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    पर्यावरण की सेहत सुधारेंगे पंच पल्लव

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 04 Jun 2017 11:38 PM (IST)

    सुलतानपुर : वर्ष 2017 के पौधरोपण अभियान में पंच पल्लव को शीर्ष पर रखा गया है। प्रतिकूल परिवेश में भी

    पर्यावरण की सेहत सुधारेंगे पंच पल्लव

    सुलतानपुर : वर्ष 2017 के पौधरोपण अभियान में पंच पल्लव को शीर्ष पर रखा गया है। प्रतिकूल परिवेश में भी जीवन बनाए रखने में सक्षम जैसी खूबी को देखते हुए इन्हें अहमियत दी गई है। इसे योगी सरकार के पर्यावरण संरक्षण के प्रति विशेष रुझान के तौर पर देखा जा रहा है।

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    वन विभाग को पंच पल्लव के अंतर्गत आने वाली प्रजातियों के पौधों को तैयार करने का फरमान जारी कर दिया गया है। जुलाई माह के लिए दो लाख पौधों की खेप तैयार की जानी है। इसके लिए पांच लाख रुपये के बजट का भी प्रबंध किया गया है। पारिस्थितिकी तंत्र में वायु के साथ-साथ जल प्रदूषण स्तर 30 फीसदी तक बढ़ा है। हानिकारक रासायनों की बढ़ोतरी ने पर्यावरण को गहरा जख्म दिया है। इंसान हो या पौधे, सभी इसकी चपेट में हैं। मौजूदा परिवेश में बढ़ रही बीमारियां व जीवन को नष्ट करने वाले घटकों में भी अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है। पौधों के इस परिवेश में नष्ट होने के बढ़े प्रतिशत को देखते हुए शासन ने पुराने प्रयोग को आजमाने का फैसला किया है। इसके तहत एक बार फिर पंच पल्लव को धरा पर पसारने की तैयारी की गई है। नहरें हों या राजमार्ग, चहुंओर इन्हें रोपने की कवायद की जा रही है। विभागीय नर्सरियों में इनके रोपण का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। जून के अंत और जुलाई के पहले सप्ताह के बीच से पौधों को लगाने की योजना है।

    ये हैं पंच पल्लव

    पीपल, बरगद, पाकड़, गूलर व नीम के संयुक्त ग्रुप को पंच पल्लव के नाम से जाना जाता है। रेंजर संत कुमार तिवारी के मुताबिक ये पौधे टूटने के बाद भी नष्ट नहीं होते हैं। सामान्य पौधों के मुकाबले इनमें अंकुरण की क्षमता दस गुना अधिक होती है। कम पानी में भी ये पौधे अपनी पूरी बढ़त को प्राप्त कर लेते हैं। साथ ही ये दूषित गैसों के सर्वाधिक अवशोषक होते हैं। फलदार पौधे न होने से सामान्य परिवेश में इनका रोपण लोग कम ही करते हैं। इनको आवारा पशुओं द्वारा नष्ट किए जाने का खतरा भी काफी कम होता है।

    पंच पल्लव को इस बार के पौधरोपण अभियान में वरीयता दी जाएगी। वन विभाग की नर्सरियों में इनकी पौध तैयार हो रही है। जून के अंतिम सप्ताह से जुलाई के बीच तक इनका रोपण कराया जाएगा।

    -केसी वाजपेई, प्रभागीय वन अधिकारी