मनरेगा में शून्य मास्टर रोल करने का 'खेल'
-सीडीओ ने शुरू की जांच, 15 बीडीओ से जवाब-तलब -सीडीओ ने मास्टर रोल जीरो करने की संख्या और कारण प
-सीडीओ ने शुरू की जांच, 15 बीडीओ से जवाब-तलब
-सीडीओ ने मास्टर रोल जीरो करने की संख्या और कारण पूछा संवादसूत्र, बाराबंकी : मनरेगा में मास्टर रोल जारी करने के बाद शून्य करने का 'खेल' ब्लॉक स्तर पर चल रहा है। जिसकी जानकारी के बाद इस प्रकरण की जांच मुख्य विकास अधिकारी ने शुरू कर दी है। सभी 15 खंड विकास अधिकारियों को नोटिस भेजकर जवाब-तलब किया गया है।
मनरेगा में विकास कार्य कराने से पहले ब्लॉक स्तर पर मास्टर रोल जारी होता है। यह मास्टर रोल खंड विकास अधिकारी जारी करवाते हैं। मास्टर रोल जारी होने के बाद तत्काल बनाए गए पूर्व में प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो जाता है। काम शुरू होने के बाद मजदूरों को भुगतान होना शुरू हो जाता है। जब ब्लॉक स्तर से ग्राम पंचायतों में सांठ-गांठ नहीं हो पाती है तो उसी मास्टर रोल को शून्य दिखा दिया जाता है। इस खेल में खंड विकास अधिकारी, एपीओ और मनरेगा के तकनीकी सहायक होते हैं। यह खेल कोई जिले में ही नहीं बल्कि प्रदेश के सभी जिलों के ब्लॉक स्तर पर होता है। अब इसकी जांच मुख्य विकास अधिकारी अंजनी कुमार ¨सह ने शुरू कर दी है। जिले के 15 विकास खंडों के बीडीओ को नोटिस भेजकर आंकड़े पूछे गए हैं कि कितने इस वित्तीय वर्ष में मास्टर रोल शून्य किए गए हैं। यदि शून्य किए गए तो क्यों किए गए हैं, कारण सहित जवाब एक सप्ताह के अंदर प्रस्तुत करें।
मास्टर रोल शून्य करने के खेल में हुए सिर्फ 1238 कार्य
बाराबंकी : मनरेगा के तहत वित्तीय वर्ष 2017-18 में 23 हजार 230 विकास कार्यों की कार्ययोजना तैयार हुई थी। इन कार्यों को कराकर जिले के ग्राम पंचायतों का विकास करना था। दो जनवरी तक सिर्फ 1238 ही कार्यों को पूर्ण किया जा चुका है, जबकि 21 हजार 992 कार्यों में काम चलने का दावा किया जा रहा है। यह कार्य इसलिए नहीं पूर्ण हो पा रहे हैं क्योंकि ब्लॉक स्तर पर जारी मास्टर रोल को शून्य दर्शाया जा रहा है। जहां से¨टग हो जाती है, वहां पर भुगतान भी तत्काल किया जा रहा है। यह हम नहीं जिले में हुए विकास कार्यों के आंकड़े और शून्य दर्शाये गए मास्टर रोल बता रहे हैं।
85 करोड़ खर्च करने का दावा बाराबंकी : जिले में मनरेगा के तहत ग्राम पंचायतों में विकास कार्य कराए जाने का दावा किया जा रहा है। जिसमें 85 करोड़ रुपये खर्च होना बताया जा रहा है। यह पैसा वास्तव में विकास कार्यों में खर्च किया या नहीं, यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा।
कोट
ग्राम पंचायतों में काम कराने से पहले मास्टर रोल जारी होता है। जब काम 15 दिनों के अंदर शुरू नहीं हो पाता है तो मास्टर रोल शून्य कर दिया जाता है। इसका दूसरा कारण भी हो सकता है। सभी बीडीओ को नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया है।
-अंजनी कुमार ¨सह, मुख्य विकास अधिकारी, बाराबंकी।
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