पुरखों की याद दिलाती निशानियां कर रहीं आपको याद
बाराबंकी : चंद धरोहरों का तो उद्धार हो गया है लेकिन कुछ वीरानी का दंश झेल रहीं हैं। मुगल शासनकालीन य
बाराबंकी : चंद धरोहरों का तो उद्धार हो गया है लेकिन कुछ वीरानी का दंश झेल रहीं हैं। मुगल शासनकालीन यह महल व इमारतें पुरखों की याद दिलाती हैं। महलों को देखकर राजाओं के किस्से आज भी चौपालों व घरों में गूंज जाते हैं। जर्जर इमारतें भले ही न पुकार पाती हों लेकिन उनके हाल को देखकर ही उनका दर्द बयां हो जाता है। पुरखों की याद दिलाती निशानियां आज आपको याद कर रहीं हैं। सैकड़ों वर्ष पुरानी हवेलियों को संजोने व बची इमारतों पर पेश है धरोहर दिवस पर विशेष रिपोर्ट :-
जिले में ऐसे कई राजाओं के किले व बारादरी बनी हुई हैं जिन्हे संजोने की जरूरत है। हालांकि कुछ लोगों के प्रयास से मुगलकालीन इमारतों को बचाया जा चुका है। जहांगीराबाद में स्थित ढाई सौ वर्ष पुराने किले में आज मीडिया इंस्टीट्यूट व जेआइटी कॉलेज चल रहा है। महल के राजा इरफान रसूल की मौत के बाद किला खंडहर हो गया था। दस वर्षों से महल को कायाकल्प करने के बाद शिक्षण संस्था चल रही है। रामसनेहीघाट तहसील क्षेत्र में स्थित हथौंधा स्टेट का महल आज भी आकर्षित करता है। यहां के राजा दान बहादुर थे। इनके दान के किस्से लोग आज भी याद करते हैं। हथौंधा स्टेट के महल में फिलहाल अस्पताल व डिग्री कॉलेज चल रहा है। कस्बा देवा में स्थित देवला महल वीरान होने से पहले ही सरकार ने इसमें पूर्व माध्यमिक व प्राथमिक विद्यालय संचालित करा दिया है। इस महल की रानी देवला आभा थी। इनके नाम से आज देवा नाम पड़ गया है। रामनगर में स्थित राजमहल में राजा के वंशज यहां रह रहे हैं। गनेशपुर में स्थित रानी के महल को डायट प्रशिक्षण केंद्र बना दिया गया है। आज भी सैकड़ों वर्ष पुरानी धरोहर सुरक्षित है।
खंडहर हो गया राजा महमूदाबाद का किला
बेलहरा : बेलहरा में स्थित राजा महमूदाबाद का महल अब खंडहर हो चुका है। बताते हैं कि यह किला 200 वर्ष पुराना है। यहां कभी अंग्रेजों की आमद हुआ करती थी, लेकिन उनके जाने के बाद अब यह खंडहर महल मात्र फिल्मी शू¨टग के काम आता है। यहां पर 'एक और देवदास' भोजपुरी फिल्म के बाद 'डेढ़ इश्किया' जैसी फिल्मों की शू¨टग हुई है। यहां आज भी हर घंटे पर घंटा बजता है। बता दें कि यह महल एक लाख पेड़ों से गुलजार था। अब हालात यह है कि 10-12 पेड़ ही शेष बचे हैं।
भूलभुलैया बना आकर्षक केंद्र
टिकैतनगर : क्षेत्र के कस्बा इचौली में महाराजा टिकैतराज का महल बना हुआ है। 300 वर्ष पुराना किला अतिक्रमण से जूझ रहा है। देखरेख के अभाव में महल खंडहर हो गया है। इसके बावजूद भी किले में स्थित भूलभुलैया आकर्षण का केंद्र है।
खत्म हो गया रौनी राज्य महल
हैदरगढ़ : क्षेत्र के रौनी गांव में कभी रौनी राज्य का महल गोमती नदी के किनारे स्थित था। यहां भूलभुलैया के अलावा बहुत बड़ा किला बना हुआ था। यहां के राजा भगवान बख्श थे। सैकड़ों वर्ष पुराना किला अंग्रेजों के जमाने से खंडहर में तब्दील होता चला गया। दस वर्ष पूर्व यहां सिर्फ किला का मुख्य द्वार ही खड़ा था लेकिन अब वह भी टीले में बदल चुका है।
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