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    युधिष्ठिर ने की थी लोधेश्वर महादेव की स्थापना

    बाराबंकी: लोधेश्वर महादेव सत्यम-शिवम-सुंदरम की अवधारणा को साकार करते द्वापर युग के इतिहास के साक्षी

    By Edited By: Updated: Thu, 10 Dec 2015 12:25 AM (IST)

    बाराबंकी: लोधेश्वर महादेव सत्यम-शिवम-सुंदरम की अवधारणा को साकार करते द्वापर युग के इतिहास के साक्षी हैं। रामनगर क्षेत्र में अगहन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को लोधेश्वर महादेवा का प्राकट्य महापर्व माना जाता है। कोटि-कोटि जनमानस अपने आराध्य, इष्टदेव के दर्शन-पूजन-अर्चन कर अपने कल्याण की कामना करता चला आ रहा है। पांडवों के अज्ञातवास के समय लोधेश्वर महादेव की स्थापना की बात कही जाती है।

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    अज्ञातवास के समय माता कुंती अपने पुत्रों के साथ घाघरा नदी के दक्षिण तटीय रेणुक वन में पहुंचे। जहां महामुनि वेद व्यास ने 12 वर्ष तक शिवार्चन, पूजन एवं महारुद्राभिषेक करने की सुमति दी। जिसके लिए माता कुंती के आदेश पर महाबली भीम बद्रीनाथ व केदारनाथ के पर्वतीय अंचल में गए और वहां से बहंगी में कंधे पर लादकर दो शिलाखंड लाए। पारिजात ग्रंथ में हैं विवरण: लोधेश्वर महादेव की शिवस्थापना के संदर्भ में अवधी सम्राट महाकवि गुरुप्रसाद ¨सह मृगेश के लोक महाकाव्य ग्रंथ पारिजात में विशद वर्णन है। लोक सम्मति के अनुसार भीम द्वारा लाए गए प्रथम शिलाखंड की स्थापना वर्तमान ¨कतूर के पास माता कुंती ने की तथा द्वितीय पाषाण खंड को धर्मराज युधिष्ठिर ने गंडक घाघरा नदी के दक्षिण तटीय वन में स्थापित किया तथा 12 वर्ष तक रुद्र महायज्ञ किया तथा पास के कुरुक्षेत्र में हवन-यज्ञादि किया। कालांतर में घाघरा नदी के प्रवाह-परिवर्तन से यह शिव¨लग बालू-मिट्टी में विलीन हो गया। शिव विग्रह के संबंध में बताया जाता है कि कभी लोधेराम किसान को कृषि कार्य के समय यह शिव¨लग मिला था जिससे इसका नाम लोधेश्वर महादेव पड़ा। सिलौटा के बाबा बेनी सागर ने मंदिर का रूप दिया तथा रामनगर धमेड़ी राज्य के राजाओं ने चांदी कपाट व स्वर्णिम कलश से सुशोभित किया और राजा गरीब ¨सह पुत्र जोरावर ¨सह ने विशाल अभरन तालाब बनवाया।

    साल में लगते हैं चार मेला: लोधेश्वर महादेवा में वर्ष में चार बड़े-बड़े मेला लगते हैं। जिसमें अगहनी मेला का विशेष महत्व है। जिला प्रशासन के प्रयास से विशाल ऑडीटोरियम भी बन गया है।

    आज होगा मेला का उद्घाटन:

    लोधेश्वर महादेवा का सात दिवसीय अगहनी मेला दस दिसंबर से शुरू होगा। मेला का उद्घाटन जिलाधिकारी योगेश्वर राम मिश्र अपरान्ह दो बजे करेंगे। इस दौरान शिव की महिमा से ओतप्रोत सांस्कृतिक रंगारंग कार्यक्रम, जवाबी कीर्तन, कवि सम्मेलन, भजन, लोकगीत, लोककला नृत्य, मुशायरा, खेलकूद, पशु प्रदर्शनी आदि का आयोजन होगा। स्कूली बच्चों को भी अपनी प्रतिभा प्रदर्शन का मौका मिलेगा। मेला में प्रकाश, पेयजल व सुरक्षा के विशेष प्रबंध किए गए हैं।