शिक्षकों की कमी तो कहीं जर्जर भवन में चल रहे संस्कृत विद्यालय
नए संस्कृत विद्यालयों को मान्यता देने की प्रक्रिया को आसान बनाने और शिक्षकों की कमी दूर करने की सुगबुगाहट से जगी उम्मीद ...और पढ़ें

बाराबंकी : संस्कृत सिर्फ भाषा न होकर संस्कृति को समृद्ध करने का सशक्त माध्यम है। जिले में संस्कृत के चार विद्यालय तो हैं, लेकिन इनकी दशा दयनीय है। आधुनिक सुविधाएं तो दूर मजबूत कमरे, पेयजल, शौचालय और पर्याप्त संख्या में शिक्षक तक की तैनाती नहीं है। ऐसे में भाषा के उन्नयन की अपेक्षा करना भी बेमानी होगी। सरकार की ओर से संस्कृत विद्यालयों में स्टाफ की तैनाती, नए विद्यालयों की मान्यता प्रक्रिया के सरलीकरण और अन्य अव्यवस्थाओं को दूर किए जाने की चर्चाओं के बीच जागरण टीम ने विद्यालयों की पड़ताल की। प्रस्तुत है रिपोर्ट.. चार दशक पुराना विद्यालय बदहाल : हैदरगढ़ कस्बा के कोठी वार्ड में स्थित श्रीगुरुकुल संस्कृत माध्यमिक विद्यालय चार दशक पुराना है। इसमें प्रथमा (कक्षा छह, सात व आठ) व पूर्व मध्यमा (कक्षा नौ व दस) की कक्षाएं संचालित होती हैं। पुराना भवन जर्जर होने के कारण इसके समीप ही दो नए कक्ष बनाए गए हैं। एक प्रधानाचार्य व दूसरा शिक्षण कक्ष है। यहां पर पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है। छात्रों के न आने के कारण विद्यालय बंद रहता है। विद्यालय में प्रधानाचार्य सहित दो शिक्षकों की ही नियुक्ति है। बाराबंकी नगर के सनातन धर्म संस्कृत विद्यालय नागेश्वर नाथ मंदिर में महज दो स्टाफ हैं। महाविद्यालय में पढ़ाने को दो शिक्षक :
रामनगर के लोधेश्वर महादेवा मंदिर प्रांगण में श्री विद्वतपरिषल्लोधेश्वर संस्कृत पाठशाला में प्राचार्य कक्ष व अतिरिक्त एक कक्ष के साथ तीन बड़े हाल हैं। यहां 426 बच्चे पंजीकृत हैं, जिनमें 306 माध्यमिक स्तर के हैं। मोबाइल पर वार्ता के क्रम में प्राचार्य शिव प्रसाद मिश्र ने बताया कि बताया कि महाविद्यालय में जगदीश प्रसाद द्विवेदी व गायत्री देवी की तैनाती है। वहीं, माध्यमिक स्तर पर ज्ञान प्रकाश मिश्र व रुद्र प्रसाद त्रिपाठी, सहायक लिपिक निखिल शुक्ला व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी इंद्रेश कुमार द्विवेदी की ही तैनाती है। एक शिक्षक के सेवानिवृत्त होने से पद रिक्त है। दो अध्यापक के पदों का प्रकरण सर्वोच्च न्यायालय में चल रहा है।
निदूरा : भगौली तीर्थ स्थित श्री सच्चिदानंद गुरुकुल मा.संस्कृत विद्यालय मुंडागोपाल में पांच कमरे बने हैं और 104 बच्चे पंजीकृत हैं। विद्यालय में दो शिक्षकों के पद सृजित हैं। प्रधानाचार्य अखिलेश शास्त्री ने बताया कि विद्यालय परिसर में काफी जगह है। उन्होंने कहा कि स्टाफ की तैनाती हो जाए तो बच्चों को और बेहतर शिक्षा दी जा सकती है।
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यदि संस्कृत विद्यालयों में स्टाफ और अन्य व्यवस्थाएं दुरुस्त हो जाती हैं तो निश्चित ही भाषा के साथ ही भारतीय संस्कृति भी समृद्ध होगी। जुलाई से सत्र प्रारंभ होता है। अभी ग्रीष्मकाल अवकाश है।
शिव प्रसाद मिश्र, प्राचार्य, श्री विद्वतपरिषल्लोधेश्वर संस्कृत पाठशाला।
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जिले के चारों संस्कृत विद्यालय वर्तमान समय में कोरोना के कारण बंद हैं। उपलब्ध स्टाफ से ही बच्चों का पठन-पाठन कराया जा रहा है। जो भी कमी है उसे दूर कराने का प्रयास किया जाएगा।
-राजेश कुमार वर्मा, जिला विद्यालय निरीक्षक, बाराबंकी।

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