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    यूपी के इस जिले में लाल आलू की बुआई तेज, 500 हेक्टेयर रकबा बढ़ने की उम्मीद

    Updated: Sun, 26 Oct 2025 03:38 PM (IST)

    बाराबंकी में किसान कुफरी प्रजाति के बजाय राजेंद्र वन (लाल आलू) की खेती में अधिक रुचि दिखा रहे हैं। पिछले पांच वर्षों में लाल आलू उगाने वाले किसानों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिससे यह जिला सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है। इस बार 25,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में बोआई होने की उम्मीद है, क्योंकि किसानों को अच्छे दाम मिल रहे हैं। राजेंद्र वन आलू में कम शुगर होने के कारण इसकी मांग अधिक है।

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    जागरण संवाददाता, बाराबंकी। कुफरी प्रजाति (सफेद आलू) पर भले ही सरकार प्रोत्साहन राशि दे रही हो, लेकिन बाराबंकी के किसान इस आलू बीज खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं, क्योंकि आलू की प्रजाति राजेंद्र वन (लाल) जिले की पहचान बन चुकी है। खाने से लेकर बेचने तक लाल आलू ही प्रयोग होता है। किसानों की संख्या पांच वर्षों से लगातार बढ़ रही है। यही कारण है कि यूपी में सर्वाधिक राजेंद्र वन आलू उगाने वाला जिला बन चुका है।

    जिले में वर्ष 2020 में 18 हजार 500 हेक्टेयर में लाल आलू की बोआई होती थी, इस बार 25 हजार हेक्टेयर के पार होने की उम्मीद है। आलू की बोआई तेज हो गई है। मसौली के रजाईपुर के प्रगतिशील किसान व विशेषज्ञ विपिन वर्मा ने बताया कि आलू की बोआई हो रही है।

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    इस बार किसानों की संख्या बढ़ी है। लगातार रेट अच्छे होने से किसानों को फायदा हो रहा है। इस बार भी 1700 रुपये प्रति क्विंटल आलू बिक रहा है। पिछले वर्ष 6.95 लाख मीट्रिक टन आलू उत्पादित हुआ था, जिसे बाहर के राज्यों में आपूर्ति हुई थी। बाहर लाल आलू की मांग इसलिए है, क्योंकि राजेंद्र वन आलू में अन्य आलू की अपेक्षा सबसे कम शुगर 1.0 प्रतिशत रहता है।

    सरकार कुफरी आनंद, कुफरी बहार जैसे अन्य (सफेद) आलू की प्रजातियां की बोआई पर जोर देती है। यही कारण है कि प्रत्येक जिले को हिमाचल प्रदेश से शोधित आलू मंगाकर किसानों को 2915 रुपये में बीज उत्पादन के लिए दिया जाता है। 15 वर्षों से बीज उत्पादन योजना चल रही है, लेकिन बाराबंकी के किसान सिर्फ राजेंद्र वन (लाल) आलू की ही बोआई करते हैं।

    इधर, पांच वर्षों में लाल आलू की बोआई का सात हजार हेक्टेयर का रकबा बढ़ा है। राजेंद्र वन का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 275 से 325 क्विंटल है। जिले में पिछले वर्ष 24 हजार 500 हेक्टेयर में आलू की बोआई की गई थी, इस बार लगभग 500 रकबा बढ़ा है।

    60 प्रतिशत खाली हुए कोल्ड स्टोरेज

    /Bपिछले वर्ष 6.99 लाख मीट्रिक टन आलू उत्पादित हुआ था, जो 77 शीतगृहों में रखा है। इसमें से अब तक 60 प्रतिशत आलू की निकासी हो चुकी है। उद्यान निरीक्षक एसके सिंह ने बताया कि जिले में राजेंद्र वन (लाल) आलू की पैदावार होती है। बीज और बाहर की मंडियों में आलू भेजने के बाद कोल्ड स्टोरेज से करीब 60 प्रतिशत आलू की निकासी हो गई है।

    ऐसे बढ़ा रकबा राजेंद्र वन का रकबा

     
    वर्ष रकबा (हेक्टेयर में)
    2020 18,500
    2021 20,000
    2022 22,500
    2023 23,500
    2024 24,500