र अखिल पूरी तरह स्वस्थ था और न तो उसे कोई बीमारी थी और न ही कोई दवा चल रही थी। अखिल ने कंधे पर बैग टांगा था और कार की ओर बढ़ा, तभी वह अचानक बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ा। उसे पास के अवध चिल्ड्रेन हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां हालत गंभीर देखकर उसे लखनऊ के चंदन हॉस्पिटल रेफर किया गया। अखिल ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। डॉक्टरों ने अस्पताल पहुंचने पर उसे मृत घोषित कर दिया।
स्कूल के बाद गेट के पास ही अखिल की तबीयत बिगड़ी। परिवारजन उसे लेकर जब डाक्टर के पास पहुंचे, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। साइलेंट अटैक से मौत की आशंका है। मंगलवार शाम ही अखिल का अंतिम संस्कार हुआ। इकलौते पुत्र की मौत से पिता और मां ममता सिंह सदमे में हैं। मां विशुनपुर के एक इंटर कालेज में शिक्षिका हैं।
क्या है साइलेंट हार्ट अटैक
वरिष्ठ परामर्शदाता डा. राजेश कुशवाहा ने बताया कि साइलेंट हार्ट अटैक में लक्षण प्रतीत नहीं होते हैं, लेकिन बीमारी अवश्य रहती है। कभी अधिक सोचने या शोक की बात सुनने से बच्चों को साइलेंट अटैक आ जाता है। उनका कहना है कि कम उम्र के बच्चों में भी कुछ अंदरूनी समस्याएं सामने आ रही हैं। बच्चों को मोबाइल से दूर रखना ही इसका बचाव है।
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